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ताउम्र चलती हैं संवारने की कोशिशें: चेतन हंसराज-लविनिया

टीवी की चर्चित हस्ती चेतन हंसराज इन दिनों धारावाहिक 'भाग्यलक्ष्मीÓ में नज़्ार आ रहे हैं। ग्रे शेड्स किरदार निभाने वाले चेतन असल ज़्िांदगी में बहुत विनम्र स्वभाव के हैं। चेतन और लविनिया परेरा का अंतरधार्मिक विवाह हुआ है और दोनों इस शादी से ख़्ाुश हैं। इसी महीने उनकी शादी के

By Edited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 01:32 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 01:32 PM (IST)
ताउम्र चलती हैं संवारने की कोशिशें: चेतन हंसराज-लविनिया

टीवी की चर्चित हस्ती चेतन हंसराज इन दिनों धारावाहिक 'भाग्यलक्ष्मी में नज्ार आ रहे हैं। ग्रे शेड्स किरदार निभाने वाले चेतन असल ज्िांदगी में बहुत विनम्र स्वभाव के हैं। चेतन और लविनिया परेरा का अंतरधार्मिक विवाह हुआ है और दोनों इस शादी से ख्ाुश हैं। इसी महीने उनकी शादी के 11 साल पूरे हुए हैं। फिल्मों जैसी ही है इनकी प्रेम कहानी। मिलते हैं इनसे।

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चेतन हंसराज और लविनिया ने एक दशक पहले अंतरधार्मिक विवाह किया था। चेतन हिंदू हैं और लविनिया कैथोलिक। दोनों का एक प्यारा सा बेटा है। एक कॉमन फ्रेंड के ज्ारिये ये मिले और पहली ही मुलाकात में चेतन के दिल में घंटियां बज गईं। जीवन के हसीन सफर पर साथ चलने के अपने अनुभव बांट रहे हैं दोनों।

पहली मुलाकात

चेतन : हमारी मुलाकात और शादी फिल्मी कहानी सरीखी ही है। मैं एक क्लब में गया था। लविनिया भी वहां थीं। हमारी मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के ज्ारिये हुई। मैं इनकी ख्ाूबसूरती पर फिदा हो गया था। इनसे नज्ारें ही नहीं हट रही थीं। दिल में घंटियां बज गईं और पहली नज्ार का प्यार हो गया, हालांकि प्यार पूरी तरह एकतरफा था।

लविनिया परेरा : हमारे धर्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि अलग-अलग थी। मेरे लिए यह पहली नज्ार का प्यार नहीं था। हमारी कई मुलाकातें हुईं। इन्हें जानने के बाद लगा कि हमें हमसफर बनना चाहिए। मुझे इनकी सादगी भा गई थी। जब हमारी मुलाकात हुई, चेतन मॉडलिंग में सक्रिय थे जबकि मैं मुंबई में एयरहोस्टेस थी।

परिवार को मनाना पडा

्रलविनिया : चेतन हिंदू हैं और मैं कैथोलिक। मेरे लिए चेतन के बारे में मां को बताना पहाड जैसा था। दरअसल हम दस भाई-बहन हैं। सभी ने कैथोलिक परिवार में शादी की है। चेतन और मैं चोरी-छुपे मिलते थे। मां को झूठ बोलकर जाती थी। यह सिलसिला चार साल चला। मुझे मां से रिश्ता छुपाना पसंद नहीं आ रहा था। आख्िारकार हमने उन्हें बताने का फैसला किया। शुरुआत में उन्हें पसंद नहीं आया, लेकिन चेतन से मिलने के बाद वह मान गईं। उन्होंने चर्च में शादी करने की बात कही। चेतन ने उसे मान लिया। उनका परिवार खुले विचारों का है, हालांकि मैं इनके घरवालों से मिलते हुए काफी नर्वस थी। हमारे परिवारों का कल्चर बिलकुल अलग-अलग था। इसके बावजूद सबने मुझे खुले दिल से स्वीकार किया। हमारे यहां रस्म के मुताबिक शादी से तीन दिन पहले लडके से मिलना मना होता है। हम फोन पर बातें करते थे। चर्च में शादी की तैयारी मुझे ही करनी थी। यह तैयारी लडकी वाले करते हैं। मैं उसमें व्यस्त थी। हम शादी का भार अपने परिवारों पर नहीं डालना चाहते थे। 12 दिसंबर 2004 को चर्च में और दो दिन बाद 14 दिसंबर को हिंदू रीति-रिवाजों से शादी हुई। मुझे सब बहुत अच्छा लग रहा था।

