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मंदिर में पहली बार दर्शन के लिए आने वाले भक्‍त काफी आश्‍चर्यचकित हो जाते हैं

उड़ीसा के टिटलागढ़ की पहाडि़यों पर एक ऐसा मंदिर स्थित है, जहां का तापमान बाहर के मुकाबले काफी कम रहता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 14 May 2016 11:51 AM (IST)Updated: Sat, 14 May 2016 12:04 PM (IST)
मंदिर में पहली बार दर्शन के लिए आने वाले भक्‍त काफी आश्‍चर्यचकित हो जाते हैं

भुवनेश्वर। ओडिशा के टिटलागढ़ की पहाडि़यों पर एक ऐसा मंदिर स्थित है, जहां का तापमान बाहर के मुकाबले काफी कम रहता है। इस शिव मंदिर में भगवान शंकर और पार्वती की मूर्ति विराजमान है। पथरीली चट्टानों पर मंदिर के बने होने की वजह से बाहर का तापमान तकरीबन 55 डिग्री तक रहता है। लेकिन मंदिर के अंदर का तापमान उससे काफी कम लगभग 20 डिग्री के आसपास रहता है।

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इस शिव मंदिर के लिए भक्तों में काफी मान्यताएं हैं। रोजाना हजारों भक्त मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं। मंदिर के पुजारी पंडित सुमन पाढ़ी का कहना है कि रोजाना बाहर का तापमान सूरज निकलने के साथ-साथ बढ़ता जाता है। कई बार दोपहर के समय यह तापमान 55 डिग्री तक चला जाता है। इसके बावजूद मंदिर के अंदर एसी जैसा तापमान बना रहता है।

सुमन पाढ़ी कहते हैं कि इसके पीछे जो मान्यताएं है वह काफी चौंकाने वाली है। चूंकि, मंदिर में काफी प्रतिमाएं स्थापित हैं, इसलिए वहीं से ठंडी हवा निकलती है और इसी वजह से पूरा मंदिर ठंडा बना रहता है।

उन्होंने बताया कि मंदिर में पहली बार दर्शन के लिए आने वाले भक्त काफी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। वे जबतक मंदिर के बाहर रहते हैं, पूरी तरह से पसीने से भीगे होते हैं लेकिन मंदिर के अंदर आने के चंद सेकेंड के अंदर ही पूरा पसीना सूख जाता है। मंदिर में काम करने वाले कई अन्य पुजारियों का भी कहना है कि रात के समय ठंड इतनी अधिक हो जाती है कि उन्हें कंबल ओढ़कर सोना पड़ता है।

बताते चलें कि यह मंदिर तकरीबन 3000 वर्षों पुराना है। पहले यहां शिव-पार्वती की प्रतिमाएं थीं लेकिन फिर चट्टानों को काटकर गुफानुमा मंदिर बना दिया गया।


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