दोस्ती है बुनियाद हमारे रिश्ते की: शक्ति आनंद-सई देवधर
धारावाहिक सास भी कभी बहू थी, नच बलिए, क्राइम पेट्रोल से चर्चित शक्ति आनंद छोटे पर्दे का चर्चित चेहरा हैं। फिलहाल शक्ति महाराणा प्रताप में महाराजा उदय सिंह का किरदार निभा रहे हैं। इनकी हमसफर सई देवधर भी टीवी कलाकार हैं। एक शो के दौरान मुलाकात हुई। दोस्ती हुई और फिर लगाव बढ़ा तो शादी कर ली। अब इनके जीवन में एक नन्ही वेलेंटाइन आ चुकी है। मिलते हैं इस मस्त और खुशमिजाज दंपती से।
माथे पर लाल तिलक, कानों में कुंडल, बडी-बडी मूंछें, कठोर दिखता चेहरा और रौबीली आवाज। ये हैं शक्ति आनंद, जो धारावाहिक भारत का वीर पुत्र-महाराणा प्रताप में महाराज उदय सिंह की प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। इंजीनियरिंग के पेशे से थिएटर और टीवी की दुनिया में आए शक्ति दिल्ली के ठेठ पंजाबी पृष्ठभूमि के हैं, जबकि उनकी हमसफर सई देवधर बंगाली-मराठी मिक्स। इनकी मुलाकात धारावाहिक सारा आकाश के सेट पर हुई। सई ने नच बलिए, सीआइडी और कसौटी जिंदगी की जैसे सीरियल्स किए हैं। साथ काम करने के दौरान दोस्ती हुई। फिर समझदारी बढी तो लगा कि साथ रहा जा सकता है। अब इनके सुहाने सफर को एक दशक यानी 10 साल होने जा रहे हैं। हर हाल में खुश रहने वाले दंपती से मिलते हैं इस बार।
यह पहली नजर का प्यार था या..
शक्ति : सारा आकाश के सेट पर मिले तो प्रोफेशनल रिश्ते थे हमारे। साथ काम करते थे, बातें होती थीं, फिर दोस्ती हुई। खास मौकों पर एक-दूसरे के घर भी जाने लगे। यह सब सोच कर नहीं, अनायास होता गया। हमने कभी एक-दूसरे को इंप्रैस करने के बारे में नहीं सोचा। दोनों की जिंदगी अलग थी। शायद उन दिनों गर्लफ्रेंड भी थी मेरी। मगर अलग-अलग राह पर चलते हुए हम किसी एक पॉइंट पर मिल गए..।
सई : हां, हमारी दोस्ती बहुत अच्छी और खुली हुई थी। मुझे लगता है कि दो लोगों को मिलना होता है तो मिल ही जाते हैं।
फिर शादी के बारे में कब सोचा?
शक्ति : हम दोस्त जरूर थे, मगर हमने कभी डेटिंग नहीं की, रेस्तरां नहीं गए, फिल्म नहीं देखी। वह टीवी शो दो-ढाई साल चला। इस दौरान हमारी दोस्ती अच्छी हो गई थी। हमारे पेशे में होता यह है कि जैसे ही शो खत्म होता है, लोग इधर-उधर चले जाते हैं, दूसरी जगह व्यस्त हो जाते हैं। फिर दोस्ती सिमटने लगती है और एक समय आता है जब फोन से नंबर्स भी डिलीट हो जाते हैं। हम सोचने लगे कि क्या हमारे साथ भी ऐसा ही होगा?
सई : मैं दुविधा में थी कि आगे क्या होगा। मैंने शक्ति से कहा कि हमारी दोस्ती क्या बस यहीं तक थी? इस पर शक्ति ने सीधे पूछा, मुझसे शादी करोगी? मैंने बहुत सोचने का वक्त नहीं लिया, तुरंत हां कर दी।
शक्ति : प्रपोज करते समय मैं डर रहा था कि सई मुझे गलत न समझ लें। मैंने साफ कहा कि यार हम दोस्त हैं, मैं तुम्हें टिपिकल वाइफ की भूमिका में नहीं देखना चाहता। तुम मेरी दोस्त हो और रहोगी। मैं तुम्हें पसंद करता हूं और हम एक-दूसरे के बारे में सब कुछ जानते हैं। एक-दूसरे के परिवार वालों को भी जानते हैं। इसलिए शादी को लेकर जरा भी हिचक हो तो बता दो, मुझे बुरा नहीं लगेगा।
शादी में फेमिली ड्रामा नहीं हुआ? शक्ति : मेरे घर में प्रॉब्लम नहीं थी। पेरेंट्स को फोन किया तो वे तुरंत मुंबई आने और सई के घर वालों से मिलने को तैयार हो गए।
सई : शक्ति के पेरेंट्स समझदार व लिबरल हैं। वे यही चाहते थे कि उनका बेटा खुश रहे। मेरे पेरेंट्स को लगता था कि कल्चर फर्क है, मगर मैंने उन्हें कन्विंस कर लिया। पापा ने कहा, बेटा, शादी एक कमिटमेंट है। गृहस्थी प्यार से सींचा जाने वाला गुलशन है। इसमें सदा फूल बन कर रहना, कभी अलग गुलशन बनाने के बारे में मत सोचना।
तो चट मंगनी पट ब्याह हो गया?
