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सखी इनबॉक्स

सखी मेरे लिए अमूल्य उपहार है, जो मेरे परिवार के खानपान व सेहत सहित बच्चों की परवरिश का भी ध्यान रखती है। इसका हर अंक मेरी उम्मीदों पर खरा उतरता है। पिछले कुछ वर्षों से मैं घर-गृहस्थी की जि़म्मेदारियों में इतनी उलझ गई थी कि अपनी रुचियों के लिए समय

By Edited By: Published: Mon, 28 Dec 2015 04:08 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2015 04:08 PM (IST)
सखी इनबॉक्स

सखी मेरे लिए अमूल्य उपहार है, जो मेरे परिवार के खानपान व सेहत सहित बच्चों की परवरिश का भी ध्यान रखती है। इसका हर अंक मेरी उम्मीदों पर खरा उतरता है। पिछले कुछ वर्षों से मैं घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों में इतनी उलझ गई थी कि अपनी रुचियों के लिए समय नहीं निकाल पाती थी। इससे मेरी सोच नकारात्मक हो गई थी और व्यवहार में चिडचिडापन आने लगा था, पर मैंने अपने हुनर को पहचाना और बच्चों को पेंटिंग सिखाना शुरू कर किया। इस बदलाव का सारा श्रेय मैं सखी को देना चाहती हूं। मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद।

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सोनिका रस्तोगी

लखनऊ

सखी का दिसंबर अंक देखकर दिल ख्ाुश हो गया। चाहे साज-सज्जा की बात हो या रचनाओं के चयन की। हर दृष्टि से पत्रिका का यह अंक बेजोड था। लेख 'ताकि विवाह बने यादगार में विवाह की तैयारियों से जुडी बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं। लेख 'शादी को दें कानूनी मान्यता नवविवाहित दंपतियों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। लेख 'तनाव को रखें दूर पढऩे के बाद मैं तनावमुक्त रहने की कोशिश कर रही हूं। स्थायी स्तंभ भी रोचक थे।

सौम्या शर्मा, गुडग़ांव

शादियों के सीजन में विवाह पर आधारित विशेषांक मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सखी के दिसंबर अंक में प्रकाशित रचनाएं मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुईं क्योंकि जनवरी में मेरे बेटे की शादी होने वाली है। 'एक्सेसरीज कॉर्नर शादी की शॉपिंग में बहुत मदगार साबित हुआ। मैं पहली बार सास बनने जा रही हूं। इसलिए यह सोचकर मुझे थोडी घबराहट भी हो रही है कि नई बहू के साथ मेरा एडजस्टमेंट कैसे होगा? ऐसे में लेख 'ख्ाुशी हो या गम, संग रहेंगे हम में पाठिकाओं के निजी अनुभव पढऩे के बाद मैं यह समझ गई कि बहू के साथ सही तालमेल बिठाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए। आशा है कि पत्रिका के आने वाले अंकों में भी ऐसी ही रोचक रचनाएं पढऩे को मिलेंगी।

शारदा पांडे, वाराणसी

मैं सखी की नियमित पाठिका हूं और मुझे इसके हर अंक का बेसब्री से इंतजार रहता है। पत्रिका के दिसंबर अंक की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इस अंक में विवाह की तैयारी से संबंधित बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं। लेख 'फेशियल ट्रीटमेंट से निखरे रंगत में फेशियल के नए तरीकों के बारे में बहुत उपयोगी बातें जानने को मिलीं। लेख 'अभी नहीं...जरा सोचने दो में बिलकुल सही सलाह दी गई थी कि हमें जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। कहानी 'अनोखा रिश्ता दिल को छू गई।

छाया वर्मा, पटना

अपने नाम के अनुरूप सखी सच्ची दोस्त की तरह जीवन के हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन करती है। पत्रिका का दिसंबर अंक हमेशा की तरह बेहतरीन रचनाओं से भरपूर था। अगले महीने मेरे बेटे का जन्मदिन है। ऐसे में लेख 'अभी तो पार्टी शुरू हुई है... मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। पिछले कुछ समय से मैं हॉर्मोन संबंधी समस्याओं से जूझ रही थी। लेख 'डाइट में छिपे समाधान से मुझे बहुत मदद मिली। यह लेख पढऩे के बाद अब मैं अपने खानपान की आदतों में बदलाव लाने की कोशिश कर रही हूं।

अनुजा चौबे, भोपाल

सखी का दिसंबर अंक देखा। इसमें सभी रचनाएं पठनीय थीं। लेख 'ना कहना भी सीखें में बिलकुल सही कहा गया है कि सिर्फ दूसरों की नाराजगी के डर से बिना सोचे-समझे उनकी हर बात मान लेना गलत है। अगर कोई काम आपके लिए असंभव हो तो सामने वाले व्यक्ति को नि:संकोच मना कर देना चाहिए। 'मुलाकात स्तंभ के अंतर्गत शेफ कुणाल का इंटरव्यू मुझे ख्ाास तौर पर पसंद आया। पत्रिका के साथ संलग्न 'दिल्ली डिजाइर की रचनाएं भी पठनीय थीं।

