कैसे मिलेगा परफेक्ट मैच
युवा संतानों के विवाह की चिंता हर माता-पिता को परेशान करती है। अकसर उनके मन से यह सवाल उठता है कि उनकी संतान को परफेक्ट मैच कैसे मिलेगा? इसी वजह से वे अपने बेटे या बेटी के सामने कुछ ख़्ाास तरह के जुमले बार-बार दोहराते हैं। आइए रूबरू होते हैं,
युवा संतानों के विवाह की चिंता हर माता-पिता को परेशान करती है। अकसर उनके मन से यह सवाल उठता है कि उनकी संतान को परफेक्ट मैच कैसे मिलेगा? इसी वजह से वे अपने बेटे या बेटी के सामने कुछ ख्ाास तरह के जुमले बार-बार दोहराते हैं। आइए रूबरू होते हैं, कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातों से।
बीवी सब कुछ खाना सिखा देगी
विवाह योग्य बेटों की मम्मियों का यह प्रिय डायलॉग है। अविवाहित बेटे अकसर अपनी मां से रोजाना तरह-तरह के स्वादिष्ट खाने की फरमाइश करते हैं। वे बडे उत्साह से रोजाना उनके लिए तरह-तरह के डिशेज बनाती हैं, पर कई बार जब घर में काम ज्य़ादा होता है तो वे अपने बेटों की ऐसी फरमाइशों से परेशान हो उठती हैं। ऐसे में युवा बेटों की मांएं अकसर यही बडबडाती हैं, 'चलो जल्दी, नाश्ता कर लो। मुझे और भी काम हैं। जब देखो, तब ये नहीं खाऊंगा, वो नहीं खाऊंगा। इतने नखरे सिर्फ मां ही उठा सकती है। देखना, शादी के बाद बीवी तुम्हें सब कुछ खाना सिखा देगी।
भगवान जाने क्या होगा इस लडकी का
विवाह योग्य बेटियों की माताओं का यह प्रिय जुमला है। उनके लिए सबसे बडी चिंता यही होती है कि शादी के बाद उनकी बेटी अपनी ससुराल में अच्छी बहू साबित होगी या नहीं? ऐसी मांओं को हमेशा यही लगता है कि उनकी बेटी घरेलू कामकाज सीखने में दिलचस्पी नहीं दिखाती, ससुराल में गृहस्थी की जिम्मेदारियों को कैसे निभा पाएगी? इसलिए वे हमेशा अपनी बेटी को देखकर अकसर यही बडबडा रही होती हैं, 'इसकी उम्र में मैं पूरी गृहस्थी संभालती थी, पर यह तो ढंग से चाय तक नहीं बना पाती। जब देखो तब मोबाइल पर लगी रहती है। भगवान जाने क्या होगा इस लडकी का!
कहो तो बात चलाऊं
ख्ाूबसूरत अविवाहिता बेटियों की माताओं को रिश्तेदारों के मुंह से आज भी वही पुराना जुमला सुनने को मिलता है, जिसका इस्तेमाल साठ के दशक में होता था। 'अरे! जिज्जी सामने वाले टेबल पर तुम्हारी बिटिया स्वाति ही है न? कितनी सुंदर लग रही है। इतने दिनों बाद देखा तो मैं पहचान ही नहीं पाई। मेरे देवर का बेटा पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, कहो तो बात चलाऊं? भले ही शादी की बात आगे न बढे, पर अपनी बिटिया के लिए ऐसा कॉम्प्लिमेंट सुन कर मांओं का ख्ाून जरूर बढ जाता है और वे हर विवाह समारोह में अपनी बेटियों को ख्ाूब सजधज कर चलने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
शादी के बाद यह सब नहीं चलेगा
शादी की बात पक्की होते ही अव्यवस्थित रहने वाले लडकों के माता-पिता चिंतित हो जाते हैं। वे अपने बेटों से अकसर यही कहते नजर आते हैं, 'रात के दस बज रहे हैं, अभी तक लैपटॉप पर चैटिंग चल रही है। बेड पर चीजें कितनी बेतरतीबी से बिखरी हैं। जरा सफाई और सलीके से रहना सीख लो। अगर शादी के बाद भी यही हाल रहा तो बीवी से रोज झगडा होगा। भलाई इसी में है कि अभी से सुधर जाओ।
पता नहीं कैसी लडकी चाहिए इसे
विवाह योग्य सुपुत्रों के माता-पिता के मुख से अकसर यही वाक्य सुनने को मिलता है। ख्ाास तौर से तब, जब कई तसवीरें देखने के बाद भी लडके को कोई लडकी पसंद नहीं आती तो उनके माता-पिता चिंतित होकर अकसर यही जुमला दोहराते हैं, 'कितने अच्छे परिवारों की वेल एजुकेटेड, वर्किंग और ख्ाूबसूरत लडकियों के रिश्ते आ रहे हैं इसके लिए, पर इसने सबको रिजेक्ट कर दिया, पता नहीं कैसी लडकी चाहिए इस लडके को?
मुझे मालूम है शादी के बाद यह बदल जाएगा
अपने लाडले बेटों को लेकर बहुत ज्य़ादा पजेसिव रहने वाली मांएं अकसर यही कहती हैं। दरअसल वे अपने बेटे का प्यार किसी के साथ बांटना नहीं चाहतीं। उनके मन में हमेशा यह डर बना रहता है कि शादी के बाद मेरा बेटा बदल जाएगा। वे अकसर लोगों से कहती हैं, 'मेरा बेटा मुझसे इतना अटैच्ड है कि अगर वह दो दिनों के लिए भी शहर से बाहर जाता है तो वहां से घर पर कई बार फोन करता है। उसे बहुत ज्य़ादा होम सिकनेस होती है। वह मेरे बिना एक दिन भी नहीं रह पाता, पर मुझे मालूम है कि शादी के बाद वह बदल जाएगा। वह स्वभाव से बहुत सीधा है। ऐसे लडके बहुत जल्दी बीवी की बातों में आ जाते हैं।
आलेख : विनीता, इलेस्ट्रेशन : श्याम जगोता