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जानें हनुमान जी के रहस्‍यमयी मंदिर के बारे में जहां वो आज भी हैं विद्यमान

हनुमान जी आज भी पृथ्‍वी पर मौजूद हैं पर वो कहां है इस रहस्‍य के बारे में सवाल उठते रहते हैं। हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही संभावित स्‍थान के बारे में।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 01 Jan 2018 03:50 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 09:00 AM (IST)
जानें हनुमान जी के रहस्‍यमयी मंदिर के बारे में जहां वो आज भी हैं विद्यमान
जानें हनुमान जी के रहस्‍यमयी मंदिर के बारे में जहां वो आज भी हैं विद्यमान

लंका में होने का दावा

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कलियुग में मौजूद हनुमान जी का स्‍थान कहां है यह अभी तक रहस्य बना हुआ था, लेकिन अब इस रहस्य से पर्दा उठने का दावा किया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि श्री लंका के एक जंगल में पवनपुत्र मौजूद हैं। यह जंगल उसी स्थान के पास है जहां कभी अशोक वाटिका होने के बारे में बताया जाता है, जहां रावण ने सीता माता को बंदी बना रखा था। इस स्थान को अब सीता एलिया के नाम से जाना जाता है। कहते हैं की इसी स्‍थान पर हनुमान जी समय समय पर एक रहस्यमयी कबीले के लोगों के सामने प्रकट होते हैं। इस कबीले को मातंग कबीला कहा जाता है। एक जानकारी के अनुसार इस कबीले में मात्र 50 के लगभग लोग हैं और आधुनिक समाज से बिलकुल कटे हुए हैं। 

विभीषण के वंशजों से मैत्री 

मांतंग कबीले के लोग बस एक ही कबीले के लोगो के साथ मित्रता रखते हैं। जिसे वैदेह कबीला कहा जाता है। वैदेह कबीले के लोग रावण के भाई विभीषण के वंशज माने जाते हैं। एक कथा के अनुसार 544 ईसा पूर्व श्री लंका की महारानी कुवेणी जो विभीषण की वंशज थी, को धोखा देकर भारत से पलायन करके गए एक राजकुमार ने श्री लंका की सत्ता हथिया ली थी। बाद में कुवेणी की मृत्यु हो गयी और उसके बच्चे जंगलो में रहने लगे थे जिनसे वैदेह कबीला बना। हालांकिमातंग कबीले वाले किसके वंशज हैं इसका कोई पता नहीं चला है। 

शोधकर्ताओं ने किया संपर्क का दावा

पिछले कुछ वर्षो से कबीलाई भेष में इस रहस्यमयी कबीले के बारे में जानकारी इकट्ठी कर रहें कुछ शोधकर्ताओं ने इनसे संपर्क होने का दावा किया और बताया है कि ये लोग खुद को हनुमान जी का सेवक कहते हैं। इन लोगों ने ये भी कहा कि कुछ विशेष अवसरों पर हनुमान जी कबीले के लोगों के बीच प्रकट भी होते हैं। उदाहरण के तौर पर जब कोई वानर मर जाता है तो ये लोग इकठ्ठे होकर प्रार्थना करते है जिसमे स्वयं हनुमान जी प्रकट होते हैं। ये भी सामने आया है कि श्री लंका के एक हिन्दू राजा विजय के वंशज मातंग कबीले के इन रहस्यमयी लोगो से संपर्क साधकर अपने लिए और राज्य की समृद्धि के लिए पूजा करवाते थे। 

संस्‍था का गठन 

अब श्री लंका सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सेतु नामक संस्था का गठन किया है जिसने मातंग कबीले को आधुनिक समाज के लोगो जोड़ने और इनकी विद्या और शक्ति का प्रयोग समाज के कल्याण के लिए करने का प्रयास शुरू किया है। सेतु लोगो के लिए मातंग कबीले के द्वारा पूजा करवाता है। संस्‍था की वेबसाइट www.setu.asia पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इसके लिए भक्त को अपनी जन्म तिथि आदि सूचनाये देनी होती हैं फिर सेतु के लोग उन सूचनाओं को कबीले की सांकेतिक भाषा में ट्रांसलेट करके उस भक्त के लिए पूजा करवाते हैं। 


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