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सतर्क रहें भ्रांतियों से

आज म्युचुअल फंड्स निवेश का प्रमुख विकल्प हैं। लोगों के बीच इनसे जुड़ी कई गलतफहमियां हैं। ऐसे में इन्हें मुनाफा कमाने का ज़रिया बनाने के लिए इनके बारे में सटीक जानकारी होना ज़रूरी हो जाता है। इस बारे में बता रही है सखी।

By Edited By: Published: Wed, 24 Dec 2014 09:49 AM (IST)Updated: Wed, 24 Dec 2014 09:49 AM (IST)

आज लोगों के पास निवेश के कई विकल्प हैं। इनमें से शेयर मार्केट में निवेश करना एक ख्ाास ऑप्शन है जिसका अलग ही आकर्षण है। साधनसंपन्न निवेशक तो शेयर्स में सहजता से निवेश कर मुनाफा कमा लेते हैं। कभी नुकसान भी हो जाए तो उन्हें विशेष फर्क नहीं पडता। पर छोटे निवेशकों के लिए ऐसा करना संभव नहीं हो पाता। न उनके पास इतना समय होता है कि वो बाजार के उतार-चढावों पर नजर रख सकें और न ही इतनी जमापूंजी। ऐसे लोगों के लिए म्युचुअल फंड्स बेहतरीन विकल्प हैं। इन फंड्स में इन्वेस्ट तो बहुत सारे लोग करना चाहते हैं लेकिन कई बार इनके बारे में सही जानकारी न होने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पडता है। आइए जानते हैं इन फंड्स के बारे में प्रचलित भ्रांतियां और उनकी हकीकत ।

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1. भ्रांति

म्युचुअल फंड्स मैनेज करना सिर्फ शेयर मार्के ट के जानकारों के बस की बात है।

सही तथ्य

म्युचुअल फंड्स के मामले में विभिन्न कंपनियों की स्थिति, बाजार में आने वाले उछाल या मंदी को ट्रैक करने का काम फंड मैनेजर का होता है। आपको पैसा कहां लगाना चाहिए, यह वह तय करता है।

2. भ्रांति

म्युचुअल फंड्स सिर्फ लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए होते हैं।

सही तथ्य

यह सच है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में मुनाफा कमाने की गुंजाइश ज्य़ादा होती है लेकिन इसका यह मतलब हरगिज नहीं है कि म्युचुअल फंड सिर्फ लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए होते हैं। इन फंड्स की कई शॉर्ट टर्म स्कीम्स भी होती हैं जिनके तहत आप कुछ हफ्तों तक के लिए भी पैसा इन्वेस्ट कर

सकते हैं।

3. भ्रांति

म्युचुअल फंड में बडी धनराशि निवेश करनी पडती है।

सही तथ्य

आज ज्य़ादातर फंड्स ग्राहकों को 1000 रुपये से निवेश की शुरुआत करने की सुविधा देते हैं। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स में तो आप 500 रुपये तक से शुरुआत कर सकते हैं। म्युचुअल फंड्स आपको सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट स्कीम (एसआइपी) के तहत नियमित किस्तों में निवेश करने का अवसर भी देते हैं।

4. भ्रांति

म्युचुअल फंड्स में सिर्फ एडवाइजर के माध्यम से ही निवेश संभव है।

सही तथ्य

यह गलत है। इनमें कई तरह से निवेश किया जा सकता है। पर इन्हें हमेशा वित्तीय सलाह देने और निवेशकों को म्युचुअल फंड्स बेचने के लिए सर्टिफाइड एडवाइजर्स, नेशनल डिस्ट्रिब्यूटर्स या बैंक से ही ख्ारीदना चाहिए।

फंड में निवेश से पहले पूछें ये सवाल

- फंड आपकी रिस्क लेने की क्षमता के अनुकूल है या नहीं?

पिछले कुछ सालों से अ'छा परफॉर्म कर रहे फंड्स का चयन कर लेना ही काफी नहीं है। बल्कि यह जरूरी है कि वे आपकी रिस्क लेने की क्षमता और आपके व्यक्तिगत लक्ष्यों के हिसाब से मुफीद हों। हमेशा अपने लिए फायदेमंद फंड्स पर ही पैसा लगाएं।

- अतिरिक्त चार्जेज क्या हैं?

हर फंड के साथ विभिन्न मदों से संबंधित चार्जेज जुडे होते हैं जैसे फंड मैनेजर की फीस, एडवाइजरी फीस आदि। इन पर विचार करने के बाद ही इन्वेस्टमेंट से होने वाले रिटर्न का अंदाजा लगाएं।

- फंड में लॉक-इन की प्रक्रिया तो नहीं लागू होगी?

कई बार एडवाइजर्स और बैंक आपको फंड के बारे में पूरी जानकारी नहीं देते। आपका पैसा एक निश्चित अवधि के लिए लॉक हो जाता है जिससे आप जरूरत पडऩे पर उसे निकाल नहीं पाते। इसलिए जहां से म्युचुअल फंड ख्ारीद रहे हैं, वहां से लिखित में पूछें कि कोई लॉक-इन पीरियड तो नहीं होगा। सिर्फ मौखिक तौर पर पूछ लेना ही पर्याप्त नहीं है। यह सुनिश्चित होने के बाद ही फंड ख्ारीदें।

(www.mutualfundwala.com के डायरेक्टर शशिकांत बहल से बातचीत के आधार पर।)


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