बातों-बातों में
बातचीत करते समय हमें अवसर और लोगों का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए, अन्यथा दूसरों के सामने हमारी छवि ख़्ाराब हो सकती है। इसीलिए कुछ भी बोलने से पहले सोचना बेहद ज़रूरी है।
बातचीत करते समय हमें अवसर और लोगों का ध्यान जरूर रखना चाहिए, अन्यथा दूसरों के सामने हमारी छवि ख्ाराब हो सकती है। इसीलिए कुछ भी बोलने से पहले सोचना बेहद जरूरी है।
आप कहां जा रही हैं? यह आपके साथ कौन है? आज गर्मी भी बहुत ज्य़ादा है....ट्रेन या बस में सफर के दौरान कभी-कभी कुछ ऐसे ही लोगों से आपका भी साबका जरूर पडता होगा। ऐसे में आपका यह सफर, अंग्रेजी के 'सफर में तब्दील हो जाता होगा। बात केवल यात्रा की नहीं है, ऐसे लोग आपको हर जगह आसानी से मिल जाते हैं।
अति उत्सुकता के शिकार
दरअसल कुछ लोग स्वभावत: बेहद उत्सुक प्रवृत्ति के होते हैं। ये किसी अजनबी से पहली ही मुलाकात में सब कुछ जान लेना चाहते हैं। ऐसे सवाल पूछने वाले लोगों से उनके परिचित, दोस्त और रिश्तेदार कतराने लगते हैं और उन्हें ख्ाुद इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं होता कि लोग उनके साथ ऐसा क्यों करते हैं?
रखें ख्ायाल
कुछ लोग बिना सोचे-समझे दूसरों के सामने अपनी पर्सनल लाइफ से जुडी वैसी बातें भी बोल जाते हैं, जिन्हें बताना जरूरी नहीं होता। इससे न केवल प्राइवेसी भंग होती है, बल्कि दूसरों के सामने नाहक उनका इंप्रेशन भी ख्ाराब होता है। इस आदत का सबसे बडा नुकसान यह है कि दूसरे हमारी सभी कमजोरियों से वािकफ हो जाते हैं और वे उनका फायदा उठा सकते हैं। मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अशुम गुप्ता कहती हैं, 'यह सच है कि दूसरों से दिल की बातें शेयर करके तनाव दूर हो जाता है, पर जब तक आप किसी को अच्छी तरह नहीं समझते, उसके सामने अपनी पर्सनल बातें शेयर न करें। अन्यथा इससे आपकी परेशानियां दूर होने के बजाय बढ सकती हैं। अपने घर-परिवार, आर्थिक समस्याओं या सेहत संबंधी परेशानियों का जिक्र हर मिलने वाले से न करें, बल्कि ऐसे मामलों में केवल अपने करीबी लोगों से सलाह लेनी चाहिए।
पहले तोलें, फिर बोलें
कुछ लोग बेहद सरल हृदय के होते हैं और उनके मन में जो कुछ भी चल रहा होता है, उसे वे ज्यों के त्यों दूसरों के सामने बयां कर देते हैं, पर इस आदत से बचना चाहिए। हो सकता है, कहने के पीछे आपकी मंशा गलत न हो, पर दूसरे को वह बात बुरी लग सकती है।
अब बस भी करो
कुछ लोग दूसरों को किसी कार्य का निर्देश देते समय अपनी बातों को कई बार दोहराते हैं। इसी तरह कुछ लोग दूसरों के सामने अनजाने में अपने किसी आदर्श व्यक्ति की शौर्य-गाथा का गुुणगान इतनी बार कर चुके होते हैं कि सुनने वालों को वे बातें शब्दश: याद हो जाती हैं। डॉ. अशुम गुप्ता का मानना है, 'हम जिन्हें ज्य़ादा पसंद करते हैं, उन्हीं के बारे में अकसर बातें भी करते हैं, पर सामाजिक व्यवहार कुशलता के नाते हमें अपनी ऐसी आदत पर गौर करके उसमें बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए।
अपनाएं यह तरीका
-बातचीत के दौरान दूसरों को भी बोलने का मौका दें और उनकी बातें ध्यान से सुनें।
-जहां रिश्तों में ज्य़ादा खुलापन न हो, वहां किसी व्यक्ति से उसके निजी जीवन के बारे में ज्य़ादा पूछताछ न करें।
-प्रोफेशनल लाइफ में बोलने कीआदतों से ही हमारे व्यक्तित्व को परखा जाता है। इसलिए ऑफिस में कुछ भी बोलने से पहले सोच-विचार करना बेहद जरूरी है।
-बिना मांगे किसी को कोई सलाह न दें।
-दूसरों के सामने अपने परिवार की अनावश्यक प्रशंसा से बचें।
-यदि किसी व्यक्ति को कोई कार्य सौंप रही हैं तो एक ही निर्देश को बार-बार न दोहराएं।
विनीता