मोक्षदायनी काशी नगरी में खास है बाबा विश्वनाथ का मंदिर
भगवान शिव को समर्पित भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है काशी विश्वनाथ का मंदिर। कहते हैं दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
काशी में सदाविराजित हैं शिव
'काशयति प्रकाशयति इदम सर्वम इति काशी' -। काशी को अविमुक्त, आनंद-कानन, आनंद वन, तीर्थराज्ञी, वाराणसी, तपस्थली आदि नामों से भी जाना जाता है। प्राचीन काल से ही काशी की प्रतिष्ठा एक पावन धार्मिक नगरी तथा तीर्थस्थल के रूप में है। स्कंद पुराण के अनुसार, जो प्रलय काल में भी लय को प्राप्त नहीं होती, आकाश मंडल से देखने पर ध्वज के आकार का प्रकाश पुंज रूप में दिखती है, वह काशी अविनाशी है। पौराणिक मान्यता है कि काशी देवाधिदेव महादेव के त्रिशूल पर स्थित है और इसे शिव कभी छोड़कर नहीं जाते। मोक्षदायिनी सप्त पुरियों में सिरमौर है काशी, जहां लोग जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होने आते हैं।
काशी में मिलता है मोक्ष
कहा गया है 'काश्यां मरणांमुक्ति' अर्थात काशी में देह त्याग मात्र से मुक्ति मिल जाती है। इसका कारण यहां द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख आदि विशेश्वर का स्वत: विराजमान होना है। वह काशीपुराधिपति हैं। ज्योतिर्लिंग स्वरूप शिवजी काशी के वासियों का भरण-पोषण करते हैं। अंतकाल में महाश्मशान पर वे आवागमन से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ रूप में विराजमान देवाधिदेव महादेव को काशी व गंगा प्रिय है, तो सावन और सोमवार मनभावन है। इसलिए यह धरती भक्तों के लिए पावन है।
काशी विश्वनाथ हैं खास
वैसे तो संपूर्ण भारत में लोग श्रावणपर्यंत सनातनी भगवान शिव के नाम व्रत-उपवास, पूजन-वंदन, अभिषेक करते हैं, लेकिन काशी के लिए यह उत्सव आनंद-उल्लास का मास है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि बाबा के दरस-परस का माहात्म्य है, बंदिशों के कारण यह भले संभव न हो, लेकिन काशीवासी हों या अन्य श्रद्धालु, बाबा के दर्शन-पूजन मात्र से धन्य हो जाते हैं। मान्यता है कि औघड़दानी भोले बाबा एक लोटा जल व बिल्व पत्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं। वे जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश व मुक्ति भी पक्की कर देते हैं। वैसे उन्हें भांग-धतूरा, मदार पुष्प भी खूब भाता है। ऐसे में श्रावण में संपूर्ण भारत से उमड़े भक्तों के हाथों में यह सब ही सर्वाधिक रूप में पूजन सामग्री रूप में नजर भी आता है। हर दिशा 'हर हर महादेव' व 'बम बोल' उद्घोष से शिवमय हो जाता है। वैसे बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को प्रसन्न कर शिव सायुज्य प्राप्त करने के लिए जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक, अक्षतार्चन, पार्थिवार्चन के साथ ही शिव महिमास्त्रोत, शिव तांडव, शिव सहस्त्रनाम, शिव मंत्र आदि के जप का विधान है। काशी खंड के अनुसार, काशी में बाबा का सिर्फ एक बार दर्शन करने से जीवन की सभी मनोकामनाओं सहित धर्म, अर्थ, काम मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति सांसारिक भयों से मुक्ति पा जाता है।