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दोगुनी खुशियां दोहरी जिम्मेदारी

अगर आप दूसरे बच्चे की प्लैनिंग कर रही हैं तो सखी की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं, लेकिन इस बार जिम्मेदारियां भी दोगुनी होंगी। इसलिए आपको खास तौर पर सजगता बरतनी चाहिए।

By Edited By: Published: Sat, 04 Jun 2016 04:40 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jun 2016 04:40 PM (IST)

चलो अच्छा हुआ, अब फैमिली कंप्लीट हो गई। घर में दूसरा बच्चा आने के बाद पेरेंट्स को बधाई देते हुए ज्यादातर लोग यही वाक्य दोहराते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि दो बच्चों के बिना परिवार की कल्पना थोडी अधूरी सी लगती है। बच्चे के व्यक्तित्व के संतुलित विकास के लिए परिवार में भाई या बहन का होना बेहद जरूरी है। इसलिए अगर आप दूसरे बच्चे के बारे में सोच रही हैं तो आपको ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि दोनों बच्चों के बीच उम्र के अधिक फासले की वजह से बडे होने के बाद भी वे एक-दूसरे के साथ अच्छी तरह एडजस्ट नहीं कर पाते। आदर्श स्थिति तो यही होती है कि पहला बच्चा जब स्कूल जाना शुरू कर दे, तब घर में नए शिशु का आगमन होना चाहिए। इस लिहाज से दोनों बच्चों की उम्र में लगभग तीन-चार साल का अंतर ठीक रहता है।

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लें जिम्मेदारियों का जायजा

अपने परिवार में एक और नए सदस्य को लाने से पहले स्थितियों का जायजा लेना बहुत जरूरी है। मसलन पति-पत्नी और पहले बच्चे की सेहत, परिवार की आर्थिक स्थिति, अगर स्त्री भी कामकाजी है तो उसके लिए अपनी जॉब का ध्यान रखना भी जरूरी हो जाता है। आप यह भी सुनिश्चित कर लें कि जब आप डिलिवरी के लिए अस्पताल में होंगी तो आपकी अनुपस्थिति में घर पर बडे बच्चे की देखभाल कौन करेगा। इन तमाम मुद्दों पर विचार करने के बाद जब सारी स्थितियां आपके अनुकूल हों तभी आपको दूसरे बच्चे के बारे में सोचना चाहिए।

जरूरी है तैयारी

जब आपकी प्रेग्नेंसी कंफर्म हो जाए तो बातों ही बातों में अपने बडे बच्चे को हमेशा यह बताती रहें कि घर में जल्द ही तुम्हारे साथ खेलने के लिए तुम्हारा छोटा भाई/बहन आने वाला है। कुछ पेरेंट्स यह सोच कर अपने बच्चे से इस बारे में कोई बात नहीं करते कि समय आने पर वह अपने आप सब कुछ जान जाएगा, पर ऐसा सोचना गलत है। यह किसी भी बच्चे के लिए बहुत बडी बात होती है कि परिवार में उसके हिस्से का प्यार बांटने के लिए उससे भी छोटा सदस्य आने वाला है। अगर उसे मानसिक रूप से तैयार नहीं किया गया तो उसके कोमल मन पर इसका बहुत बुरा असर पडेगा। उसके दिल में अपने नए भाई/बहन और माता-पिता के प्रति स्थायी रूप से नाराजगी की भावना भर जाएगी। इसलिए अपने बडे बच्चे को सचेत ढंग से समझाएं कि छोटे भाई/बहन की वजह से आपके प्यार में कोई कमी नहीं आएगी, लेकिन वह अपना कोई भी काम खुद नहीं कर पाएगा। इसलिए हमें मिल-जुलकर उसका ध्यान रखना पडेगा। अपने बेडरूम में ही उसके लिए एक अलग बेड लगवाएं और उसे प्यार से समझाएं कि अब तुम बडे हो गए हो। इसलिए तुम्हें बडों की तरह अपने बेड पर सोना चाहिए। तुम्हारे छोटे भाई/बहन को दूध पिलाने या उसका डायपर चेंज करने के लिए मुझे बार-बार उठना होगा। इसलिए मेरा उसके पास रहना बहुत जरूरी है। टीवी पर जब भी हमउम्र भाई-बहनों की जोडी दिखाई दे तो वह दृश्य अपने बच्चे को दिखाकर उसे समझाएं कि कुछ दिनों बाद तुम भी इसी तरह अपने छोटे भाई/बहन के साथ खेलोगे।

