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प्यार में असुरक्षा कैसी

जीवन के हर स्तर पर कभी न कभी सभी को असुरक्षा-भय सताता है। समय के साथ यह खत्म भी होता है। मगर दांपत्य में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगें तो रिश्ते में दरार पड़ते देर नहीं लगती। कई बार हीन-भावना के कारण भी ऐसा होता है। शादी की बुनियाद

By Edited By: Published: Tue, 23 Jun 2015 12:36 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2015 12:36 AM (IST)

जीवन के हर स्तर पर कभी न कभी सभी को असुरक्षा-भय सताता है। समय के साथ यह खत्म भी होता है। मगर दांपत्य में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगें तो रिश्ते में दरार पडते देर नहीं लगती। कई बार हीन-भावना के कारण भी ऐसा होता है। शादी की बुनियाद भरोसे पर टिकी है। पति-पत्नी में से एक भी असुरक्षा महसूस कर रहा हो तो इस पर तुरंत ध्यान दें।

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मैं तो शादी करके फंस गई। लगता है, घर नहीं, कैदखाने में हूं। सुमित कभी अकेले नहीं रहने देता। साथ शॉपिंग करो, घूमो, डिनर डेट पर चलो...। लंच टाइम पर ऑफिस आ धमकता है। कई बार इस वजह से ऑफिस में मजाक बन जाता है। हर आधे घंटे में कॉल करता है-क्या कर रही हो? ऑफिस में काम ही करूंगी न! शादी के इन पांच सालों में ऐसा लगता है कि अपनी इच्छा से सांस लेना भूल चुकी हूं। ऐसे ओवर-केयरिंग हज्बैंड से कोई कैसे निभाए!

दिल्ली मेट्रो में सहेली से दिल का हाल बयां कर रही लडकी को देख कर यही लगा कि शादी ने उसके पर्सनल स्पेस को खत्म कर दिया है। एक्सपट्र्स कहते हैं कि केयरिंग होना अच्छी बात है, मगर ओवर-केयरिंग एटीट्यूड असुरक्षा के कारण जन्म लेता है।

प्यार न बने बेडी

वह रोज आपके लिए पसंदीदा फूल लाए, आपको पिक-ड्रॉप करे, आपके लिए गाडी का दरवाजा खोले, आपको स्पेशल महसूस कराने का कोई मौका न चूके, महंगे रेस्तरां में डिनर कराए, गिफ्ट्स दे, तारीफों के पुल बांधे...। यकीनन रिश्ते की शुरुआत में यह सब किसी को भी अच्छा लगता है और लडकी खुद को राजकुमारी से कम नहीं समझती। मगर एक दिन परीकथा के इस चैप्टर का 'द एंड हो जाता है और यहां से वास्तविकता भरे अध्याय शुरू हो जाते हैं। लडकी को प्रेम बंधन लगने लगता है और वह घुटन महसूस करने लगती है। मंगेतर के केयरिंग नेचर के पीछे उसे अधिकार-भावना दिखने लगती है।

प्रॉपर्टी नहीं है पार्टनर

अधिकार-भावना या पजेसिव होना रिश्ते में खतरे का लक्षण है। वह मेरा बहुत खयाल रखता है, जरा सी देर हो जाए या फोन न पिक कर सकूं तो परेशान हो जाता है, मेरे लिए वह किसी से भी लड सकता है, उसके होते कोई मेरी ओर नजर उठा कर नहीं देख सकता... रिश्ते की शुरुआत में लडकी इन बातों से आकर्षित हो सकती है, मगर केयरिंग नेचर और पजेसिव होने में फर्क है। यह अंतर खत्म होता है तो अधिकार-भावना हावी हो जाती है। यह सब असुरक्षा के लक्षण हैं।

