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इस तकरार में है दोनों की हार

छोटी-छोटी बातों को लेकर बार-बार टोकना, आदेश देना या दूसरे को नाकारा साबित करने पर तुल जाना.. दांपत्य में ये बातें जहर घोलने का काम करती हैं। नैगिंग की आदत हद पार करने लगे तो रिश्ते दरकने लगते हैं। रिश्ते को सदा जवां बनाए रखने के लिए अनावश्यक जिद को छोड़ना और व्यवहार में अपेक्षित उदारता-विनम्रता लाना जरूरी है।

By Edited By: Published: Wed, 01 Aug 2012 12:55 AM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2012 12:55 AM (IST)

रुपया-पैसा, नौकरी, सास-ससुर, बच्चा न होना या विवाहेतर  संबंध.., वे कौन से कारण हैं जो विवाहित जीवन में सेंध लगा कर उसकी खुशियां चुरा लेते हैं? आश्चर्यजनक रूप से इनमें से कोई भी समस्या इतनी गंभीर नहीं जितनी नैगिंग की समस्या।

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बार-बार टोकने व तंग करने की यह आदत एक सीमा के बाद रिश्तों में दरार डालने लगती है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक रिश्तों में चीटिंग  से भी अधिक खतरनाक साबित होती है नैगिंग।

क्या है नैगिंग

उफ! गीला टॉवेल फिर से बिस्तर पर.., कपडे यहां-वहां क्यों फेंके हैं? जूते की जगह ड्राइंग रूम में नहीं, शू रैक में है, ये गंदे मोजे कब तक लॉन्ड्री से बाहर रहेंगे..?

हममें से अधिकतर स्त्रियां लगभग रोज ऐसे वाक्य दोहराती नजर आती हैं। व्यवस्थित होना, स्वच्छता रखना, हर काम को बखूबी संभालना, अनुशासन रखना.. ये कुछ गुण खासतौर पर स्त्रियों में होने जरूरी समझे जाते हैं। लेकिन जब आदतें ऑब्सेशन बन जाएं और दूसरा पक्ष लगातार लापरवाही, सुस्ती और आरामतलबी दिखाता रहे तो झगडा होना तय है।

एक पक्ष लगातार दूसरे को आदेश देता रहे, उसे टोकता रहे, ताने देता रहे जबकि दूसरा पक्ष उसे नजरअंदाज करता रहे। साथ ही दोनों अपनी-अपनी जिद पर अडे रहें तो झगडा बढने लगता है। यूं तो ऐसे झगडे लगभग हर दंपती के बीच होते हैं, लेकिन जब कोई पक्ष झुकने को तैयार न हो और झगडे रोज होने लगें तो समस्या गंभीर हो जाती है। यह क्रूरता की हद तक बढने लगती है और रिश्ते का भविष्य खतरे में पड सकता है। गुडगांव (हरियाणा) की लाइफस्टाइल एक्सपर्ट डॉ. रचना खन्ना सिंह कहती हैं, दुर्भाग्य से इस तरह के झगडों की शुरुआत अकसर स्त्रियां करती हैं। इसका एक कारण यह है कि घरेलू जिम्मेदारियां  उन पर पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक होती हैं।

इसका अर्थ यह नहीं है कि पुरुष नैगिंग नहीं करते। आमिर खान के चर्चित टीवी शो सत्यमेव जयते के घरेलू हिंसा से जुडे एक एपिसोड में कुछ पुरुषों ने स्वीकारा कि खाना न बनाने, रोटी खराब बनाने जैसी छोटी-छोटी बातों को लेकर भी वे पत्नी को तंग करते हैं, ताने देते हैं और अकसर मारपीट करते हैं।

रार से पडती है दरार

द वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित इस शोध ने कई बहसों को भी जन्म दिया है। यूएस स्थित सेंटर फॉर मैरिटल  एंड फेमिली स्टडीज  के सह-संस्थापक व मनोवैज्ञानिक प्रो. हॉवर्ड  मर्खम  कहते हैं, जो लोग वैवाहिक जीवन के पांच साल नाखुश  होकर बिताते हैं, उनके बीच नकारात्मक संवाद 20 प्रतिशत तक बढ जाता है। यह सच है कि किसी भी अन्य बात की तुलना में नैगिंग प्यार को ज्यादा नष्ट करती है। लगातार टॉक्सिक  कम्युनिकेशन जारी रहे तो रिश्ते का दि एंड होते देर नहीं लगती।

