अयोध्या से लेकर पूना तक ये पांच हनुमान मंदिर हैं प्रसिद्ध
आइये आज आपको बताते हैं ऐसे 5 हनुमान मंदिरों के बारे में जिनके तार प्राचीन किष्किंधा नगरी से लेकर मकरध्वज के मृत्युस्थल तक से जुड़े हैं।
हनुमानगढ़ी, अयोध्या
प्राचीन धर्म ग्रंथों के अनुसार अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। यहीं पर श्रीराम के परमभक्त का सबसे प्रमुख श्री हनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से स्थित है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। इसमें 60 सीढिय़ां चढ़ने के बाद श्रीहनुमानजी के दर्शन होते हैं।
श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर
गुजरात में अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से लगभग 12 मील दूर सारंगपुर नाम का स्थान है। यहां एक प्रसिद्ध हनुमान प्रतिमा मारुति रूप में स्थापित है। इस शिला मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने की थी। इस मंदिर में मूर्ति स्थापना के समय से जुड़ी एक अनोखी कथा भी प्रचलित है। कहते हैं कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्रीहनुमानजी का स्वयं प्रवेश हुआ था और आवेश से मूर्ति हिलने लगी। तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है।
बेट द्वारका हनुमान दंडी मंदिर, गुजरात
ऐसी किंवदंती है कि पहले इस मंदिर में मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं। एक कथा के अनुसार ये वही स्थान है जहां अहिरावण ने भगवान श्रीराम लक्ष्मण को छिपा कर रखा था। जब हनुमानजी राम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ। अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया। उसी घटना की स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है।
यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी
कर्नाटक के बेल्लारी जिले के हंपी में स्थित एक मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। विद्वानों के अनुसार यही क्षेत्र है जो प्राचीन काल में प्राचीन किष्किंधा नगरी के नाम से जाना जाता है। वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है। आज भी यहां अनेक गुफाएं मौजूद हैं। इस मंदिर में श्रीराम नवमी से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है।
डुल्या मारुति, महाराष्ट्र
पूना के गणेशपेठ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। कहते हैं कि श्रीडुल्या मारुति का मंदिर 350 वर्ष पुराना है। पत्थर का बना यह मंदिर बहुत ही आकर्षक और भव्य है। यहां डुल्या मारुति की मुख्य मूर्ति एक काले पत्थर के रूप में स्थापित है। हनुमानजी की इस मूर्ति की दाईं ओर श्रीगणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति भी स्थापित है।