जीवन के किसी न किसी स्तर पर सभी असुरक्षा महसूस करते हैं। पढाई, करियर, सेहत, आर्थिक स्तर में असुरक्षाओं से लडा जा सकता है और एक समय के बाद ऐसी स्थितियां खत्म भी हो जाती हैं। मगर रिश्ते में असुरक्षा से लडऩा ज्य़ादा मुश्किल है और इससे रिश्ते में दरार पैदा हो सकती है।

अलर्ट हो जाएं

शादी की प्लानिंग कर रहे हैं तो पार्टनर में कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है।

1. आत्मविश्वास की कमी

केनेडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के अनुसार आत्मविश्वास की कमी से ग्रस्त लोग रिश्ते की समस्याएं समझने और सुलझाने से कतराते हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि यदि पार्टनर ईमानदार संवाद से बचे तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह केयरिंग नहीं है, मगर वह रिश्ते में असुरक्षित है और हर्ट होने से डरता है। ऐसे लोग शिकायतें करने से घबराते हैं, क्योंकि वे रिजेक्शन से डरते हैं। पार्टनर न बोले या चुप्पी साध ले तो हो सकता है कि उसमें आत्मविश्वास की कमी हो। इसका असर दांपत्य पर पड सकता है।

2. दोस्त नहीं-हॉबी नहीं

वह दोस्तों की बात नहीं करता, रुचियों के बारे में नहीं बताता, किसी को आमंत्रित नहीं करता, जिम नहीं जाता, फिटनेस रुटीन नहीं फॉलो करता, पार्टीज एंजॉय नहीं करता। यह भी हो सकता है कि अतीत में उसके दोस्त रहे हों, मगर शादी तय होने या शादी होने के बाद वह दोस्तों से कटने लगे तो सजग हो जाएं। ये लक्षण असुरक्षित पार्टनर के हो सकते हैं।

3. अति इमोशनल

वह आपकी तारीफ करते हुए अति-भावुक हो उठे। बार-बार पूछे कि क्या आप उससे प्रेम करती हैं? आपका जवाब उसे आश्वस्त न कर सके। पूछे कि कहीं आप उसे छोड तो नहीं देंगी? ऐसा हो रहा है तो जल्दी ही यह असुरक्षा ब्रेक-अप में बदल सकती है।

4. एक्स फैक्टर

वह बार-बार आपके पास्ट के बारे में पूछे, आपके एक्स से मिलने की इच्छा जताए, उसे शक हो कि आप उससे मिलती हैं, भविष्य में उसके करीब हो सकती हैं। पूछता रहे कि आपके दिल में उसके लिए क्या फीलिंग्स हैं...। एक्स फैक्टर रिश्ते के लिए खतरा है।

5. दोस्तों से ईष्र्या

यदि उसे आपके दोस्तों से ईष्र्या हो, गल्र्स की आउटिंग से चिढ हो, वह आपके मेल कलीग्स की बुराई करे, आपके फोन कॉल्स या मेसेजेज पर नजर रखे, दोस्तों के बारे में गहन पूछताछ करे तो अलर्ट हो जाएं। ये लक्षण असुरक्षा-भय के कारण हो सकते हैं।

6. दयनीय छवि

वह खुद को दयनीय या बेचारा महसूस कराए। अतीत के विफल रिश्ते के बारे में बताते हुए खुद को निर्दोष व मासूम और दूसरे को धोखेबाज बताए। कहे कि किसी ने उससे प्यार नहीं किया और उसके साथ हमेशा ग्ालत हुआ....। ये बातें सही हो सकती हैं, मगर नकारात्मक भावनाओं के साथ नए रिश्ते में भी ग्ालती की आशंका रहेगी। ऐसे में उसे काउंसलर की जरूरत है।

7. वर्चुअल वल्र्ड में पीछा

पीछा असल जीवन में ही नहीं, वर्चुअल वल्र्ड में भी किया जाता है। यदि पार्टनर सोशल साइट्स पर आपके दोस्तों की सूची देखे, देखे कि किससे चैट करते हैं, क्या पोस्ट कर रहे हैं, कौन लाइक कर रहा है... तो ये बातें असुरक्षा को ही दर्शाती हैं।

