जब हर काम ज़्ारूरी होता है
वर्कप्लेस मैनेजमेंट हर कर्मचारी के लिए ज़्ारूरी है। इसमें मुश्किल तब आती है, जब एक साथ कई काम सामने आ जाएं और सभी प्राथमिकता के आधार पर करने हों। ज़्ारूरी कार्यों में से भी तुरंत किए जाने वाले कार्यों को छांटना अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में टाइम मैनेजमेंट की
वर्कप्लेस मैनेजमेंट हर कर्मचारी के लिए ज्ारूरी है। इसमें मुश्किल तब आती है, जब एक साथ कई काम सामने आ जाएं और सभी प्राथमिकता के आधार पर करने हों। ज्ारूरी कार्यों में से भी तुरंत किए जाने वाले कार्यों को छांटना अनिवार्य हो जाता है। ऐसे में टाइम मैनेजमेंट की बडी भूमिका होती है। कैसे करें समय का बेहतर इस्तेमाल, जानें एक्सपर्ट से।
जमाना मल्टीटास्किंग का है। कई बार कार्यस्थल में एक साथ कई काम सामने आते हैं और सभी को प्राथमिकता देना ज्ारूरी होता है। ऐसे में व्यक्ति दबाव महसूस करने लगता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज्ोज्ा करनी पडती हैं और 'ऑल इज्ा वेल कह कर खुद को समझाना पडता है।
कॉरपोरेट कल्चर में हर किसी को मल्टीटास्किंग करनी पडती है। हर एक के कंधे पर कोई न कोई अतिरिक्त ज्िाम्मेदारी होती है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ स्किल्स को अपनाना ज्ारूरी है।
प्राथमिकताएं तय करें
क्या सचमुच हम अपनी प्राथमिकताओं को समझ पाते हैं? उन्हें क्रमवार रख पाते हैं? यह समझने के लिए ख्ाुद से कुछ सवाल पूछें-
1. कौन सा प्रोजेक्ट ऐसा है, जिस पर तुरंत ध्यान न देने से नकारात्मक प्रभाव पडेगा।
2. कौन सा प्रोजेक्ट ऐसा है, जिस पर तुरंत ध्यान देने से वह बेहतर लाभ दे सकता है।
3. कौन से लॉन्ग-टर्म प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं, जो समय के साथ धीरे-धीरे होते हैं और कौन से शॉर्ट-टर्म कार्य हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देना
ज्ारूरी है।
कार्य का बंटवारा
टीम लीडर के लिए यह •ारूरी है कि अपने सहकर्मियों के बीच सही ढंग से कार्य का बंटवारा करे। हर ऑफिस में कुछ लोग अन्य के मुकाबले ज्य़ादा समझदार और आगे बढ कर काम करने वाले होते हैं। ते•ा गति से बेहतर परिणाम देने वाले कर्मचारियों पर स्वाभाविक रूप से कार्य का दबाव ज्य़ादा हो जाता है। कारण यह है कि टीम लीडर को यह भरोसा होता है कि अमुक सहकर्मी कार्य को निश्चित समय पर पूरा कर लेगा। लेकिन इसका नकारात्मक परिणाम यह होता है कि अन्य लोग कार्य की गंभीरता और उसकी •िाम्मेदारी को समझ ही नहीं पाते। किसी एक पर दबाव ज्य़ादा न हो, इसके लिए कार्यों का सही बंटवारा •ारूरी है। अगर टीम छोटी है तो यह तय करना भी ज्ारूरी है कि कैसे हर व्यक्ति को उसकी स्किल्स के अनुसार कार्य सौंपे जाएं। यहां टीम-भावना भी काम करती है। यह सेंस डेवलप करना ज्ारूरी है कि अगर किसी पर कार्य का दबाव कुछ ज्य़ादा है तो दूसरा सहकर्मी आगे बढ कर उसकी कुछ ज्िाम्मेदारियां खुद पर ले। यह वर्क-कल्चर कर्मचारी और संस्थान दोनों के हित में है।
न कहना भी •ारूरी
हर कोई हर काम बराबर क्षमता से नहीं कर सकता। दिन के 8-10 घंटे वर्कप्लेस में बिताने और लगातार काम करने के बाद भी यदि शाम को ऑफिस छोडऩे से पहले ऐसा महसूस हो कि ठीक से काम नहीं हो पा रहा है तो इसका अर्थ यह है कि या तो आप वर्कोहॉलिक हैं या ख्ाुद से ज्य़ादा अपेक्षाएं रखते हैं। अगर ऐसा महसूस हो रहा हो कि काम का बोझ ज्य़ादा है तो दबाव में काम करने के बजाय कुछ कार्यों को न कहना भी सीखें। अपनी सीमाएं तय करें, अन्यथा जल्दी काम से ऊबने लगेंगे और इसका कार्य की गुणवत्ता पर भी असर पडेगा। जो टास्क अच्छे ढंग से कर रहे हैं, उसके लिए ख्ाुद को शाबासी भी दें।
टाइम मैनेजमेंट टेकनीक्स
डेडलाइंस को समय पर निपटाने के लिए टाइम मैनेजमेंट सबसे ज्ारूरी होता है। छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स रोज्ा निपटाने और बडे प्रोजेक्ट्स के लिए रोज्ा थोडा वक्त निकाल कर पर्याप्त होमवर्क करने से कार्य शांतिपूर्ण ढंग से चल सकता है। 'टाइप अ थॉट के सीईओ और फाउंडर डॉ. अजय फाडके कहते हैं, टाइम मैनेजमेंट केवल एक स्किल नहीं, बल्कि एक माइंडसेट है। अगर 8 घंटे भी आपके काम के लिए पर्याप्त नहीं होते तो इन टिप्स पर ग्ाौर करें। ख्ाुद को बेहतर बनाने के लिए रोज्ा कोशिश करनी ज्ारूरी है।
