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आज की बचत कल का निवेश

आर्थिक सुरक्षा के लिए निवेश ज़रूरी है और यह तभी संभव है, जब व्यक्ति के पास पर्याप्त जमा पूंजी हो। इसलिए समझदारी इसी में है कि हम अपने अनावश्यक ख़्ार्च में कटौती करके आज से ही निवेश के लिए बचत की शुरुआत करें।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 21 Nov 2014 02:37 PM (IST)Updated: Fri, 21 Nov 2014 02:43 PM (IST)
आज की बचत कल का निवेश

आज के नौकरीपेशा वर्ग के लिए अपनी सीमित आय में से बचत करना बहुत मुश्किल है। ऐसी स्थिति में वित्तीय योजना बनाते समय ख़्ार्च पर नियंत्रण को प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे आपमें बचत की आदत पड़ जाएगी। साथ ही निवेश के लिए पर्याप्त पूंजी जुटाना भी आसान होगा।

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ख़्ार्च पर नियंत्रण

वित्तीय योजना में सबसे आसान काम ख़्ार्च पर नियंत्रण करना है। इसके तहत सबसे पहले यह देखें कि ख़्ार्च कहां हो रहा है और वह कितना ज़रूरी है। कई बार हम $गैर ज़रूरी चीज़ों पर ज्य़ादा ख़्ार्च कर देते हैं। यदि आपके पास टीवी-फ्रिज जैसी ज़रूरी चीज़ें पहले से ही अच्छी हालत में मौज़ूद हैं तो केवल दूसरों की देखादेखी में नई टेक्नोलॉजी से युक्त फ्रिज या टीवी खऱीदना समझदारी नहीं है। ऐसे अनावश्यक ख़्ार्च में कटौती करने के लिए सबसे पहले ज़रूरी ख़्ार्च की सूची बनाएं, जिससे आपको इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा कि ख़्ार्च के लिए प्रतिमाह कितने रकम की ज़रूरत है।

लक्ष्य के अनुकूल निवेश

कई बार वित्तीय लक्ष्य तय किए ब$गैर केवल टैक्स बचाने के लिए लोग बिना सोचे-समझे बीमा पॉलिसी ख़्ारीद लेते हैं, लेकिन बाद में आकलन करने पर यह पता चलता है कि आपने ऐसी बीमा पॉलिसी ख़्ारीद ली है, जिसमें बीमा कवर बहुत कम है और उसे सरेंडर करने की स्थिति में भी बेहद मामूली रकम मिलेगी। इसलिए बीमा पॉलिसी ख़्ारीदते समय रिटर्न के बजाय कवर को अधिक तरज़ीह देनी चाहिए। जीवन के अलावा स्वास्थ्य, मकान और वाहन बीमा पर भी यही बात लागू होती है। जब आप वित्तीय लक्ष्य तय करते हैं तो उसमें समय सीमा भी होती है। इससे निवेश संबंधी निर्णय लेना आसान हो जाता है। यदि आपको प्रॉपर्टी में निवेश करना है तो तय रिटर्न वाले विकल्पों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जबकि सेवानिवृत्ति के लक्ष्य के लिए शेयर और म्युचुअल फंड में निवेश करना ज्य़ादा $ फायदेमंद होता है।

ज्य़ादा न हो $कजऱ् का बोझ

अनावश्यक रूप से $कजऱ् लेना किसी भी तरह से समझदारी भरा फैसला नहीं है। कुछ लोग अपनी आमदनी का 60 प्रतिशत हिस्सा मासिक ईएमआइ चुकाने में ख़्ार्च करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें हमेशा आथर््िाक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसी तरह कुछ लोग अधिक लाभ पाने की आशा में अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा प्रॉपर्टी में निवेश कर देते हैं, लेकिन ऐसा करते समय उन्हें चुकाए जाने वाले ब्याज और महंगाई वृद्धि के दर से निवेश के रिटर्न की तुलना करनी चाहिए। इसी तरह क्रेडिट कार्ड का ज्य़ादा इस्तेमाल भी मुश्किलें बढ़ा देता है। इसके भुगतान में देर होने पर क्रेडिट स्कोर तेज़ी से घटता है और ऐसे करने वाले व्यक्ति को बैंक $कजऱ् देने से इंकार कर सकता है।

सोच-समझकर लें निर्णय

आमतौर पर लोग किसी परिचित की सलाह पर निवेश का $फैसला कर लेते हैं। कई बार उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। ऐसा करते समय सलाहकार की योग्यता को परखें और यह जानने की कोशिश करें उसे संबंधित क्षेत्र का कितना अनुभव है। सही वित्तीय सलाहकार का चुनाव आपके लिए $फायदेमंद साबित होता है। इंश्योरेंस के मामले में अकसर एजेंट लोगों को वही पॉलिसी ख़्ारीदने के लिए ज्य़ादा प्रोत्साहित करते हैं, जिसमें उन्हें मोटा कमीशन मिलता है। वित्तीय सलाहकार को परखने के भी कई तरी$के हैं। कोई अनुभवी सलाहकार सबसे पहले यह नहीं पूछता कि आपको कितना निवेश करना है? वह सबसे पहले आपकी वित्तीय स्थिति, जि़म्मेदारियों और वित्तीय लक्ष्य की जानकारी लेता है। बाज़ार नियामक संस्था सेबी (सिक्यूरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने वित्तीय सलाहकार के लिए कुछ मानक तय कर दिए हैं। जिसके तहत आप उससे पूछ सकते हैं कि वह जिस स्कीम में निवेश की सलाह दे रहा, उसमें उसे कितना कमीशन मिलेगा? अपनी सेवाओं के लिए वित्तीय सलाहकार शुल्क भी वसूलते हैं। अत: कंसल्टेंट के ज़रिये निवेश करने से पहले शुल्क संबंधी सारी जानकारी हासिल कर लें।

(वित्तीय सलाहकार राकेश पोपली से बातचीत पर आधारित)

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