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सपनों से मिलती है जीत

शुरुआत में बहुत बड़े-बड़े सपने देखने से बेहतर है किसी छोटे सपने को पूरा करना।

By Edited By: Published: Mon, 10 Oct 2016 03:03 PM (IST)Updated: Mon, 10 Oct 2016 03:03 PM (IST)
सपनों से मिलती है जीत
कॉलेज लाइफ जिंदगी का वह दौर है जिसमें युवाओं के पास ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं होती हैं। वे किसी बंधन में नहीं बंधे होते हैं और अकसर खुद के प्रति ही उत्तरदायी होते हैं। इस उम्र में न तो उन्हें बहुत ज्यादा डांटा जा सकता है, न ही कुछ जबर्दस्ती थोपा जा सकता है। अगर वे किसी लक्ष्य के प्रति डटे रहें तो बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। मार्टिन लूथर किंग जूनियर का एक कथन है, 'सीढिय़ां गिनने से कहीं ज्यादा जरूरी है पहला कदम बढाना'। यानी कि एक निर्धारित विजन होना। ड्रीम्स एंड विजन सपने हर कोई देखता है और उन्हें देखने की कोई उम्र भी नहीं होती है। फर्क इतना होता है कि कोई अपने सपनों की दुनिया को साकार करता है तो कोई स्वप्नलोक में ही जीता है। जो सपनों को पूरा करते हैं, उनके पास हर चीज के लिए विजन होता है। उस विजन के सहारे वे अपना टार्गेट पूरा करते हैं और वहां तक पहुंचने के लिए जरूरी है लक्ष्य पता होना। लक्ष्य के साथ ही उसको पाने का रास्ता और सही लोगों का मार्गदर्शन मिलना भी जरूरी होता है। शुरुआत हमेशा छोटे सपनों को पूरा करने से की जानी चाहिए जिससे कि और आगे बढऩे का हौसला मिलता रहे। समझें खुद को सपनों को पूरा करने से पहले खुद को जानना जरूरी है। हर स्टूडेंट को अपने स्ट्रॉन्ग और वीक पॉइंट्स का अंदाजा होना चाहिए जिससे कि वह अपनी क्षमता का सटीक आकलन कर सके। कोई भी परफेक्ट नहीं होता, कमी हर किसी के अंदर होती है, बस उसे मैनेज करने की कला सबकी अपनी होती है। अपनी कमियों को सिरे से नकारने के बजाय उन्हें स्वीकार कर उन पर मेहनत करनी चाहिए। ऐसा करने से खुद को बेहतर तरीके से एक्सप्लोर कर पाना आसान हो जाएगा। लोगों की अच्छाइयां भी इसी दौर में सामने आती हैं। खुद के प्रति थोडी कठोरता बरतने से व्यक्तित्व का मजबूत पक्ष खुद ब खुद सामने उभर कर आ जाता है। सीमाओं में न बंधें सफल होने के लिए मेहनत तो सभी करते हैं पर हर किसी को पहले ही प्रयास में सफलता मिल जाए, यह संभव नहीं होता है। पहली असफलता को कभी हार के तौर पर नहीं लेना चाहिए, बल्कि उसके बाद और ज्यादा मेहनत कर खुद को साबित करना चाहिए। कोई भी शुरुआत करने से पहले होमवर्क करना बहुत जरूरी होता है। अपनी क्षमताओं को पहचानने के साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि एक काम को कई तरीकों से किया जा सकता है। अगर एक तरीका कारगर नहीं रहा तो दिशा को थोडा सा बदल कर देखना चाहिए। राह आसान करने के लिए खुद को आजाद करना भी जरूरी होता है। मान लीजिए कि अपना टार्गेट पूरा करने के लिए आपको किसी विशेष सॉफ्टवेयर या तकनीक की जानकारी होनी चाहिए जो कि आपके पास नहीं है। ऐसे में परेशान या हताश होने के बजाय उस सॉफ्टवेयर की जानकारी जुटाने में लग जाना चाहिए। ऐसा करने से स्किल्स तो बढेंगी ही, कुछ नया करने का आत्मविश्वास भी आपके अंदर आएगा। दूसरों को सिखाने से भी ज्ञान बढता है इसलिए किसी के कुछ पूछने पर पीछे न हटें। सफलता का जश्न किसी भी प्रतियोगिता में हर किसी के फस्र्ट आने का विकल्प नहीं होता है पर अपनी मेहनत का जश्न हर कोई मना सकता है। सफल हुए हों या कुछ पीछे रह गए हों तो भी हताश होने जैसी कोई बात नहीं है। कडी मेहनत के बाद का समय होता है अपना आकलन करने का। जब उससे आश्वस्त हो जाएं तो कुछ समय के लिए बिलकुल रिलैक्स मूड में चले जाएं। यह समय अपनी रुचि के काम करने में लगाएं, अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। छोटी से छोटी चीज में भी खुशियां तलाशने का हुनर सबमें होना चाहिए, इससे लाइफ बोरिंग होने से बच जाती है। सफलता कभी भी सिर पर चढ कर नहीं बोलनी चाहिए। सफलता और विफलता, दोनों को ही बैलेंस करने की कला आनी चाहिए। सपने पूरा करने की ओर बढाया गया हर कदम और उस राह में शामिल हर व्यक्ति महत्वपूर्ण होता है इसलिए किसी को अपनी सफलता का श्रेय देने से कभी न चूकें। दीपाली पोरवाल साइकोथेरेपिस्ट सुनीता सनाढ्य से बातचीत पर आधारित

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