जीवनदायिनी है गंगा
गंगा हिमगिरि की जटाशंकरी, यह खेतीहर की महारानी, गंगा भक्तों की अभय देवता, यह तो जन जीवन का पानी कवि माखन लाल चतुर्वेदी की ये पंक्तियां जहां पवित्र गंगा के महत्व को दर्शाती हैं।
गाजियाबाद। गंगा हिमगिरि की जटाशंकरी, यह खेतीहर की महारानी, गंगा भक्तों की अभय देवता, यह तो जन जीवन का पानी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी की ये पंक्तियां जहां पवित्र गंगा के महत्व को दर्शाती हैं। मनुष्य के जीवन के आरंभ से अंत तक अहम योगदान देने वाली गंगा नदी ना सिर्फ जीवन दायिनी है बल्कि जीवन की अंतिम क्षण भी लोग गंगा मैया की गोद में बिताना चाहते हैं। भारत की विरासत मानी जाने वाली गंगा का पावन जल मन और आत्मा को शुद्ध करता है। इसके साथ ही ये मानव मस्तिष्क में सात्विक विचारों को भी जन्म देता है।
क्या है गंगा दशहरा
इस वर्ष 31 मई को ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी को गंगा दशहरा है। इस दिन गंगा जी स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची और महाराजा भगीरथ की तपस्या से धरती पर इनका अवतरण हुआ। धरती पर गंगा दशहरा का दिन दिन पाप नाशिनी गंगा की उत्पत्ति का दिन माना जाता है।
दूषित विचारों को दूर करता है गंगाजल
पंडित विष्णु दत्त सरस कहते हैं कि गंगा शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक मानी जाती है। पुण्य प्रदायिनी गंगा का जीवन के सभी संस्कारों में विशेष महत्व है। गंगा का पवित्र जल पुण्य लाभ को प्राप्त करने और दूषित विचारों को दूर करने में सहायक होता है।
गंगा जल को अवश्य छिड़के
पं.शिवकुमार शर्मा बताते हैं कि गंगाजल सबसे पवन जल माना गया है। ऐसे में गंगा दशहरे के दिन गंगा में स्नान करना अत्यंत लाभकारी होता है। घर में स्नान के पानी में गंगाजल की बूंदों को अवश्य डाले। कच्चे दूध में भी गंगाजल मिलाकर छिड़कें।
मांगलिक दोष को दूर करती है गंगा
हनुमान मंदिर के पुजारी पं. हरीश बताते हैं कि गंगा दशहरे पर गंगा जी का विशेष पूजन अत्यंत लाभ देने वाला होता है। इस दिन गंगा जी के पूजन से सभी मांगलिक दोष भी दूर हो जाते हैं। गंगा दशहरा पर गंगा जी की आरती अवश्य करनी चाहिए।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर