नायिका प्रधान भूमिकाएं करूंगी: करीना
रिफ्यू़जी से लेकर अब तक करीना ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। निजी ़िजंदगी और प्रोफेशनल लाइफ में भी वे इस दौर से गु़जर चुकी हैं। आइए जानते हैं उतार-चढ़ाव की कहानी उन्हीं की ़जुबानी।
करीना कपूर की फिल्म हीरोइन को भले ही समीक्षकों ने सराहा न हो लेकिन बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों का अच्छा रेस्पांस मिला है। हालांकि, फिल्म के निर्देशक अभी फिल्म के सीक्वेल के बनने की बात खारिज कर रहे हैं, पर इंडस्ट्री में उन्हें सीक्वेल में भी लिए जाने की जोरदार चर्चा है।
कई ऐक्ट्रेस दूसरी इनिंग शुरू कर चुकी हैं। क्या अभिनेत्रियों को तरजीह देने की परंपरा पनप रही है हिंदी फिल्मों में?
नहंीं बाबा, मैं बिलकुल सीधी और साधारण लडकी हूं। एक ऐसी लडकी जो अपने परिवार के साथ रहकर सफल होना चाहती है न कि सब कुछ छोडकर। मैं एक ऐसे फिल्मी खानदान से संबंध रखती हूं जहां करियर में सफलता के साथ उतार-चढाव भी सब देख चुके हैं। विषम परिस्थितियों में जीवन में कैसे संतुलन बनाना है, यह मुझे आता है।
हीरोइन को लेकर कितनी उम्मीदें थी?
मधुर भंडारकर के काम पर मुझे शुरू से भरोसा रहा है। कोई भी अच्छा अभिनेता उनके साथ काम करना चाहता है। कहानियों का नयापन और रिसर्च जो उनके किरदारों में होता है वह किसी और मेकर के पास नहीं होता। तो इस फिल्म को लेकर मैं पहले से ही आश्वस्त थी। दर्शकों ने जिस तरह फिल्म को पसंद किया मैं शुक्रगुजार हूं ।
पहले छम्मक छल्लो, हल्कट जवानी अब दबंग 2 का आइटम सॉन्ग। कोई खास वजह आइटम सॉन्ग करने की?
गानों से मेरा पुराना कनेक्शन रहा है। चमेली, जब वी मेट से लेकर अब तक, मेरे फैंस ने गानों की वजह से पसंद किया है। छम्मक छल्लो के समय जहां भी प्रमोशन के लिए गई इसी गाने की धुन बजी। हल्कट जवानी की सफलता इस बात को पूरी तरह से पुख्ता करती है कि पब्लिक को आइटम सॉन्ग पसंद हैं। दबंग 2 के आइटम सॉन्ग के बारे में अभी कुछ भी नहीं कहना चाहूंगी।
रणवीर कपूर भी अब सौ करोड क्लब में शामिल हो चुके हैं? कैसा लगता है?
नि:संदेह अच्छा लगता है। इस मामले में मैं थोडी सी स्वार्थी हूं। मुझे लगता है कि सब लोग सफल हों, लेकिन हम यानी कपूर लोग थोडे अधिक सफल हों। अब तो करिश्मा भी फिल्मों में वापसी कर चुकी हैं। भगवान करें कि वह जल्द ही सफलता का स्वाद चखें। रणवीर के फिल्मों का चयन बहुत अच्छा है। रॉकस्टार के बाद वह और भी मच्योर हुए हैं। बर्फी में भी उनका लुक प्रभावशाली है।
कई ऐक्ट्रेस दूसरी इनिंग शुरू कर चुकी हैं। क्या अभिनेत्रियों को तरजीह देने की परंपरा पनप रही है हिंदी फिल्मों में?
मेरी फिल्म तो सबसे बडा उदाहरण हैं। हीरोइन जैसी एक नायिका प्रधान फिल्म हिट होना इस बात का संकेत है। द डर्टी पिक्चर की सफलता भी इस बात का प्रतीक थी। पंद्रह साल बाद श्रीदेवी जी की भी वापसी इंगलिश-विंगलिश से हुई है। माधुरी ने भी कमबैक किया है। मैं तो हमेशा से चैलेंज लेने में यकीन करती हूं। आगे भी मैं ऐसी नायिका प्रधान भूमिकाएं करती रहूंगी।
अकसर सफलता मिलने के बाद लोग खुद को संभाल नहीं पाते। क्या कहेंगी?
हमारे खानदान में एक से बढकर एक सफल लोग हुए हैं। ऐसे में सफलता को संभालना मैंने बचपन से ही सीखा है। मैंने लोलो और अपनी मां से जीवन में संतुलित रहना और हर दौर को सकारात्मक तरीके से देखने की तरकीब सीखी है।