हर सफर सुहाना नहीं होता
जब हम पब्लिक ट्रांस्पोर्ट से यात्रा कर रहे होते हैं तो कुछ बेढंगे सहयात्रियों की वजह से हमारा यह सुहाना सफर वाकई अंग्रेजी के 'सफर' में तब्दील हो जाता है। आइए मिलते हैं कुछ ऐसे ही दिलचस्प सहयात्रियों से।
मैडम आरामतलब
वैसे तो कोई भी आरामतलब हो सकता है लेकिन इस श्रेणी में ज्यादातर स्थूलकाय स्त्रियां ही शुमार होती हैं। ट्रेन हो या बस, ये हमेशा अपने हाथ-पैर फैलाकर पूरी आरामतलबी के साथ बैठती हैं। बस में बैठने के साथ ही अपनी सीट पीछे की ओर फैला देती हैं। रेलयात्रा के दौरान अगर इनके पास लोअर बर्थ होती है तो ये आसपास के लोगों की असुविधा की परवाह किए बगैर सारी जगह खुद ही घेर लेती हैं।
चैटरबॉक्स
महानगरों की सिटी बसों, लोकल या मेट्रो ट्रेन में अकसर ऐसे यात्रियों का ग्रुप नजर आता है, जिसमें साथ कॉलेज जाने वाली लडकियों या ऑफिस जाने वाले लोगों का ग्रुप होता है। ये पूरे रास्ते गपशप करते हुए जाते हैं। चाहे महंगाई हो या मौसम, सेहत हो या कोई टीवी सीरियल.... किसी भी विषय पर ये तब तक धाराप्रवाह बोलते रहते हैं, जब तक कि इनका स्टॉप न आ जाए। इनकी मजेदार बातों से दूसरे यात्रियों का अच्छा खासा मनोरंजन होता है।
लगेज लवर
आमतौर पर सपरिवार शादी-विवाह में या दर्शनीय स्थलों पर भ्रमण के लिए जाने वाले लोगों के साथ दो-तीन बच्चे और ढेर सारा सामान होता है, जिससे आसपास के लोगों को ट्रेन में चलने की भी जगह नहीं मिलती। ये लोग काफी शोर मचाते हैं। इनके बच्चे या तो आपस में झगड रहे होते हैं या कोई छोटा बच्चा जोरों से रो रहा होता है। अगर कभी आपके आसपास कोई ऐसा परिवार हो तो समझें कि आपकी यात्रा का बेडा गर्क!
कूडा प्रेमी
ऐसे लोगों का सफाई से दूर-दूर तक वास्ता नहीं होता। पता नहीं इनके घर में सफाई का क्या हाल रहता होगा? बस में बैठकर केला और मूंगफली खाना, खिडकी से छिलका बाहर फेंकना, पान-मसाला खाकर सार्वजनिक स्थलों पर थूकना, चॉकलेट बिस्किट के खाली रैपर अपनी सीट के आसपास बिखेर कर रखना, ट्रेन के टॉयलेट में फ्लश न चलाना आदि इनकी आदतों में शुमार होता है। इनकी वजह से आसपास बैठे लोगों को बहुत परेशानी होती है पर इन्हें दूसरों की असुविधा की जरा भी परवाह नहीं होती। ये तो गंदगी फैलाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं और मना करने पर दूसरे सहयात्रियों से झगड पडते हैं।
एकांतप्रिय
इस श्रेणी में अकेले यात्रा करने वाले वैसे स्टूडेंट शामिल होते हैं, जिनके कानों में इयर प्लग और हाथों में कोई किताब होती है। अपनी ही दुनिया में खोए रहने वाले ऐसे शांतिप्रिय लोग न तो खुद डिस्टर्ब होते हैं और न दूसरों को परेशान करते हैं।
नींद के मारे
ऐसे लोग गाडी में बैठते ही ऊंघने लगते हैं और थोडी देर में खर्राटे भरने लगते हैं। नींद में कई बार ये अपने सहयात्री के कंधे का इस्तेमाल तकिये की तरह करते हैं। ऐसी आदत की वजह से अकसर इनका बस स्टॉप पीछे छूट जाता है।
मिस्टर नयनसुख
ट्रेन, बस या शेयरिंग ऑटो में साथ सफर करने वाली लडकियों को घूरना इनका प्रिय शौक है। ऐसे मनचले आशिकों की कोई आयु सीमा नहीं होती। चाहे कॉलेज जाने वाले मनचले लडके हों या ऑफिस जाने वाले अधेड अंकल...यात्रा के दौरान ऐसे लोगों के खाली समय का सदुपयोग इसी तरह होता है। ये हमेशा लडकियों और महिलाओं की मदद के लिए तत्पर दिखाई देते हैं और उनसे बातें करने का कोई न कोई बहाना ढूंढ रहे होते हैं। इन्हें देखते ही आसपास बैठी लडकियां सतर्क हो जाती हैं।
आलेख- विनीता, इलस्ट्रेशन - श्याम जगोता