यहां विष्णु के कहने पर इंद्र ने तपस्या की और विजयश्री का वरदान पाया
धर्मनगरी के विख्यात श्री सुरेश्वरी देवी मंदिर नवरात्रों की पूजा के लिए विशेष स्थान रखता है। राजाजी नेशनल पार्क की सीमा में प्रतिष्ठित इस मंदिर में पूरे वर्ष शक्ति की उपासना होती है।
हरिद्वार। धर्मनगरी के विख्यात श्री सुरेश्वरी देवी मंदिर नवरात्रों की पूजा के लिए विशेष स्थान रखता है। राजाजी नेशनल पार्क की सीमा में प्रतिष्ठित इस मंदिर में पूरे वर्ष शक्ति की उपासना होती है।
मान्यता है कि यह वह स्थल है जहां भगवान विष्णु के कहने पर देवराज इंद्र ने मां भगवती की तपस्या की थी और विजयश्री का वरदान पाया था।
सर्वस्वीकार्य मान्यता के अनुसार एक बार देवराज इंद्र का भू-लोक के राजा रजी के पुत्रों के साथ युद्ध हुआ। इसमें देवराज पराजित हो गए। व्यथित होकर इंद्र देव गुरू बृहस्पति की शरण में पहुंचे। देव गुरू बृहस्पति ने इंद्र को श्री हरि विष्णु भगवान की शरण में जाने को कहा। इसके बाद श्री हरि विष्णु भगवान ने इंद्र को शक्ति की उपासना करने को कहा।
मान्यता है कि देवराज ने इसी स्थान पर शक्ति की उपासना की। इस पर प्रसन्न होकर शक्ति प्रकट हुई और देवराज को विजश्री का वरदान दिया। इंद्रदेव का नाम सुरेश्वर भी कहा जाता है। इसलिए यह जगह श्री सुरेश्वरी देवी के नाम से विख्यात हो गई। यहां माता की प्राचीन मूर्ति भी विराजमान है। वर्ष-1552 में मंदिर का जीर्णोद्वार किया गया। साल भर श्रद्धालु मंदिर के दर्शन करने को पहुंचते हैं। मंदिर में समय-समय पर भंडारे का आयोजन श्रद्धालुओं का प्रसाद वितरित किया जाता है। त्योहार-पर्व के अलावा रविवार को यहां श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है। मंदिर में शारदीय और वासंतीय नवरात्रों में शतचंडी यज्ञ होता है।
भक्तों में मान्यता है कि मंदिर के दर्शन मात्र से ही माता के भक्तों को हर विघ्न-बाधाओं पर विजय हासिल करने का वरदान मिल जाता है।