Mallikarjuna Jyotirling : मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जिसमें शिव और पार्वती की ज्योति संयुक्त रूप से विद्यमान है
Mallikarjuna Jyotirling गणेश जी की इस समझदारी से शिव और पार्वती बहुत खुश हुए। कार्तिकेय के आने से पहले गणेश की शादी विश्वरूप प्रजापति की पुत्रियों सिद्धि और रिद्धि के साथ करा दी गईं जिससे गणेश के दो पुत्र क्षेम और लाभ हुए।
Mallikarjuna Jyotirling : देश भर में भगवान शिव के लाखों शिवलिंग है। परंतु देश में शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है, इन्हीं में से एक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के तट पर पवित्र शैल पर्वत पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को दक्षिण भारत का कैलाश भी कहा जाता है। इसके दर्शन मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। पुराणों के अनुसार, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में शिव और पार्वती की संयुक्त रूप से दिव्य ज्योतियां विद्यमान हैं। जिसमें मल्लिका मतलब पार्वती और अर्जुन शब्द भगवान शिव के लिए प्रयोग किया गया है। आज हम इससे जुड़े कथा का विस्तृत वर्णन करेंगे।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कथा
एक बार भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय और गणेश शादी को लेकर आपस में उलझ गए। भगवान कार्तिकेय का मानना था कि वे भगवान गणेश से बड़े हैं। दूसरी तरफ गणेश अपने जिद्द पर अड़े थे। यह झगड़ा धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि माता पार्वती और शिव तक पहुंच गया। शिव-पार्वती ने कार्तिकेय और गणेश से कहा कि जो भी पृथ्वी की परिक्रमा लगाकर पहले आएगा, हम उसका विवाह पहले कर देंगे।
इस शर्त को सुनकर कार्तिकेय अपने सवारी मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल गये। परंतु चूहे की सवारी वाले गणेश के लिए यह मुश्किल काम था। भगवान गणेश बुद्धि के सागर थे। उन्होंने एक उपाय सोचा और माता पार्वती तथा पिता शिव की सात बार परिक्रमा की। इस तरह उन्हें पृथ्वी की परिक्रमा से प्राप्त होने वाले फल के अधिकारी बन गए। गणेश की इस समझदारी से शिव और पार्वती बहुत खुश हुए। कार्तिकेय के आने से पहले गणेश की शादी विश्वरूप प्रजापति की पुत्रियों सिद्धि और रिद्धि के साथ करा दी गई। जिससे गणेश के दो पुत्र क्षेम और लाभ हुए।
जब कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करके आए, तो ये सब देखकर नाराज हो गए। गुस्से में वे क्रौंच पर्वत की ओर चल दिये। कार्तिकेय को मनाने नारद को भेजा गया, परंतु वे मनाने में असफल रहे। माता पार्वती भी क्रौंच पर्वत पहुंच गईं। दूसरी तरफ भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां प्रकट हो गए। तभी से शिव का यह ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम विख्यात हुआ। माता पार्वती को मल्लिका और शंकर को अर्जुन कहा जाता है।
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