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विवाह पंचमी पर नेपाल के जानकी मंदिर में होता है विशेष आयोजन

विवाह पंचमी के अवसर पर जानिए उस मंदिर के बारे में जहां इस दिन का है विशेष महत्‍व। ये है नेपाल का प्रसिद्ध जानकी मंदिर।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 04:17 PM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 04:20 PM (IST)
विवाह पंचमी पर नेपाल के जानकी मंदिर में होता है विशेष आयोजन
विवाह पंचमी पर नेपाल के जानकी मंदिर में होता है विशेष आयोजन

श्रीराम का ससुराल 

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सीता मिथिला नरेश जनक की पुत्री थीं और ये स्‍थान अब नेपाल में है। पौराणिक हिंदू मान्यता के अनुसार यहीं सीता माता विवाह पूर्व रहा करती थीं। इसी लिए ये श्री राम का ससुराल है और माता सीता का मायका। यहीं पर जानकी मन्दिर जनकपुर में प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर और ऐतिहासिक स्थल है जो देवी सीता को समर्पित है। मन्दिर की बनावट हिन्दू-राजपूत वास्तुकला पर आधारित है। यह नेपाल में राजपूत स्थापत्यशैली का सबसे महत्त्वपूर्ण  उदाहरण है। इसे जनकपुरधाम भी कहते हैं। यह मन्दिर 4860 वर्ग फ़ीट क्षेत्र में फैला है और ऐतिहासिक तथ्‍यों के आधार पर माना जाता है कि इसका निर्माण 1895 में आरंभ होकर 1911 में पूर्ण हुआ था। बताते हैं कि जानकी मन्दिर का निर्माण मध्य भारत के टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुमारी ने करवाया गया था। उस समय इसे बनाने में करीब 9 लाख रुपये लगे थे तभी से इसका एक नाम नौलखा मन्दिर भी पड़ गया। वैसे यहा स्‍थापित सीता जी की प्रतिमा निर्माण से बहुत पहले की और प्राचीन बताई जाती है संभवत: 1657 की। 

विवाह मंडप में होती है विवाह पंचमी की धूमधाम

यहां धनुषा नाम से विवाह मंडप स्‍थित है इसी में विवाह पंचमी के दिन पूरी रीति-रिवाज से राम-जानकी का विवाह किया जाता है। जनकपुरी से 14 किलोमीटर 'उत्तर धनुषा' नाम का स्थान है। बताया जाता है कि रामचंद्र जी ने इसी जगह पर शिव धनुष तोड़ा था। यहां मौजूद एक पत्थर के टुकड़े को उसी का अवशेष कहा जाता है। 'विवाह पंचमी' के अवसर पर खास तौर पर इस मंदिर में आते हैं। 

तालाबो और मंदिरों का बाहुल्‍य

जनकपुर में कई इस मंदिर के आसपास कई अन्य मंदिर और तालाब भी हैं। प्रत्येक तालाब के साथ अलग-अलग कहानियां हैं। 'विहार कुंड' नाम के तालाब के पास 30-40 मंदिर हैं। मन्दिर परिसर और आसपास करीब 115 सरोवर और कुंड भी हैं, जिनमें गंगासागर, परशुराम कुंड और धनुष-सागर अत्याधिक पवित्र माने जाते हैं। मंडप के चारों ओर चार छोटे-छोटे ‘कोहबर’ हैं जिनमें सीता-राम, माण्डवी-भरत, उर्मिला-लक्ष्मण एवं श्रुतिकीर्ति-शत्रुघ्‍न की मूर्तियां स्‍थापित हैं।


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