चेतन : हमारा परिवार जानता था कि हमने कोई ग्ालत निर्णय नहीं लिया है। हम समझदार थे। दोनों के परिवार वालों की इच्छा का मान रखते हुए हमने दोनों रीतियों से शादी की, हालांकि यह सब काफी फिल्मी लग रहा था। बाद में सब कुछ नॉर्मल हो गया। चर्च की शादी में हमने सिर्फ करीबी दोस्तों को बुलाया था। शादी के समय भी लोगों को लग रहा था कि शायद यह कोई शूटिंग है। बाद में सबको पता चला कि यह असली शादी है। शादी के एक दिन पहले मैंने वेडिंग सूट ख्ारीदा था। उस समय दो शोज्ा की शूटिंग चल रही थी। हमारी शादी मुंबई के सन एंड सैंड होटल में हुई, जिसमें कई फिल्मी हस्तियों ने शिरकत की थी।

अलग काम-अलग टाइमिंग

लविनिया : एयर होस्टेस होने के कारण हमारी टाइमिंग अलग-अलग थी। जब मैं घर आती थी, चेतन शूटिंग में होते थे। काफी व्यस्त दिनचर्या थी। शादी हुए कुछ ही महीने बीते थे कि मैं प्रेग्नेंट हो गई। इस दौरान फ्लाइट पर नहीं जा सकती, इसलिए ग्राउंड ड्यूटी पर रही। बेटे को जन्म देने के 40 दिन बाद हमें काम पर लौटना होता है। मैंने अस्पताल में ही चेतन से कहा कि मुझे नौकरी नहीं करनी। चेतन ने कहा दोनों काम करेंगे तो बच्चे की देखभाल नहीं हो सकेगी। बेटे के लिए मैंने नौकरी छोड दी।

चेतन : बेटे के जन्म के बाद मेरे पास ढेरों प्रस्ताव आने लगे। लविनिया के घर पर रहने से मैं निश्चिंत था। ज्िांदगी आगे बढती गई।

प्यार के साथ समझदारी भी

चेतन : रिश्ते की बुनियाद प्यार, विश्वास और समझदारी पर टिकी है। नींव कमज्ाोर होती है तो रिश्ते टूटते हैं। लोग सोचते हैं कि पश्चिमी समाजों में तो रिश्ते टूटते हैं और उन्हें फर्क नहीं पडता, लेकिन फर्क पडता है। अब लोग बचाने के बजाय विकल्प ढूंढने लगे हैं। उन्हें लगता है कि एक रिश्ता टूटेगा तो दूसरा जुड जाएगा।

लविनिया : कोई एक-दूसरे को समझना या समझौता नहीं करना चाहता। मैं और चेतन भी एक-दूसरे से बहुत अलग हैं, मगर हम एडजस्ट करते हैैं। समस्या होने पर उसे सुलझाते हैं। इसी तरह से रिश्ते को संभाला जाता है। लगातार कोशिशें करनी पडती हैं। अब लोग आसानी से हार मान लेते हैैं। स्त्रियां भी आत्मनिर्भर हो गई हैं। अपनी पसंद से ज्िांदगी जीना पसंद करती हैं। आजकल दंपती नौकरीपेशा हैं, इसकी वजह से भी रिश्ते प्रभावित होते हैं, क्योंकि रिश्ते को लोग पूरा समय नहीं दे पाते। एक-दूसरे के लिए वक्त निकालना ज्ारूरी है। हम तो हर वीकेंड कहीं घूमने निकल जाते हैं।

यादगार पल

लविनिया : हाल में ही हम दोनों अमेरिका में छुट्टी मनाने गए थे। वहां की यादें मेरे दिल में हमेशा रहेंगी। हम क्रूज्ा पर गए थे। मेरे भाई वहां काम करते हैं। वहां बिताया हर दिन यादगार था। हम म्यामी, जैमेका और मैक्सिको गए। पोर्ट पर कई एडवेंचरस स्पोट्र्स भी होते थे। शादी की दसवीं सालगिरह पर चेतन ने हमें सरप्राइज्ा दिया था। हम गोवा गए थे। हमने दो दिन वहां बिताए। वैसे मैं भी उन्हें सरप्राइज्ा दिया करती हूं। उनके पास कपडे ख्ारीदने का समय नहीं होता है। मैैं इनके लिए ख्ारीदारी करती हूं।

