इसे रोकना है जरूरी
आपके दोनों बेटों के बीच मात्र एक साल का अंतर है। ज़ाहिर है, जबछोटे बेटे का जन्म हुआ होगा तो आप उसकी देखभाल में व्यस्त हो गई होंगी। इससे उसके बड़े भाई को आपकी ओर से वह प्यार और अटेंशन नहीं मिल पाया होगा, जो उसके लिए बेहद ज़रूरी था।
सुषमा शर्मा, गुडग़ांव
आपके दोनों बेटों के बीच मात्र एक साल का अंतर है। जाहिर है, जबछोटे बेटे का जन्म हुआ होगा तो आप उसकी देखभाल में व्यस्त हो गई होंगी। इससे उसके बडे भाई को आपकी ओर से वह प्यार और अटेंशन नहीं मिल पाया होगा, जो उसके लिए बेहद जरूरी था। जब दो बच्चों के बीच उम्र का इतना कम फासला हो तो दोनों पर समान रूप से ध्यान दे पाना मुश्किल हो जाता है। अपने बेटों को इस समस्या से बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप सचेत रूप से उन दोनों के साथ बराबरी का व्यवहार करें। बच्चों में बातचीत की शैली इतनी विकसित नहीं होती कि वे अपनी भावनाएं ख्ाुल कर अभिव्यक्त कर सकें। जब भी भाई-बहनों के प्रति उनके मन में असंतोष होता है तो वे जिद करने या रोने-चिल्लाने जैसी हरकतें करते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए पहले हमें अपने बच्चे की भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए। भाई-बहनों के प्रति प्रतिस्पर्धा की ऐसी भावना को सिब्लिंग राइवलरी कहा जाता है और यह बेहद स्वाभाविक है। अगर इसे पॉजिटिव ढंग से देखा जाए तो इंसान के मन में यहीं से दूसरों की तरह ख्ाुद भी आगे बढऩे की लालसा पैदा होती है, जो उसे कामयाबी दिलाने में मददगार होती है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि बच्चे का हर व्यवहार इसी भावना से प्रेरित न हो, अन्यथा वह ईष्र्यालु और चिडचिडा हो जाएगा। बच्चों को ऐसी समस्या से बचाने के लिए बेहतर उपाय तो यही है कि दो बच्चों की उम्र में कम से कम तीन साल का फासला हो, ताकि दूसरी संतान के जन्म तक छोटा बच्चा प्ले स्कूल जाना शुरू कर दे और मां दोनों पर समान रूप से ध्यान दे सके। बच्चे को पहले से ही इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार करना जरूरी है कि घर में उसके नए भाई या बहन का आगमन होने वाला है, जो उसका सबसे अच्छा दोस्त होगा/होगी। नए शिशु की देखभाल से जुडी एक्टिविटीज में अपने बडे बच्चे को विशेष रूप से शामिल करें। छोटे भाई या बहन के साथ ज्य़ादा वक्त बिताने से उसके मन में स्वाभाविक रूप से अपनत्व की भावना विकसित होगी। रोजाना अपने बडे बच्चे को गोद में बिठा कर उससे प्यार भरी बातें करना न भूलें। इससे वह ख्ाुद को उपेक्षित महसूस नहीं करेगा। गिफ्ट देने के मामले में भेदभाव कभी न बरतें। किसी भी गलती के लिए सजा देते समय उसका कारण ज्ारूर बताएं, ताकि बच्चे के मन में यह ख्ायाल न आए कि मम्मी सिर्फ मुझे डांटती हैं। अगर वे एक ही खिलौने के लिए लडते हैं तो उन्हें समझाएं कि दोनों साथ मिलकर खेलें, वरना उनसे वह खिलौना छीन लिया जाएगा।
अगर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो ऐसी समस्या को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। द्य
पेरेंटिंग टिप्स
आपके व्यवहार में केयरिंग और शेयरिंग की भ्भावना दिख्खाई देनी चाहिए क्योंकि बच्चे अपने पेरेंट्स से ही सीख्खते हैं।
बच्चों को इतनी आज्ाादी ज्ारूर दें कि वे निडर होकर आपके साथ अपने दिल की बातें शेयर कर सकें।
ख् ख्ख्ख्अपने दो बच्चों की तुलना कभ्भी न करें। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपके बच्चों के सामने ऐसा करता है तो उसे भ्भी मना करें।
अगर बच्चों के बीच किसी बात को लेकर झगडा हो तो दोनों को ऐसा करने से मना करें। ऐसे में किसी एक के प्रति विशेष रूप से प्यार न जताएं। उनके मन में एक-दूसरे के प्रति ईष्र्या की भ्भावना पैदा होगी।
अगर कभ्भी आपके दोनों बच्चे प्यार से साथ मिलकर ख्खेल रहे हों तो उनकी तारीफ करना न भ्भूलें।
गगनदीप कौर
चाइल्ड एंड क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट