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बहनें करती हैं भाइयों का बचाव

रिश्तों में घुली मिठास और अपनापन रिश्तों को मजबूत बनाने का काम करते हैं। कुछ रिश्ते इतने ख़्ाास और करीबी होते हैं कि उनके लिए अपनों से भिडऩा भी पड़े तो गम नहीं होता। ऐसा ही रिश्ता होता है भाई-बहन का।

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 02:57 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 02:57 PM (IST)
बहनें करती हैं भाइयों का बचाव

रिश्तों में घुली मिठास और अपनापन रिश्तों को मजबूत बनाने का काम करते हैं। कुछ रिश्ते इतने ख्ाास और करीबी होते हैं कि उनके लिए अपनों से भिडऩा भी पडे तो गम नहीं होता। ऐसा ही रिश्ता होता है भाई-बहन का।

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आज इतने गुस्से में थीं कि अगर मोहित सामने आ गया होता तो जमकर पिटाई हो जाती। पर दीपशिखा ने मां के गुस्से को भांपते हुए सारा मामला मोहित के आने से पहले ही निपटा दिया। दीपशिखा है तो मोहित से छोटी पर उसके बचाव में हमेशा एक बडी बहन का किरदार निभाती है। अधिकतर घरों का हाल ऐसा ही है। भाई-बहन के प्यार की कहानियां तो हर किसी से सुनने को मिल जाती हैं। बहनों का स्नेह, प्यार और दुलार भाइयों के लिए उनके सुरक्षा कवच का काम करता है। वहीं बहनों का मान सम्मान भाइयों की प्राथमिकता होती है। आजकल बहनें ज्य़ादा सजग हो गई हैं। अब वे भाइयों के पीछे नहीं, उनके बचाव में सबके सामने खडी होने लगी हैं।

बढती है साझेदारी

हर रिश्ते में अब बदलाव आ रहा है। भाई बहन का रिश्ता भी और सहज और सजग हुआ है। इस बात की प्रमाणिकता पर तो मनोवैज्ञानिकों ने भी अपनी मोहर लगा दी है। आजकल आपसी रिश्तों में बिखराव तो आ रहा है पर उनमें लगाव कम भी नहीं हुआ है। कामकाजी माता-पिता हर घर की जरूरत बन चुके हैं और इसके चलते बच्चों में साझेदारी बढी है। घर में बच्चों को मिल रहे खुलेपन से उनमें अपनी बात रखने का हौसला भी बढा। आपसी बातचीत से बच्चों में विकास जल्दी होता है।

जिम्मेदारी का एहसास होना है जरूरी

आजकल के बच्चे ज्य़ादा समझदार और परिपक्व हो रहे हैं। इसका एक फायदा ये भी हुआ है कि वो आपस की जिम्मेदारियों को भी पहले से कहीं अधिक समझने लगे हैं। बहनों ने भाइयों के साथ रिश्तों की इन जिम्मेदारियों को बांटना शुरू किया है। प्यार और सुरक्षा का भाव मच्योरिटी लाने में सहायक हुआ है।

फ्रंट नहीं बैक सपोर्ट बनें

हमेशा हर बात का बचाव करना भी सही नहीं होता। कई बार बहनों का सपोर्ट और प्यार भाइयों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसीलिए जब भी घर में ऐसा माहौल बने तो भाई को समझाएं कि वद्द घर के बडों की बात को समझे और उसे फॉलो करे। इससे उनके मन में खुलकर मनमजर्ी करने का भाव नहीं आएगा और आपकी इज्जत और प्यार में इजाफा होगा।

रिश्तों में न आ जाए खटास

बहनों का प्यार एक तरफ तो भाइयों का सहारा बन जाता है, वहीं दूसरी तरफ घर के लोगों के बीच बातचीत का विषय भी। वैसे ऐसी आशंका कम ही होती हैं कि माता-पिता अपने ही बच्चों से बैर

करें। पर हर समय का बीच-बचाव मां-बाप से अनबन जरूर करा सकता है। इसलिए हमेशा उनकी जगह और सम्मान का भी ध्यान रखें। हर चीज की अति ख्ातरनाक साबित होती है। फिर चाहे वह प्यार ही क्यों न हो।

बहनों के लिए कुछ सुझाव

-जब भी भाई कुछ गलत करे तो उसकी गलती पर पर्दा न डालें। बल्कि उसे सही-गलत का फर्क करना सिखाएं।

-बडों के बीच में कभी न बोलें और न ही अपने भाई को ऐसा करने दें।

-प्यार को कमजोरी न बनने दें। कभी-कभी हम अति लगाव की वजह से अपने ही लोगों की आदतें खराब कर देते हैं। ऐसा करने

से बचें।

-अपने भाई को हमेशा एहसास दिलाती रहें कि आप सब कुछ नहीं संभाल सकती हैं ताकि उसके मन में मम्मी-पापा का भय बना रहे।

-भावनात्मक और सामाजिक तौर पर अपने भाई को मजबूत बनाने में उसका साथ दें ताकि वो अपनी बात कहना खुद सीखे।

भाई भी दें इन बातों पर ध्यान

-मम्मी पापा के अलावा घर में बहन का सपोर्ट मिल जाना, किसी वरदान से कम नहीं होता। पर इस सपोर्ट का नाजायज फायदा न उठाएं।

-बहन को कभी-कभी स्पेशल फील कराएं और अपना कुछ समय उनके साथ बिताएं।

-सिर्फ अपना फायदा न देखें। अपनी बहन की जरूरतों का भी ध्यान रखें।

-अपनी बहन की उपलब्धियों को सराहें और उसे आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित भी करें।

-अपनी हर बात को बहन से शेयर करें और उसे भाई-बहन की दोस्ती का एहसास कराएं।

वंदना यादव


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