जरूरी है भागीदारी

घर में आने वाले नन्हे मेहमान के स्वागत से जुडी हर तैयारी में अपने बडे बच्चे को जरूर शामिल करें। नए बच्चे के लिए नाम के चुनाव से लेकर उससे जुडी चीजों की शॉपिंग के मामले में आप न केवल उसकी सलाह लें, बल्कि उसकी कुछ बातों पर गंभीरता से अमल भी करें। इससे वह बहुत खुश होगा और उसमें जिम्मेदारी की भावना विकसित होगी। डिलिवरी के बाद जब नवजात शिशु आपके पास आ जाए तो उससे मिलवाने के लिए अपने बडे बच्चे को अस्पताल जरूर बुलवाएं। अगर वह अपने छोटे भाई/बहन को करीब से देखना या गोद में उठाना चाहे तो उसे मना न करें। दो बच्चों के बीच अच्छी इमोशनल बॉण्डिंग के लिए यह बहुत जरूरी है कि पहले दिन से ही बडे बच्चे को एहसास दिलाया जाए कि यह भाई/बहन तुम्हारे लिए आया है। कुछ ही दिनों में जब यह बडा हो जाएगा तो तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त बनेगा। इसी तरह अस्पताल से घर लौटने के बाद नवजात शिशु की देखभाल से जुडे कार्यों में बडे बच्चे को भी शामिल करें। मसलन उसे नहलाने के बाद तैयार कराते समय बडे बच्चे को भी अपने साथ बिठाएं और बीच-बीच में उससे पाउडर, बॉडी लोशन और कंघी जैसी चीजें लाने को कहें। इससे उसके मन में अपने नए भाई या बहन के प्रति अपनत्व की भावना विकसित होगी और उसे अकेलापन महसूस नहीं होगा।

बना रहे संतुलन

घर में नया बच्चा सभी के आकर्षण का केंद्र होता है और वाकई उसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे में मां की जिम्मेदारियां भी बहुत ज्यादा बढ जाती हैं। चाहे आप कितनी ही व्यस्त क्यों न हों पर अपने बडे बच्चे के लिए समय जरूर निकालें। रोजाना कम से कम एक बार उसे अपनी गोद में बिठाकर उससे बातें करना या उसे अपने हाथों से खिलाना न भूलें। रात को भले ही वह अलग बेड पर सोता हो, पर उसके साथ लेटकर उसे बेड टाइम स्टोरी सुनाने का समय जरूर निकालें। अगर वह स्कूल जाता है तो आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि नए शिशु की वजह से उसकी दिनचर्या अव्यवस्थित न हो। उसे नियमित रूप से पढने के लिए बैठाएं। जब छोटा बच्चा सो रहा हो, उसी दौरान उसका होमवर्क पूरा करवा दें। इसी तरह छुट्टी वाले दिन भी उसके खाने-नाश्ते के समय का पूरा ध्यान रखें। उसके पिता को यह जिम्मेदारी सौंपें कि वे उसे रोजाना शाम को आसपास के पार्क में ले जाएं। हर वीकेंड में उसे आउटिंग के लिए किसी शॉपिंग मॉल या मार्केट में ले जाएं। वहां अगर वह अपने लिए कोई खिलौना खरीदता है तो उससे कहें कि अपने छोटे भाई के लिए भी कोई नई चीज पसंद करे। इससे अपने भाई या बहन के साथ उसका भावनात्मक बंधन मजबूत होगा। अपने प्यार भरे व्यवहार से बडे बच्चे को हमेशा यह एहसास दिलाएं कि वह आपके लिए बेहद खास है। अपने पहले बच्चे को भरपूर क्वॉलिटी टाइम दें, ताकि वह खुद को अकेला महसूस न करे।

खुद को न भूलें

आमतौर पर दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान बढती पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से स्त्रियां अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पातीं। यह पूरे परिवार के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। इसलिए दूसरी प्रेग्नेंसी में आप इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें :

-अब आपकी जिम्मेदारियां बढने वाली हैं। इसलिए अनावश्यक रूप से थकाने वाले कार्यों से बचने की कोशिश करें।

-घरेलू कार्यों या बडे बच्चे की देखभाल में पति से सहयोग लेने में संकोच न बरतें।

-डिलिवरी की पूर्व निर्धारित तिथि से पहले ही घर को इस ढंग से व्यवस्थित कर लें कि अस्पताल से घर लौटने के बाद आपको कोई परेशानी न हो।

-अगर संभव हो तो अपने लिए किसी घरेलू हेल्पर की व्यवस्था करवा लें।

-दोपहर में अपने आराम के लिए थोडा वक्त जरूर निकालें।

-अपने खानपान का पूरा ध्यान रखें। सुबह बहुत देर तक खाली पेट न रहें। एक ही बार ज्यादा खाने के बजाय हर दो-तीन घंटे के अंतराल पर थोडा-थोडा खाती रहें।

-अगर कभी रास्ते में पैदल चलते समय बडा बच्चा आपकी गोद में आने की जिद करे तो उसे प्यार से समझा दें कि अभी कुछ दिनों तक आप उसे गोद में नहीं उठा पाएंगी।

-रूटीन चेकअप और डॉक्टर के निर्देशों के पालन में जरा भी लापरवाही न बरतें।

अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगी तो जिम्मेदारियों के साथ आपकी खुशियां भी दोगुनी हो जाएंगी।

सखी फीचर्स

इनपुट्स : डॉ.आरती आनंद, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली


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