शक्ति : हां। वर्ष 2004 की 27 दिसंबर को मैंने सई को प्रपोज किया। 29 तारीख को कला मंदिर से साडी खरीदी और एक दोस्त के साथ सई के घर चला गया। पेरेंट्स को फोन कर दिया था। नए साल पर वे आ गए। दोनों परिवार मिले, बात हुई। पेरेंट्स ने कहा कि सब तय ही है तो सगाई भी कर देते हैं। 14 जनवरी को सगाई हुई। सगाई के दिन ही पेरेंट्स ने कहा, शादी भी जल्दी कर लो। उस समय मेरे कई धारावाहिक ऑन एयर थे। खैर, 30 जनवरी 2005 को शादी हो गई।
सई : मेरी मां बंगाली हैं, पिता मराठी और शक्ति पंजाबी। खानपान, रीति-रिवाज, संस्कृति में काफी फर्क है। पंजाबी परिवारों में लाल चूडा जरूरी है तो मराठियों में हरी चूडियां। सारी बातों पर सोचने के बाद यही ठीक लगा कि आर्य समाज में शादी करें।
शादी कैसे अच्छी चल सकती है?
शक्ति : सामंजस्य, समझदारी और रिश्तों में भरोसा बहुत जरूरी है। अब लडकियां बाहर काम कर रही हैं तो उन्हें पर्सनल स्पेस चाहिए। कभी उन्हें घर लौटने में देर हो सकती है, कभी फ्रेंड सर्कल में रहना चाहती हैं। कई दोस्तों में इन बातों को लेकर भी तनातनी हो जाती है, जो गलत है।
सई : मेरे हिसाब से एक-दूसरे के विचारों, काम, भावनाओं का सम्मान बहुत जरूरी है। छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करें और अहं से दूर रहें। माता-पिता से भी हमारा विवाद होता है, हम उन्हें नहीं छोडते। मैंने 22 साल की उम्र में शादी की। तब करियर पीक पर था। कई लोगों को मेरा फैसला गलत लगा। पर मुझे लगता था कि करियर बन सकता है, सही जीवनसाथी फिर नहीं मिलेगा। मैंने पेरेंट्स को एक-दूसरे की मदद करते, प्रोत्साहन देते देखा है। मैंने भी यही चाहा। दुनिया शक्ति की आंखों से देखी है मैंने। वह मेरे दोस्त व गाइड हैं। कैसा भी वक्त हो, हम खुश रहते हैं। बुरे वक्त में भी खुद पर हंस सकते हैं। हमारे रिश्ते की यही खूबी है।
झगडा करते हैं कभी? किन बातों पर?
शक्ति : हमारे बीच मुंबई-दिल्ली वाली बहस होती है। मैं हूं पंजाबी, मसालेदार खाना पसंद है। खुले दिल से खर्च करता हूं। हर चीज बडी चाहिए मुझे, चाहे घर हो या कार। मगर सई सिंपल हैं। इन्हें फिजूलखर्च पसंद नहीं। बस, इन्हीं बातों पर बहस हो जाती है।
सई : झगडे होने चाहिए, तभी तो जिंदगी में मजा आता है। कई बार तो बेटी की ड्रेस को लेकर भी उलझ जाते हैं शक्ति। वैसे शक्ति मानेंगे नहीं कि इन्हें गुस्सा आता है। दोस्तों-रिश्तेदारों को भी लगता है कि ये तो संत आदमी है, मगर असलियत मैं जानती हूं। जब इन्हें गुस्सा आता है तो मैं चुप हो जाती हूं। मैं छोटी-छोटी बातों पर चिढती हूं, लेकिन जल्दी सहज हो जाती हूं। शक्ति का गुस्सा देर तक रहता है। मैं इनसे उम्र में काफी छोटी हूं, इसलिए इनका बहुत लिहाज करती हूं। एक लिमिट है, जिसे मैं कभी क्रॉस नहीं करती।
रोमैंटिक कौन ज्यादा है?
सई : मैं। शक्ति का तो सारा प्यार बेटी के लिए है। मैं सोचती रहती हूं, काश ये मुझे कभी गुलाब देते! पर इनका रोमैंस थोडा अलग है। कई बार मुझे फोन करके कहेंगे, सई बडे अच्छे जॉगिंग शूज मिल रहे हैं, खरीद लूं? मुझे लगता है, चलो गुलाब न सही, जूता सही..। मुझे शूटिंग पर जाना हो तो कहेंगे, तुम बेफिक्र होकर काम करो, बेटी को मैं संभाल लूंगा। कभी आइ लव यू नहीं बोला, कहते हैं, तुम तो मेरी कॉमरेड दोस्त हो। वैसे अब तो ये गिफ्ट्स या सरप्राइज डिनर की अहमियत थोडा समझने लगे हैं।
इंदिरा राठौर