Jagannath Rath Yatra क्या है भगवान जगन्नाथ के रथ की विशेषता? जानें रथ यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें

  • Story By: Shantanoo Mishra

पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली गई।भगवान जगन्नाथ बलभद्र देव और देवी सुभद्रा विशेष रथों पर विराजमान होकर गुंडिचा मंदिर तक गए। बता दें कि रथ यात्रा में रथों का भी विशेष महत्व है।

भगवान जगन्नाथ का रथ


भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष के नाम से जाना जाता है। इस रथ पर लहरा रहे ध्वज का नाम त्रिलोक्यमोहिनी है। प्राचीन काल में इस रथ को गरुड़ध्वज के नाम से भी जाना जाता था। बता दें की नंदीघोष के 16 पहिए होते हैं और इस रथ की ऊंचाई 42.65 फीट होती है। इस रथ के सारथी दारुक हैं। रथ का रंग लाल या पीला होता है और इसलिए दूर से ही भक्त समझ जाते हैं कि भगवान जगन्नाथ का रथ नजदीक आ रहा है।

भगवान बलभद्र का रथ


भगवान बलभद्र या बलराम के रथ का नाम तालध्वज है। इस रथ में कुल 14 पहिए होते हैं और उनके रथ का रंग लाल या हरा होता। बता दें कि इस रथ की ऊंचाई 43.30 फीट होती है और यह भगवान जगन्नाथ के रथ से थोड़ा ऊंचा होता है। इसलिए लोग समझ जाते हैं कि भगवान बलभद्र नजदीक आ रहे है।

बहन सुभद्रा का रथ


भगवान बलभद्र और जगन्नाथ भगवान की छोटी बहन सुभद्रा का रथ का नाम दर्पदलन है। इस रथ की ऊंचाई 42.23 फीट है और अन्य रथों की तुलना में सबसे छोटा रथ है। दर्पदलन का रंग काला या नीला होता है और देवी सुभद्रा के रथ के सारथी अर्जुन हैं।