Move to Jagran APP

मां की पाती

मैं तो सोच-सोच कर पुलकित होती रही कि मेरी छोटी सी गुडिय़ा जो अभी तक मेरे आंगन में फुदकती घूमती थी, अब मां बनने जा रही है।

By Edited By: Published: Fri, 03 Jun 2016 04:04 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jun 2016 04:04 PM (IST)
मां की पाती

प्यारी अंकिता

loksabha election banner

खूब सारा प्यार....।

परसों तुमने फोन पर मुझे जो खबर दी... उस पर कानों को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ। दिलोदिमाग्ा में बस तुम्हारी मीठी सी आवाा गूंजती रही। मैं तो सोच-सोच कर पुलकित होती रही कि मेरी छोटी सी गुडिया जो अभी तक मेरे आंगन में फुदकती घूमती थी, अब मां बनने जा रही है।

तुम हैरान होगी न कि मम्मी से तो दिन में दस बार फोन पर बात हो सकती है तो भला खत क्यों लिख रही हूं?

दरअसल मुझे याद आ गया वो वक्त, जब मैंने अपनी मां को बताया था कि वो नानी बनने वाली हैं। फोन पर नहीं, खत लिख कर। गोरखपुर में रहते थे हम। तुम्हारे बाबा, दादी, ताऊजी-ताईजी, चाचा-चाची... और कुछ अन्य रिश्तेदार। हर समय लगता था, जैसे किसी शादी-ब्याह की तैयारी चल रही हो। ज्यादातर ऐसा होता भी था। घर की बैठक में क्रोशिये के कवर से ढके फोन में घंटी तो बस कभी-कभार ही बजती थी। अगर बाहर किसी से बात करनी हो तो ट्रंक कॉल बुक करने की प्रक्रिया...उफ! ऐसे में मां की सारी हिदायतें, सारा प्यार खतों के ज्ारिये ही मुझ तक पहुंचता था। तुम्हें शायद यकीन न हो, मैंने उन खतों की फाइल बनाकर रख ली थी।

तुम्हारा फोन आने के बाद उन्हें फिर से निकाला तो न जाने कितनी यादें ताज्ाा हो गईं। तुम्हारी नानी के खतों में प्रेग्नेंसी के समय में अपनी देखभाल करने के बारे में इतनी नई-पुरानी बातें हैं कि तुमसे साझा करने का मन हो गया। कुछ खट्टी-मीठी बातें ऐसी भी हैं, जो इंटरनेट पर सर्च करके भी शायद तुम्हें न मिल पाएं।

वक्त कितना बदल गया। चेन्नई में, जहां इस समय तुम हो, सारी मेडिकल सुविधाएं हैं। सबसे पहले तो किसी अच्छी डॉक्टर का पता करो और हॉस्पिटल में रजिस्ट्रेशन करवा लो। हमारे समय में तो भगवान भरोसे डिलिवरी हुआ करती थीं। अब तो रेगुलर चेकअप्स और मेडिकल इंस्ट्रक्शंस फॉलो करने से सब आसान हो गया है। समय पर जांच करवाना, टीके लगवाना, ज्ारूरी दवाएं लेना, खाने-पीने का ध्यान रखना...। ये बातें तो डॉक्टर बता देगी तुम्हें मगर मैं तुम्हें वे बातें बताने जा रही हूं जो तुम्हारी नानी ने मुझे अपने खतों के ज्ारिये समझाई थीं।

तुम्हें बताऊं, जब मैंने अपनी शादी के बाद इतनी बडी जॉइंट फैमिली देखी थी तो घबरा गई थी। इतने सारे रीति-रिवाज और परंपराएं निभाने को मिलीं कि मन करता था कहीं भाग जाऊं। शुरुआत में तो घर के काम भी मुझसे ढंग से नहीं हो पाते थे। मेरी मां ने धीरज और प्यार से सबको अपनाने की सलाह दी। अंकिता सच बताऊं, धीरे-धीरे मेरा सभी के साथ इतना गहरा नाता जुड गया कि कुछ साल बाद जब तुम्हारे पापा के ट्रांस्फर की वजह से हमें कानपुर शिफ्ट होना पडा तो सबसे ज्यादा आंसू मेरे ही निकले थे।