खत्म करें इस आदत को

अच्छी खबर यह है कि नैगिंग की आदत को खत्म  किया जा सकता है। इस व्यावहारिक समस्या को व्यावहारिक बुद्धि व सोच से ही सुलझाया जा सकता है। डॉ. सिंह कहती हैं, यूं तो नैगिंग सामान्य बातचीत जैसी दिखती है, लेकिन रिश्तों का यह नेगेटिव पैटर्न लंबा खिंचता रहे तो परेशानी बढ जाती है। क्योंकि इसमें एक पक्ष लगातार दूसरे की आलोचना करने लगता है। बातचीत के ऐसे नकारात्मक तरीके को जितनी जल्दी हो, बदलना चाहिए। आपस में बैठ कर संवेदनशील होकर मूल समस्या के बारे में चर्चा करनी चाहिए। क्या हो व्यावहारिक तरीका बातचीत का, आइए देखें-

आदेश या निवेदन

अपने स्वभाव को बदलें। व्यवहार में नरमी बरतें और आदेश देने के बजाय विनम्रता से अपनी बात कहें। बात कहने के सही तरीके पर विचार करें। क्या तुम इस हफ्ते में किसी दिन बिजली का बिल जमा कर दोगे, ताकि पेनल्टी न लगे.., यह है सही तरीका काम कराने का। गलत तरीका है, कभी तो तुम बिजली बिल समय पर जमा कर दो, क्या तुम्हें कभी फुर्सत मिलेगी.., आदेश नहीं, निवेदन करके देखें।

दूसरे का पक्ष समझें

पार्टनर की जगह खुद  को रख कर देखें। वह भी एक वयस्क व्यक्ति है। उसे इतना न टोकें कि वह घर में कैद सा महसूस करने लगे। हर व्यक्ति अपने घर में आजादी से रहना चाहता है और अपने हिसाब से जीना चाहता है।

कितना जरूरी है काम

यह भी सोचें कि जिस काम के लिए आप इतनी अधीर हैं, क्या वह वाकई इतना जरूरी है कि पार्टनर अपने अन्य जरूरी काम छोड कर पहले उसे करे? अपनी बात कह कर प्रतिक्रिया का इंतजार करें। लगातार बात रिपीट न करें, अन्यथा दूसरा चिढ जाएगा। सोचें कि क्या वह काम उसी वक्त होना जरूरी  है या उसे कुछ समय के लिए टाला जा सकता है?

बीच की राह

कहने वाले और सुनने वाले के बीच सबसे बडी समस्या यह है कि एक को लगता है उसकी बात सुनी नहीं जाती और दूसरे को लगता है उसे सराहना तो नहीं मिलती, लेकिन ताने मिल जाते हैं। दोनों ही इससे दुखी होते हैं। इसलिए लडाई भूल कर अपनी दुर्बलताओं  से लडें और बीच की राह निकालें।

पावर की लडाई

नैगिंग  कई बार सिर्फ जरूरतों  के लिए नहीं, बल्कि पावर के लिए भी होती है। इससे तय होता है कि रिश्ते में कौन हावी होना चाहता है। कभी-कभी अनजाने में भी ऐसा होता है। इस मानसिकता को समझने की कोशिश करें और उदारता के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करें, क्योंकि रिश्ते में बराबरी जरूरी  है।

विनम्रता के बदले विनम्रता

अगर एक पक्ष विनम्रता से पेश आ रहा है तो दूसरे को अपने व्यवहार में बेरुखी या आदेश का भाव नहीं रखना चाहिए। यह भी जरूरी है कि दूसरा पक्ष भी विनम्रता से कहे गए काम के प्रति जिम्मेदारी महसूस करे। ऐसा नहीं होगा तो विनम्रता धीरे-धीरे चिढ, फिर आदेश और फिर क्रूरता में बदल जाएगी।


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