Move to Jagran APP

14 जुलार्इ से शुरु हो रही है जगन्नाथ यात्रा जाने इस मंदिर से जुड़े रहस्यों की कहानी

प्रसिद्घ जगन्नाथ मंदिर से कुछ रहस्यमय राज जुड़े हैं जाने इनकी अनोखी कहानी। जगन्नाथ भगवान की रथ यात्रा आषाढ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को होती है जो इस बार 14 जुलार्इ को है।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 13 Jul 2018 04:35 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 10:24 AM (IST)
14 जुलार्इ से शुरु हो रही है जगन्नाथ यात्रा जाने इस मंदिर से जुड़े रहस्यों की कहानी

एेतिहासिक है ये मंदिर 

loksabha election banner

समुद्र तट के किनारे बसा पुरी नामक ऐतिहासिक शहर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ बेहतरीन स्थापत्य कला के लिए भी मशहूर है। भगवान जगन्नाथ का निवास स्थान होने की वजह से इसे जगन्नाथपुरी भी कहा जाता है। यहां स्थापित भगवान जगन्नाथ को श्री विष्णु का 10वां अवतार माना जाता है। पुराणों में जगन्नाथ धाम को धरती का बैकुंठ यानि स्वर्ग कहा गया है। यह हिन्दू धर्म के चार पवित्र धामों बद्रीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम के साथ चौथा धाम माना जाता है।  

मंदिर का इतिहास

इस प्राचीन मंदिर को राजा इंद्रद्युम्न ने बनवाया था, जिसे उनके प्रतिद्वंद्वी राजाओं द्वारा नष्ट कर दिया गया। पुरी के लेखागर में पाए गए एक लेख के अनुसार वर्तमान मंदिर का निर्माण गंग वंश के सप्तम राजा अनंग भीमदेव ने किया। मंदिर का निर्माण कार्य 1108 ई. में पूर्ण हुआ। इसकी ऊंचाई 58 मीटर है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियां हैं। दरअसल ये श्रीकृष्ण और बलराम के ही रूप हैं और सुभद्रा उनकी बहन हैं। इस मंदिर की रसोई विश्व प्रसिद्ध है, जहां निरंतर भोजन बनता रहता है। इस पवित्र रसोई के संबंध में ऐसी मान्यता प्रचलित है कि चाहे कितनी ही भीड़ क्यों न हो, यहां भक्तों के लिए भोजन की कमी कभी नहीं होती। 

मंदिर के अनोखे रहस्य 

इस मंदिर से जुड़े कर्इ अनोखे तथ्य हैं जिनके बारे सुन कर श्रद्घा आैर आश्चर्य दोनों  होते हैं। जैसे इस मंदिर के पास हवा उल्टी दशा में बहती है। जब अन्य समुद्री तटों पर हवा समंदर से जमीन की तरफ चलती है, लेकिन पुरी में ऐसा नहीं है यहां हवा जमीन से समंदर की तरफ चलती है, इस  रहस्य कोर्इ समझ नहीं सका है। 4 लाख वर्गफुट में फैले इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर की इतनी ऊंचाई के कारण इसके करीब पहुंच कर भी आप इस गुंबद को नहीं देख सकते। यहां तक कि मंदिर के मुख्य गुंबद की छाया भी दिन के किसी भी वक्त में दिखाई नहीं देती। एक आैर अजीब बात है कि जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई वायुयान तो नहीं ही उड़ता पर उसके ऊपर कभी कोर्इ पक्षी भी आज तक उड़ता हुआ नहीं देखा गया है। मान्यता है कि इस मंदिर के रसोईघर में जिसे दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर माना जाता है में अन्न कभी भी खत्म नहीं होता। सबसे बड़ी बात ये है कि समुद्र तट पर बने होने के बावजूद मंदिर के सिंहद्वार में प्रवेश करने के बाद इस के अंदर समुंद्र की कोई भी आवाज सुनाई नहीं देती। अंत में जान ले कि इसके ऊपर लगा ध्वज हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहराता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.