1. सही शुरुआत
सकरात्मक सोच से स्थितियों को बदलना आसान हो जाता है। टाइम मैनेजमेंट कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि एक दिन में सीखा जा सके। सही दृष्टिकोण और सही कोशिशों से हर कोई अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है।
2. टाइम शेड्यूल बनाएं
हर दिन काम शुरू करने से पहले 15-20 मिनट निकालें ताकि दिन भर के कार्यों को सही ढंग से प्लैन कर सकें। यह दिन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इससे तय होगा कि बाकी के कार्य कैसे करेंगे।
3. प्राथमिकताएं तय करें
अनिवार्य कार्यों की लिस्ट बनाएं। ऐसे कार्य पहले करें जो सबसे अधिक ज्ारूरी हैं। ऐसे कार्यों से शुरुआत करें जिनमें मानसिक क्षमता की ज्य़ादा ज्ारूरत हो। जैसे रिसर्च, नए आइडियाज्ा के लिए दिमाग्ा का फ्री होना ज्ारूरी है। इन्हें पहले करें। रिपोट्र्स बनाने, डॉक्युमेंटेशन जैसे काम सेकंड हाफ में करें।
4. डेस्क को क्लटर-फ्री रखें।
जो काम कर रहे हैं, उसी से संबंधित पेपर वर्क या फाइल्स सामने रखें, बाकी को ड्रॉअर में रखें। स्टेशनरी और अन्य सामानों को भी यथास्थान रखने की आदत डालें।
5. पोमोडोरो टेकनीक
कुछ पॉपुलर टाइम मैनेजमेंट टेकनीक्स हैं, जिनसे टास्क को समय पर पूरा करने में मदद मिल सकती है। जिन कार्यों को निश्चित समय पर पूरा करना हो, उनके लिए 25 मिनट पर टाइमर फिक्स करें। इस बीच फोन कॉल्स, टेक्स्ट मेसेज, सोशल मीडिया और मेल्स चेक करने से बचें। हर 25 मिनट बाद 10 मिनट का ब्रेक लें। फिर अगले 25 मिनट तक टास्क में जुट जाएं। 25 को सुविधानुसार 30 या 35 मिनट कर सकते हैं। इस तरह के 5-6 हिस्से करें और तय करें कि इनमें काम समाप्त कर लेंगे। इससे कार्यक्षमता बढेगी, समय पर टास्क पूरे होंगे।
6. तुरंत जवाब देने की हडबडी न करें
बार-बार आने वाले फोन कॉल्स और मेल्स से काम की एकाग्रता भंग होती है। इसलिए ज्ारूरी कार्य करते हुए हर फोन कॉल्स या मेल्स का जवाब देने की हडबडी न करें। इनके लिए समय फिक्स करें, ख्ााली समय में कॉल करें या मेल का जवाब दें।
7. ब्रेक लेते रहें
हर एक घंटे बाद 5-10 मिनट का ब्रेक लेना ज्ारूरी है। इससे प्रोडक्टिविटी बढती है, साथ ही लगातार एक ही पोस्चर में डेस्क पर बैठे रहने की बोरियत भी ख्ात्म होती है। सीट से उठें, शरीर को स्ट्रेच करें, स्क्रीन से आंखें हटाएं और कुछ देर वॉक करें। इससे मानसिक-शारीरिक थकान कम होगी।
8. शेयरिंग भी है ज्ारूरी
अगर बॉस या प्रोजेक्ट लीडर की भूमिका में हैं तो यह ज्ारूरी है कि अपने समय को वहीं इन्वेस्ट करें जहां सर्वाधिक ज्ारूरी हो। अगर ऐसे सहकर्मी हैं जिनमें कार्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्किल है तो अच्छे नतीजों के लिए उन्हें वह कार्य सौंपें। सारा काम ख्ाुद करने के बजाय उन लोगों को काम सौंपें जो उस कार्य को बेहतर ढंग से कर सकें।
9. यथार्थवादी रहें
कई बार ऐसा समय भी आता है जब पूरा ध्यान देने और टाइम मैनेजमेंट करने के बावजूद काम में सफलता नहीं मिल पाती। ऐसे में ख्ाुद को दोष देने से बचें और उस कार्य को करने के लिए थोडा और समय लें। कोई भी परफेक्ट नहीं होता, सभी ग्ालतियां करते हैं और हर कार्य निश्चित समय पर ही पूरा हो, ऐसा हमेशा संभव नहीं है। इन तीन बातों को याद रखना ज्ारूरी है। यथार्थवादी रहते हुए ही काम करना चाहिए। बेहतर परफॉर्मेंस के लिए ख्ाुद से यथार्थवादी अपेक्षाएं होना भी ज्ारूरी है।
10. टाइम मैनेजमेंट टास्क नहीं, आदत है
इन टिप्स से कार्यस्थल में व्यवस्थित रहने में मदद मिलती है। लेकिन ये सारी टेकनीक्स एक दिन में नहीं सीखी जा सकतीं। इन्हें धीरे-धीरे कोशिशों से अपनी आदत में शुमार किया जा सकता है। ज्ारूरी यह है कि ऑर्गेनाइज्ड़ रहें, साथ ही अपनी ताकत और कमज्ाोरियों को पहचानें, तभी सही ढंग से कार्यस्थल में परफॉर्म कर सकेंगे।
इंदिरा राठौर