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Bateshwar Nath Dham : बटेश्वर नाथ धाम शिव के 101 मंदिरों की श्रृंखला है, जहां कन्या पुरुष रूप में उत्पन्न हुई

Bateshwar Nath Dham पिता के वचन को पूरा करने के लिए वह बटेश्वर नामक स्थान पर शिव की कठोर तपस्या करने लगी। पिता की लाज और विनती न सुने जाने के कारण उसने आत्महत्या के लिए यमुना में छलांग लगा दिया।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 02:16 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 02:16 PM (IST)
Bateshwar Nath Dham :  बटेश्वर नाथ धाम शिव के 101 मंदिरों की श्रृंखला है, जहां कन्या पुरुष रूप में उत्पन्न हुई
शिव के इस मंदिर से जुड़ी कथा को विस्तार से जानते हैं।

Bateshwar Nath Dham : देश भर में देवों के देव महादेव की बहुत सारी मंदिर हैं, इन सभी के पीछे एक दिलचस्प कहानी जुड़ी होती है। इन्हीं मंदिरों में एक बटेश्वर नाथ मंदिर है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा से 70 किलोमीटर दूर यमुना तट पर स्थित है। इस मंदिर में शिव को मूंछों और बड़े-बड़े आंखों के साथ दिखाया गया है। यहां शिव और पार्वती सेठ-सेठानी की मुद्रा में बैठे हैं। शिव की यह मूर्ति दुनिया में इकलौती मूर्ति है। यह 101 शिव मंदिरों की श्रृंखला के लिए जाना जाता है जिसको राजा बदन सिंह भदौरिया द्वारा बनवाया गया था। सावन माह का आगमन होने वाला है। शिव के इस मंदिर से जुड़ी कथा को विस्तार से जानते हैं।

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राजा बदन सिंह भदौरिया और तत्कालीन राजा परमार दोनों की रानियां गर्भवती थीं। दोनों मित्र ने आपस में समझौता किया कि जिसके भी कन्या होगी, वह दूसरे के पुत्र से शादी करेंगे। दोनों राजाओं के यहां पुत्री ही हुईं। परंतु राजा बदन सिंह ने राजा परमार के पास झूठी खबर भिजवा दी कि उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है। समय बीतता गया राजा परमार अपनी कन्या के विवाह के लिए राजा परमार के पुत्र का इंतजार करते रहे।

एक दिन बदन सिंह भदौरिया की बेटी को पता चला कि उसके पिता ने राजा परमार से झूठ बोला है। तथा अपने लड़के से शादी करने का वचन दिया है। पिता के वचन को पूरा करने के लिए वह बटेश्वर नामक स्थान पर शिव की कठोर तपस्या करने लगी। पिता की लाज और विनती न सुने जाने के कारण उसने आत्महत्या के लिए यमुना में छलांग लगा दी।

भगवान शिव की तपस्या का चमत्कार हुआ। वह कन्या उसी जगह पर पुरुष रूप में उत्पन्न हुई। इसी खुशी के कारण राजा बदन सिंह भदौरिया ने  बटेश्वर में एक सौ एक मंदिरों का निर्माण करवाया, जो बटेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध हुए। यहां पर हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष दूज के समय पर बहुत बड़ी मेला लगता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''


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