चेतन : मेरी ज्िांदगी का सबसे ख्ाूबसूरत पल वह था, जब मेरे बेटे ने दुनिया में आंखें खोलीं। अब वह चौथी क्लास में है। हम हर दिन को यादगार बनाने की कोशिश करते हैैं। हर पल महत्वपूर्ण है, उसे ख्ाूबसूरत बनाना चाहिए।

रिश्तों में स्पेस ज्ारूरी

लविनिया : हम दोनों एक-दूसरे को पूरा स्पेस देते हैं। कई बार चेतन अपने दोस्तों के साथ अकेले छुट्टी पर चले जाते हैं। मुझे इससे कोई समस्या नहीं है। वह मुझे भी अपने दोस्तों के साथ बाहर जाने से रोकते नहीं। वैसे मैं कभीकभार ही दोस्तों के साथ आउटिंग पर जाती हूं।

चेतन : रिश्तों को जीवंत रखने के लिए स्पेस देना बहुत ज्ारूरी है। स्पेस न देने से चीज्ों बिगड सकती हैं। जिस भी कार्य से ख्ाुशी मिले, उसे करने की पूरी आज्ाादी होनी चाहिए, लेकिन मर्यादा में रहते हुए आज्ाादी मिले।

बहस तो ज्ारूरी है

चेतन : हम दोनों ही खाने-पीने और घूमने के शौकीन हैं। हमें साथ में मूवी देखना अच्छा लगता है। हम दोनों को ग्ाुस्सा बहुत आता है, मगर हमें गुस्से को नियंत्रित करना भी आता है।

लविनिया : चेतन जब भी शूटिंग से घर आते हैं तो सामान व्यवस्थित नहीं करते। जूते कहीं उतार देते हैं, कहीं बैग रख देते हैं। हमारी लडाई इसी बात पर होती है। घर को सजाने का उनका आइडिया मुझे कभी पसंद नहीं आता। चेतन बेटे को किसी चीज्ा के लिए मना नहीं करते, जबकि मैं रोकने की कोशिश करती हूं।

बेटे की छोटी सी चाहत

चेतन : बेटे को हम कभीकभार शूटिंग पर ले जाते हैं। डेली सोप की शूटिंग 12 घंटे होती है। बच्चे थोडी देर में ऊबने लगते हैं। वैसे भी उसकी पढाई का नुकसान हो, यह मुझे पसंद नहीं। मैंने एक बार उसे सलमान ख्ाान से मिलवाया था। वह बहुत ख्ाुश हुआ। सलमान उसे बाइक पर घुमाने ले गए थे।

लविनिया : हमारा बेटा बहुत संवेदनशील है। उसे चेतन के नकारात्मक किरदार पसंद नहीं हैं। वह हमेशा कहता है कि डैड हीरो कब बनेंगे। उसे बडा बुरा लगता है, जब सीरियल में चेतन को मारा-पीटा जाता है। मैं अपने बेटे को ज्य़ादा टीवी नहीं देखने देती। हालांकि 'फियर फैक्टर में चेतन को देख कर वह बहुत ख्ाुश हुआ।

हर त्योहार मनाते हैं हम

लविनिया-चेतन : धर्म हमारी राह में कभी बाधक नहीं बना। हम दोनों धर्मों का सम्मान करते हैं। सारे त्योहार मनाते हैं। कुछ दिन पहले हमने दीवाली धूमधाम से मनाई। हमारी दीवाली वाली लाइटिंग क्रिसमस तक जलती रहती है।

शादी बेहद ख्ाूबसूरत रिश्ता

लविनिया : शादी के बारे में सोच-समझ कर फैसला करें, जल्दबाज्ाी में निर्णय नहीं लेना चाहिए। ख्ाुद से पूछें कि क्या ज्िाम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार हैं? तभी आप रिश्ते को ईमानदारी से निभा पाएंगे। दबाव में आकर शादी न करें। ख्ाुद को काबिल बनाएं।

चेतन : शादी ख्ाूबसूरत एहसास है। यह इंसान को पूरा करती है। बच्चेहोने के बाद परिवार पूरा होता है। कुछ लोगों को शादी बोझ लगती है। पत्नी को बंधन समझते हैं, जो ग्ालत है। मेरा मानना है कि पत्नी को बराबरी का दर्जा दें, वही सुख-दुख में साथ खडी होगी। स्न

स्मिता श्रीवास्तव


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