अंकिता, अब तुम याद करो, साहिल (मेरे दामाद) के मम्मी-पापा, अपनी प्यारी ननद और देवर से आखिरी बार तुमने कब बात की? हां, माना कि सब लोग बहुत बिज्ाी हैं लेकिन बस 5 मिनट निकाल कर किसी को फोन तो किया ही जा सकता है। विश्वास करो, रिश्तों में भरोसा ऐसे ही जागता है। एक काम और करना। तुम कहती हो न कि वहां कोई दोस्ती नहीं करता, बात नहीं करता...। दोस्ती की शुरुआत तुम करो। अपने पडोसियों को चाय पर आमंत्रित करो। परिवार के बाद दोस्तों का एक बहुत अच्छा सपोर्ट सिस्टम होता है। अच्छे दोस्त तुम्हारी ज्ारूरत के समय हमेशा खडे रहेंगे।

जब तुम पैदा हुई थीं तो मेरा परिवार मेरे साथ था। तुम्हारी परवरिश को लेकर भी मैं निश्चिंत रही क्योंकि तुम्हें खिलाने-पिलाने, मालिश करने से लेकर सुलाने तक कोई न कोई हमेशा मौज्ाूद रहता।

एक बात और....महाभारत की कहानी याद है न तुम्हें? अर्जुन के बेटे अभिमन्यु ने गर्भ में रहते हुए ही चक्रव्यूह भेदन सीख लिया था। होने वाला बच्चा मां के सभी मनोभाव समझता है। इसलिए खुश रहा करो। पता है, ग्ाुस्से में मां की हार्टबीट तेज्ा चलती है। स्ट्रेस बच्चे के विकास पर अच्छा प्रभाव नहीं डालता। अगर साहिल के साथ तुम्हारे कुछ इशूा हैं, एडजस्टमेंट प्रॉब्लम हो रही हो तो प्लीज्ा उन्हें जल्दी से निपटा लो। देखो, मैं तुम्हारे मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती लेकिन ज्ारूरी समझो तो मुझसे या साहिल की मम्मी से बात कर सकती हो। शुरुआत तो तुम्हें ही करनी होगी। याद रखना, कभी बेटा या बेटी के बारे में मत सोचना। वह जो भी हो, ईश्वर का उपहार होगा तुम्हारे लिए। उस पर किसी जेंडर का लेबल मत लगाना।

तुम्हें मैंने कभी बताया नहीं, लेकिन मेरी सास यानी तुम्हारी दादी ने सिर्फ एक ही बार मुझ पर ग्ाुस्सा किया था और वह भी बहुत बडा वाला। हुआ यह था कि दनकी दाई, जो हमारे गोरखपुर वाले घर में काम किया करती थी, मेरे लिए किसी बाबा की दी हुई भभूत ले आई कि इसे खाने से बेटा ही होगा। एक रात तुम्हारी दादी ने मुझे देख लिया और वो झाड पिलाई कि पूछो मत। उनकी नज्ार में बेटे की चाहत बेवकूफाना तो थी ही, यह स्त्री का अपमान भी था। मैं तो उन्हें पुराने ज्ामाने की स्त्री समझती थी, लेकिन वह हमसे आगे थीं। इसलिए तुमसे भी यही कहूंगी कि किसी की उम्र से उसकी सोच को कभी मत आंकना। यह बात भी गांठ बांध लो कि कम या ज्यादा पढा-लिखा होने से बुद्धि का भी लेना-देना हो....हमेशा यह ज्ारूरी नहीं होता। अनुभव के मोती जहां भी मिलें, चुन लो।

मैंने सुना है कि आजकल प्रेग्नेंट स्त्री को योग और एक्सरसाइज्ा सिखाने के लिए स्पेशल क्लासेज्ा होती हैं। तुम खुद को फिट रखने के लिए डॉक्टर की सलाह पर क्लासेा जॉइन कर सकती हो। वहां मां के साथ ही पिता को भी सेंसिटाइज्ा किया जाता है ताकि वह समझ सके कि उसकी पत्नी किन शारीरिक-मानसिक स्थितियों से गुज्ार रही है। यही नहीं, बाद में बच्चे की देखभाल और उसे संभालने में भी वह सक्रिय भूमिका निभा पाता है।

यह सुनकर मन खुश हो गया। तुम्हारे पापा तो उन दिनों बौखला गए थे। जैसे ही मुझे चक्कर आते या जी मिचलाता, वह घबरा जाते और तुरंत डॉक्टर के पास ले जाने के बारे में सोचने लगते। इस वजह से दादी की डांट भी सुनते थे। तुम आईं तो इतनी नाज्ाुक थीं कि पापा तुम्हें गोद में लेते हुए भी घबराते कि कहीं तुम गिर न जाओ। तुम्हें गोद में लेने, मालिश करने, सुलाने जैसे काम वह कभी कर ही नहीं सके। अच्छा लगता है, जब नए लडकों को ये काम करते देखती हूं।