8. आलोचना से डरे

आलोचना किसी को नहीं भाती, मगर छोटी-छोटी सकारात्मक आलोचना को भी पार्टनर दिल से लगा बैठे तो इसका अर्थ है कि वह असुरक्षित है। ऐसे लोग सहज, उदार, ईमानदार आलोचना को भी बुरे अर्थ में ग्रहण करते हैं। अब तो तुम्हें मुझमें बुराई ही दिखेगी? तुम तो मुझे चाहती ही नहीं..., कुछ ऐसे ही शब्द होते हैं असुरक्षित लोगों के। ऐसी स्थितियों में रिश्ते को संभालने की जरूरत है।

क्या करें

अगर रिश्ते में असुरक्षा-भावना पनप रही है और अपने रिश्ते को हर कीमत पर बचाना चाहते हैं तो कारणों की तह तक जाएं और समस्या को सुलझाएं-

1. समस्या की वजह

उसकी समस्या का कारण कहीं आप ही तो नहीं? अपनी आदतों, स्वभाव, लाइफस्टाइल पर नजर डालें। खुद को अपने ही आईने में साफ-साफ देखने की कोशिशें करें। कहीं ऐसा तो नहीं कि आपकी आदतों ने पार्टनर को असुरक्षित महसूस कराया हो? आपने वादा नहीं पूरा किया, तय समय पर उसे कॉल नहीं किया, दोस्तों के साथ आउटिंग पर गए, पार्टनर को बताने की जरूरत नहीं समझी, आपकी फ्लर्टिंग की आदत उसे परेशान करती है? कारण तलाशें, हो सकता है पार्टनर की असुरक्षा की वजह खुद आप ही हों।

2. कैसे करें मदद

क्या असुरक्षा-भावना से बाहर निकलने में आप अपने पार्टनर की मदद कर सकते हैं? उससे ज्य़ादा से ज्य़ादा बात करें, उसे साथ होने का भरोसा दिलाएं, उसे नजरअंदाज करने, उसकी उपेक्षा करने या उससे बात करना छोडऩे जैसी ग्ालती कभी न करें, इससे असुरक्षा बढती जाएगी। उसके भीतर भरोसा पैदा करें कि आपके लिए उसका होना कितना महत्वपूर्ण है, उसकी तारीफ करें, उसकी छोटी-छोटी अपेक्षाएं पूरी करें, रिश्ते की खातिर जरा सा झुक जाएं। कई बार असुरक्षित व्यक्ति की बातें या अपेक्षाएं तार्किक नहीं होतीं, लेकिन अपनी ओर से जो भी बेस्ट कर सकते हैं-करें। पार्टनर को कंफर्टेबल महसूस कराएं।

3. धैर्य की सीमा

पार्टनर की असुरक्षा को किस हद तक धैर्य के साथ संभाल सकते हैं, यह जानना भी जरूरी है। क्या कुछ बातों को नजरअंदाज किया जा सकता है? स्थितियों को थोडे धैर्य के साथ स्वीकार किया जा सकता है? किन बातों को नहीं स्वीकार किया जा सकता? क्या पार्टनर स्वयं भी अपनी असुरक्षा से बाहर आने की मंशा रखता है? क्या इसके लिए वह कोशिशें कर रहा है? यदि हां तो धैर्य रखना उचित होगा। असुरक्षा हमेशा रिश्ते में खतरा नहीं पैदा करती, लेकिन इसे बढऩे नहीं दिया जाना चाहिए। इसलिए उदार रहें, मददगार बनें, काउंसलर की मदद लें। लेकिन सहने की सीमा तय करें, रिश्ते को मजबूरी न बनाएं।

इंदिरा राठौर


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