श्रद्धा पारिख, दिल्ली

सखी का दिसंबर अंक देखते ही परिवार के सभी लोगों के बीच इसे पहले पढऩे की होड सी मच गई। इसमें विवाह की तैयारी से संबंधित रचनाएं लाजवाब थीं। इसके अलावा लेख 'स्कूल से क्यों घबराते हैं बच्चे पढऩे के बाद मेरी बहुत बडी परेशानी दूर हो गई। मेरा पांच वर्षीय बेटा स्कूल जाने में अकसर आनाकानी करता था। यह लेख पढऩे के बाद मैंने इसमें दिए गए सुझावों पर अमल करना शुरू किया तो उसके बाद जल्द ही मेरे बेटे की यह आदत सुधर गई। लेख 'सेहत का आईना हैं नाख्ाून पढकर मुझे कई नई और उपयोगी बातें जानने को मिलीं।

स्नेहा गर्ग, मेरठ

मैं सखी की बुजुर्ग पाठिका हूं और पहले अंक से ही यह पत्रिका पढती आ रही हूं। इसका दिसंबर अंक शानदार था। विवाह की तैयारियों से जुडी रचनाएं बेहद सटीक और रोचक थीं। इससे लोगों के लिए विवाह की तैयारी में बहुत आसानी होगी। 'घर की थाली के अंतर्गत प्रकाशित सूप की रेसिपीज मुझे ख्ाास तौर पर पसंद आईं। मैं पिछले कुछ वर्षों से डायबिटीज की मरीज हूं। लेख 'मधुमेह में लाभकारी है योग पढऩे के बाद मैंने योग को अपनी दिनचर्या का जरूरी हिस्सा बना लिया है। 'अध्यात्म हमेशा की तरह प्रेरक था। आशा है कि आने वाले अंकों में भी उपयोगी रचनाएं पढऩे को मिलेंगी।

प्रभा मिश्रा, धनबाद

सखी का दिसंबर अंक देखा। इसमें विवाह से संबंधित रचनाओं को नए अंदाज में प्रस्तुत किया गया था। लेख 'ख्ाास पलों का यादगार सफर में दी गई जानकारियां उपयोगी थीं। 'कैसे मिलेगा परफेक्ट मैच पढकर ऐसा लगा कि मैं अपनी ही आपबीती पढ रही हूं क्योंकि आजकल घर पर मेरी शादी की बात चल रही है और मुझे भी माता-पिता से ऐसी ही नसीहतें सुनने को मिलती हैं।

स्वाति जैन, कोटा

आकर्षक कवर से सुसज्जित सखी का दिसंबर अंक देखकर दिल ख्ाुश हो गया। कवर स्टोरी 'पल जो ये जाने वाला है ने मेरे जीवन की डूबती नैया को पार लगा कर भविष्य की राह पर नई रोशनी और ऊर्जा का अलख जगाया। अगर हम अपना-पराया, लाभ-हानि और हार-जीत जैसी छोटी-छोटी बातों में वक्त बर्बाद न करें तो हमारी जिंदगी ख्ाूबसूरत हो सकती है। इस कवर स्टोरी ने सही मायने में मुझे जीने का सलीका सिखा दिया। आशा है कि आगामी अंकों में भी यह पत्रिका हमारे जीवन में ख्ाुशियों के रंग भरती रहेगी। सखी को नववर्ष की शुभकामनाएं!

दीपा कालकर, जबलपुर

जब भी मैं सखी का कोई नया अंक हाथों में लेती हूं तो इसकी बेहतरीन रचनाएं मुझे अपने साथ घंटों बांधे रखती हैं। वैसे तो इस पत्रिका की सभी रचनाएं पठनीय होती हैं, लेकिन मुझे 'हेल्थ वॉच में दी जानी वाली सेहत संबंधी जानकारियां सबसे ज्य़ादा पसंद आती हैं। कहानियां भी बेहद रोचक होती हैं। इतनी अच्छी पत्रिका प्रकाशित करने के लिए आप बधाई के पात्र हैं।

अंजू गोयनका, हावडा

उत्सवी रंगों से सजा सखी का नवंबर अंक संग्रहणीय बन पडा था। ख्ाास तौर पर लेख 'लाजवाब स्वीट 16 में दी गई रेसिपीज बहुत उपयोगी साबित हुर्ईं। लेख 'संगम पांच पर्वों का में त्योहारों से जुडी कहानियां बेहद रोचक थीं। लेख 'उम्मीदों से सजी रंगोली में विभिन्न प्रांतों की रंगोली कला के बारे में विस्तृत जानकारी मिली। लेख 'क्या खा रहे हैं आप पढऩे के बाद ऑर्गेनिक फूड से जुडी भ्रांतियां दूर हो गईं। लेख 'जरूरी है सजगता में किडनी की देखभाल के बारे में अच्छी जानकारियां दी गई थीं।

सीमा सहाय, दिल्ली

सखी कब मेरी अंतरंग सखी बन गई, पता ही नहीं चला। इस पत्रिका ने जीवन के हर मोड पर हमारा साथ दिया है। जब भी मेरा मन परेशान होता है, 'अध्यात्म के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले प्रेरक लेखों से मुझे आत्मबल मिलता है। पत्रिका के अन्य लेख भी हमारे व्यक्तित्व को निखारने में मददगार होते हैं।

गीता श्रीवास्तव, लखनऊ


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