अंकिता, एक ज्िाम्मेदारी तुम्हें भी उठानी पडेगी। बेटी हो या बेटा... दोनों को बराबरी और दूसरे का आदर करना ज्ारूर सिखाना। यही बेस्ट टाइम है कि तुम अपनी मॉरल साइंस स्टोरीज्ा को फिर से दोहराओ। ध्यान करो, अच्छा संगीत सुनो और खूब पढो। तुम्हारी नानी ने अपनी चि_ी में मुझसे कहा था....रामायण, गीता, कल्याण पढो, दान-पुण्य करो....। नसीहत वही है, बस समय के साथ उसका रूप थोडा बदल गया है। पॉज्िाटिव एनर्जी की तुम हमेशा हिमायत करती हो न! तुम जब भी घर आती हो, कितनी सफाई करती हो। मेरी कई जमा की गई चीज्ों फेेंक देती हो कि इनसे घर में नेगेटिव एनर्जी आती है। ऐसे ही, दिमाग्ा में भी कबाड जमा रहने से नकारात्मक ऊर्जा का वास होने लगता है। इसलिए इसे साफ करने के लिए ध्यान, प्रार्थना, योग और शांति की दरकार होती है।

एक बात और....ये जो तुम्हारे शौक हैं न... मर्डर मिस्ट्री और डरावनी फिल्में देखना, देर रात तक आंसू बहाते हुए टीवी सीरियल्स देखना... अब यह बंद कर दो। कुछ समय बाद तो तुम्हें ऑफिस से छुट्टी भी लेनी होगी। अपने पुराने शौक फिर जगाओ। पहले तुम पोएट्री लिखती थीं। मैंने विदाई के वक्त तुम्हारी डायरी भी कपडों की अटैची में संभाल कर रख दी थी। उसे ढूंढ कर फिर से पढना, देखना तुम्हारी कलम खुद चलने लगेगी।

तुम्हारी नानी जो सुंदर-सुंदर स्वेटर बुन कर भेजती थीं, यकीन करो, यह सब उन्होंने भी प्रेग्नेंसी के दौरान ही सीखा। आज जो अचार, पापड, मुरब्बे तुम चटखारे लेकर खाती हो, उनकी रेसिपीज्ा मैंने दादी से ही सीखी थीं।

यह सब इसलिए लिख रही हूं कि बच्चे का जन्म ज्िांदगी पर फुल स्टॉप कतई नहीं होता। इसलिए कभी बहाने मत ढूंढना। यह तो संभावनाओं और आशाओं का नया जन्म होता है। जो औरत एक नई ज्िांदगी दुनिया में ला सकती है, वो खुद के लिए नया आकाश भी गढ सकती है, याद रखना।

कुछ मामूली से परिवर्तन तो होंगे तुम्हारे शरीर में, उनसे घबरा कर डिप्रेशन में मत जाना। जब तक डॉक्टर सलाह न दे, बेड रेस्ट मत करना। आराम करने का अर्थ दिन भर सोना नहीं है। नॉर्मल रूटीन को बनाए रखना। प्रसव के बाद तुम्हें हेल्प की ज्ारूरत पडेगी, इसलिए एक्स्ट्रा हेल्प का इंतज्ााम अभी से कर लो। याद रखो, अपने हर काम किसी से नहीं करवाए जा सकते, इसलिए अपने रूटीन कामों को खुद ऑर्गेनाइज्ा करो और अपने फाइनेंसेज्ा भी संभालो। भविष्य की ारूरतों के लिए अभी से सेविंग शुरू कर दो।

देखो, तुम्हें पहली बार चि_ी लिखी है। फोन पर इतने विस्तार से बातें कहां हो पाती हैं। फोन पर हर बार कुछ न कुछ छूट ही जाता है।

सबसे ज्ारूरी बात, जिसकी वजह से मैंने तुम्हें खत लिखा। प्रसव के दर्द के बारे में मत सोचो। दर्द, डर तो वैसी ही भावनाएं हैं, जैसे जोश और खुशी। जितना ज्यादा सोचोगी, उतना ही महसूस करोगी। तुम्हारा कर्ण-छेदन हो रहा था, तब तुम भी बहुत रो रही थीं, लेकिन मैंने तुम्हें तुरंत एक गुडिया थमा दी और तुम उससे खेलने में मशगूल हो गईं। बाकी बातें फिर, अपना ध्यान रखना। द्य

तुम्हारी मां

डॉ. छवि निगम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.