Move to Jagran APP

इस मंदिर में हनुमान और शनिदेव हैं साथ नहीं होता शनि की कुदृष्‍टि का प्रभाव

गुजरात के सारंगपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी के चरणों में बैठे हैं शनिदेव और माना जाता है कि यहां दर्शन करने वालों पर शनि की कुदृष्‍टि नहीं पड़ती।

By Molly SethEdited By: Published: Fri, 01 Dec 2017 05:14 PM (IST)Updated: Fri, 01 Dec 2017 05:14 PM (IST)
इस मंदिर में हनुमान और शनिदेव हैं साथ नहीं होता शनि की कुदृष्‍टि का प्रभाव
इस मंदिर में हनुमान और शनिदेव हैं साथ नहीं होता शनि की कुदृष्‍टि का प्रभाव

हनुमान मंदिर में शनि 

loksabha election banner

कहा जाता है कि शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने वालों पर शनिदेव दयावान रहते है। हनुमान और शनि के इस संबंध का प्रतीक है गुजरात में भावनगर के सारंगपुर में भगवान हनुमान का एक प्राचीन मंदिर। जिसे कष्टभंजन हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अपने आप में बेहद खास है क्योंकि इस मंदिर में श्री हनुमान के साथ शनिदेव भी विराजित हैं। साथ ही यहां शनिदेव स्त्री रूप में हनुमान के चरणों में बैठे दिखाई देते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यदि किसी भी भक्त की कुंडली में शनि दोष हो तो कष्टभंजन हनुमान के दर्शन और पूजा-अर्चना करने से इसका प्रभाव खत्म हो जाता है। साथ ही 

यहां आने वाले भक्‍तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। 

क्‍या है इस मंदिर की पौराणिक कथा

कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर के पीछे एक पौराणिक मान्यता जुड़ी है जिसमें बताया गया है कि कैसे हनुमान जी ने शनि प्रकोप से अपने भक्तों को यहां मुक्ति दिलाई थी। कहते हैं कि एक समय शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। इस कष्‍ट से बचने के लिए पृथ्‍वीवासियों ने हनुमानजी से प्रार्थना की। भक्‍तों के कष्‍ट से क्रोधित होकर हनुमान जी, शनिदेव से युद्ध करने चल पड़े। जब शनिदेव को यह पता चला तो वे बहुत डर गए और बचने के लिए उपाय सोचने लगे। शनिदेव जानते थे कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे शरणागत स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठा सकते, इसलिए उन्‍होंने स्त्री रूप धारण कर लिया और हनुमान जी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे और भक्तों पर से अपना प्रकोप भी हटा लिया। तभी से सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर में शनिदेव को हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में ही पूजा जाता है और भक्तों के कष्टों का निवारण करने के लिए इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है।

भव्‍य और समृद्ध मंदिर 

विशाल और भव्‍य किले की तरह बना कष्‍टभंजन का अतिसुंदर और चमत्‍कारी मंदिर है। ऐसा भी कहा जाता है कि केसरीनंदन के मंदिरों में से कष्‍टभंजन हनुमान मंदिर सबसे वैभवपूर्ण मंदिर है। गुजरात में अहमदाबाद से भावनगर की ओर जाते हुए करीब 175 किलोमीटर की दूरी पर कष्‍टभंजन हनुमान का यह स्‍थान है। किसी राजा के स्‍थान की तरह सजे इस मंदिर के विशाल और भव्य मंडप के बीच 45 किलो सोने और 95 किलो चांदी से बने एक सुंदर सिंहासन पर हनुमान जी विराजमान हैं। उनके शीश पर हीरे जवाहरात का मुकुट है और पैरों के पास एक सोने की गदा भी रखी है। उनके चारों ओर वानरों की सेना दिखती है और उनके पैरों के निकट स्‍त्रीरूपी शनिदेवजी मौजूद हैं। मान्यता है कि पवनपुत्र का स्वर्ण आभूषणों से लदा हुआ ऐसा भव्य और दुर्लभ रूप कहीं और देखने को नहीं मिलता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.