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आसान नहीं थीं राहें: श्रद्धा कपूर

अभिनय की दुनिया में फिल्म तीन पत्ती से कदम रखने वाली खूबसूरत श्रद्धा कपूर को असली पहचान आशिकी 2 से मिली। इस फिल्म में उनका किरदार आरोही ने दर्शकों के दिलों के तार छेड़ दिए। पिछले दिनों उनसे हुई मुलाकात में सखी ने पूछे कुछ सवाल। प्रस्तुत हैं उसके अंश..।

By Edited By: Published: Fri, 01 Nov 2013 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2013 02:45 PM (IST)
आसान नहीं थीं राहें: श्रद्धा कपूर

1 . आप अभी जहां हैं, उसे मेहनत का फल मानती हैं या किस्मत?

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मैं तो किस्मत और मेहनत दोनों की बराबर भूमिका मानती हूं। दोनों जरूरी हैं हमारे लिए। एक से बात नहीं बनेगी।

2 . आपके करियर का टर्निग प्वॉइंट?

मैंने अभी हिंदी की कुल तीन फिल्में तीन पत्ती, लव का द एंड और आशिकी 2 की हैं। दो फिल्मों ने मुझे सफलता नहीं दी। तीसरी फिल्म ने मुझे स्टार बनाया है। लेकिन अभी मुझे बहुत काम करना है।

3. क्या आप बचपन से ही अभिनय की दुनिया में आना चाहती थीं?

हां, घर और रिश्तेदारी में भी फिल्मी माहौल था तो मैं और कुछ सोच भी नहीं सकती थी।

4. आप अभिनय की दुनिया में नहीं होतीं तो कहां होतीं?

मैं और कहीं नहीं होती। यह सब तय था। किसी और फील्ड में जाने के बारे में मैंने सोचा ही नहीं।

5. आप अंधविश्वासी हैं?

नहीं, अब हम बडे हो गए हैं। इन बातों पर यकीन करना ठीक नहीं है।

6 . आपको धर्म में यकीन है?

जी बिलकुल है।

7. ईश्वर को लेकर कभी मन में नेगेटिव भाव आए?

समझ आने के बाद ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

8. सफलता के लिए क्या जरूरी है?

लगन से काम करना और मेहनत..। सफलता जरूर मिलेगी।

9 . आपकी नजर में जिंदगी क्या है?

जिंदगी अच्छी तरह से जीने का नाम है।

10. हिंदी फिल्मों के पसंदीदा डांसर?

ऐश्वर्या राय और रितिक रोशन।

11 . दो फिल्मों की असफलता के बाद आपको कैसा लगा था?

जब तीन पत्ती असफल हुई थी, तब ऐसा लगा, जैसे सब कुछ खत्म हो गया है। जिंदगी ठहर गई है। लव का द एंड से उम्मीद हुई, लेकिन उसने भी दिल तोडा।

12. ऐसे वक्त में किसने आपको साहस दिया?

मॉम, डैड और आंटी पद्मिनी कोल्हापुरे ने। इन लोगों ने हमेशा उदाहरण के साथ मेरा उत्साह बनाए रखा। इन लोगों की वजह से मैं खुद में यकीन बनाए रख सकी। किस्मत साथ थी तो फिल्म आशिकी 2 ने सब कुछ दे दिया।

13. यहां तक के सफर में आप पापा का कितना योगदान मानती हैं?

मैं उनकी बेटी हूं तो इसमें योगदान जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन मैंने भी यहां तक आने के लिए बहुत मेहनत की है। मेरे लिए राहें आसान नहीं थीं। पहला ऑडिशन मैंने अकेले जाकर दिया था। हम इन बातों से बहुत कुछ सीखते हैं।

14. आप दिल की सुनती हैं या दिमाग की?

दिल की सुनती हूं। अगर दिल ने ऐसा न कहा होता तो मैं आशिकी 2 में नहीं होती। यशराज बैनर की तीन फिल्में न स्वीकार कर आशिकी 2 के लिए हां कहना बहुत मुश्किल फैसला था। दिल की सुनकर इसके लिए हां किया और फल अच्छा मिला।

15. आप रोमैंटिक हैं?

जिंदगी अगर रोमैंटिक नहीं है तो फिर कुछ भी नहीं। प्यार जिंदगी की एक ऐसी चीज है, जिसे संजो कर रखना जरूरी है।

रतन

सखी प्रतिनिधि


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