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खुशी का कोई बहाना खोजें

हर इंसान खुशी की तलाश में भटकता है। ख़्ाुशी के अर्थ भी सबके लिए अलग-अलग हैं। ऐसा कोई स्टोर रूम नहीं है, जहां हम सारी प्रसन्नताएं जमा कर लें। छोटी-छोटी खुशियां हैं, इनसे अंजुरी भर लें। जितने पल मिले हैं, जी लें।

By Edited By: Published: Wed, 23 Sep 2015 04:29 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2015 04:29 PM (IST)

हर इंसान खुशी की तलाश में भटकता है। ख्ाुशी के अर्थ भी सबके लिए अलग-अलग हैं। ऐसा कोई स्टोर रूम नहीं है, जहां हम सारी प्रसन्नताएं जमा कर लें। छोटी-छोटी खुशियां हैं, इनसे अंजुरी भर लें। जितने पल मिले हैं, जी लें।

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जीवन छोटी-छोटी ख्ाुशियों से भरा है। दोस्त से मिली चॉकलेट, भाई के साथ मां की नज्ार बचा कर फ्रिज से निकाली गई आइसक्रीम, कॉफी के मग के साथ पसंदीदा संगीत, किसी से मिला कॉम्प्लिमेंट, साथी से मिला आलिंगन, बच्चे की तुतलाहट भरी ढेरों बातें...। ख्ाुश रहने के कितने बहाने हैं! केवल उन्हें देखने और महसूस करने की ज्ारूरत है। हर दिन एक उत्सव की तरह है। देखें, ख्ाुशियों के ख्ाज्ााने कहां-कहां मिल सकते हैं-

1. सुबह उठ कर घर की खिडकियां-दरवाज्ो खोल दें। उगते सूरज की किरणों के साथ दिन का स्वागत करें। कुछ देर सुबह की ताज्ागी को अपने मन-तन में भर लें। दिन भर एक मुस्कान चेहरे पर बनी रहेगी।

2. सुबह की सैर के वक्त ख्ाूबसूरत पेड-पौधों, पक्षियों की चहचहाहट और फूलों की ख्ाुशबू पूरे दिन को महका देने के लिए काफी है। प्रकृति के बीच 10-15 मिनट बिता कर तो देखें। कुदरत की एक-एक चीज्ा ज्िांदगी का पता देती है।

3. हफ्ते में किसी रविवार पुराने दोस्त से मिलना, उससे ढेरों बातें करना या दूर बैठे दोस्त को यूं ही फोन करना भी दिल को ख्ाुशी प्रदान करता है।

4. राह चलते किसी बुज्ाुर्ग, बेसहारा, नेत्रहीन को पता बताना या सडक पार कराना बहुत छोटी सी बात है, मगर यह दिल को सुकून देती है कि ज्िांदगी के कई झूठ-सच के बीच थोडी इंसानियत हमारे भीतर बची है।

5. अचानक अलमारी की दराज में कोई पुराना सा ख्ात मिल जाए, किसी किताब के पन्नों में सूखा हुआ गुलाब दिख जाए या फिर किसी पुरानी जींस में पडा काग्ाज्ा का मुडा-तुडा नोट....ख्ाुशियां तो यूं ही किस्तों में मिला करती हैं।

6. घंटों कुर्सी पर एक ही पॉज्िाशन पर बैठे रहने के बाद किसी कलीग का हौले से कुछ पल कंधे थपथपा देना भी मन में नई ऊर्जा भर देता है।

7. किसी छुट्टी के दिन घर के कोने-कोने की सफाई, स्टडी टेबल को करीने से व्यवस्थित करना या किसी कम व्यस्त दिन में अपने ऑफिस केबिन को साफ करना भी मन को राहत देता है।

8. किसी शाम यूं ही किसी पार्क की बेंच पर सुस्ताना, टोकरी में मोगरे के फूल बेचती लडकी से एक गजरा लेकर बालों में खोंस लेना और उसकी ख्ाुशबू को अपनी सांसों में भरना भी रिलैक्स कर देता है।

9. बच्चों के साथ कुछ क्षण लुका-छिपी खेलना, ड्रॉइंग बनाना या अंत्याक्षरी खेलना न सिर्फ मन को ख्ाुश करता है, बल्कि शारीरिक-मानसिक सेहत के लिए भी अच्छा है।

10. एनिमल थेरेपी आजकल बहुत कारगर है। ख्ाासतौर पर महानगरों में अकेले होते जा रहे बच्चों-बुज्ाुर्गों के लिए पेट्स उनकी ख्ाुशी का केंद्र होते हैं।

11. प्यासे पक्षी को पानी पिलाना, रास्ते में पडा कंकड हटा देना, किसी ज्ारूरतमंद को सहायता देना भी आत्मिक ख्ाुशी देता है।

12. कभी अपने टाइट डाइट शेड्यूल में चीटिंग करना, स्ट्रीट फूड का मज्ाा लेना, गोलगप्पे मुंह में भरना और खट्टे-मीठे-तीखे पानी से स्वाद छक लेना भी ख्ाुशी की वजह बन सकता है।

13. दिन भर मेहनत करने के बाद शाम को घर जाकर आधे घंटे का 'मी टाइम भी मन को सुकून देता है। चाय की प्याली के साथ सॉफ्ट म्यूज्िाक सुनें, मज्ोदार किताब पढें, फेवरिट टीवी सीरियल देखें, अपने लिए स्वादिष्ट डिश तैयार करें या फिर गुनगुने तेल से सिर की मालिश करें...।

14. बचपन की तरह मां की गोद न सही, दोस्त या पार्टनर की गोद में सिर रख कर यूं ही कुछ देर लेटे रहना और सारी दुनियादारी भूल कर सिर्फ जोक्स सुनना-सुनाना भी ज्िांदगी को मज्ोदार बना सकता है।

15. ओह, मुझे तो इंटरनेट बैंकिंग आती ही नहीं, इस सॉफ्टवेयर पर काम करना तो मैंने सीखा ही नहीं....। ये महज्ा बहाने हैं। सीखने की कोई उम्र नहीं होती। हर उम्र में कुछ नया सीखा जा सकता है। बच्चों की तरह उत्साह से सीखें। वही एहसास होगा, जैसा स्लेट पर पहली बार चॉक से लिखने का होता है।

इंदिरा


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