51 शक्तिपीठ में से एक है पाकिस्तान का यह मंदिर
बलूचिस्तान की मेहरगढ़ की सभ्यता को सिंधु घाटी की हड़प्पा और मोहनजोदोरों से भी प्राचीन माना जाता है।
हमारे पडोसी मुल्क पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है 'बलूचिस्तान'। बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा है। यहां के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची है। बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है, और यह ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा अफगानिस्तान के साथ जुड़ा हुआ है।
बलूच लोगों की मान्यता है कि 7,200 ईसा पहले यानी आज से 9,200 वर्ष पूर्व ययाति के पांचों पुत्रों में से, पुरु का धरती के सबसे अधिक हिस्से पर राज हुआ करता था। पुरु वंश में ही आगे चलकर कुरु हुए जिनके वंशज कौरव कहलाए।
बलूचिस्तान हिंदू धर्म से काफी नजदीकियां रखता है। यहां पर माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ हिंगलाज माता मंदिर मौजूद है। जब शिव, माता सती के शरीर को ले जा रहे थे, तब यहां उनका सिर गिरा था। तभी से यह स्थान हिंगलाज देवी के रूप में पूजा जाने लगा। यहां नवरात्रि के समय भक्तों का तांता लगा रहता है।
इस स्थान पर भगवान श्रीराम, परशुराम के पिता जमदग्नि, गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देवजी भी आ चुके हैं। बलूचिस्तान में भगवान बुद्ध की सैंकड़ों मूर्तियां पाई गईं। एक समय बलूचिस्तान में बौद्ध धर्म अपने चरम पर था।
बलूचिस्तान की मेहरगढ़ की सभ्यता को सिंधु घाटी की हड़प्पा और मोहनजोदोरों से भी प्राचीन माना जाता है। बलूचिस्तान में एक स्थान है बालाकोट। बालाकोट नालाकोट से लगभग 90 किमी की दूरी पर बलूचिस्तान के दक्षिणी तटवर्ती क्षेत्र में स्थित था। यहां से हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पा कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं। मेहरगढ़ आज के बलूचिस्तान में बोलन नदी के किनारे स्थित है।