सखी इनबॉक्स
मेरी मम्मी सखी की नियमित पाठिका हैं। उनके साथ स्कूल के दिनों से ही मैं भी यह पत्रिका पढ़ती आ रही हूं। सच कहूं तो इसी पत्रिका ने मुझे जीने का सलीका सिखाया है। इसमें प्रकाशित होने वाले सौंदर्य और फैशन संबंधी लेखों से मुझे अपना व्यक्तित्व संवारने में मदद
मेरी मम्मी सखी की नियमित पाठिका हैं। उनके साथ स्कूल के दिनों से ही मैं भी यह पत्रिका पढती आ रही हूं। सच कहूं तो इसी पत्रिका ने मुझे जीने का सलीका सिखाया है। इसमें प्रकाशित होने वाले सौंदर्य और फैशन संबंधी लेखों से मुझे अपना व्यक्तित्व संवारने में मदद मिलती है। करियर पर आधारित लेख मुझे प्रोफेशनल लाइफ में कामयाबी हासिल करने के गुर सिखाते हैं। नवंबर अंक देखकर दिल ख्ाुश हो गया। इसमें दी गई प्रांतीय मिठाइयों की रेसिपीज लाजवाब थीं। पत्रिका के उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
श्रुति कन्याल, नोएडा
उत्सव के इंंद्रधनुषी रंगों से सुसज्जित सखी का नवंबर अंक देखकर दिल ख्ाुश हो गया। लेख 'संगम 5 पर्वों का में धनतेरस से लेकर भैया दूज तक चलने वाले पांच दिनों के महापर्व दीपावली के बारे में बहुत रोचक जानकारियां दी गई थीं। लेख 'लाजवाब स्वीट 16 में दी गईं स्वादिष्ट मिठाइयों की रेसिपीज लाजवाब थीं। कहानी 'उसका फैसला दिल को छू गई। सभी स्थायी स्तंभ भी रोचक थे। इतने अच्छे विशेषांक के लिए आप मेरी बधाई स्वीकारें।
अवनि शर्मा, लखनऊ
उत्कृष्ट रचनाओं और आकर्षक साज-सज्जा से सुसज्जित सखी का नवंबर अंक संजो कर रखने योग्य है। कवर स्टोरी 'हर कदम नई चुनौतियां में बिलकुल ठीक कहा गया है कि हर नया बदलाव अपने साथ ढेर सारी चुनौतियां लेकर आता है और उन्हें स्वीकारने का हौसला रखने वाले लोगों को ही कामयाबी मिलती है।
ऋचा जैन, उदयपुर
मैं सखी की नियमित पाठिका हूं। हमेशा की तरह पत्रिका का नवंबर अंक रोचक और जानकारीपूर्ण रचनाओं से भरपूर था। लेख 'रसोई की सेहत भरी परंपराएं में कुकिंग के पारंपरिक तरीके के बारे में बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं। मैंने ऑर्गेनिक फूड के बारे मेें बहुत कुछ सुना था, पर सही जानकारी न होने की वजह से इसे ख्ारीदने से डरती थी। लेख 'क्या खा रहे हैं आप पढकर मेरे मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब मिल गए। लेख 'सर्दियों में भी बना रहे सौंदर्य मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ।
स्निग्धा निगम, भोपाल
मैं सखी की बुजुर्ग पाठिका हूं और मेरे पास इसके सभी पुराने अंकों का संग्रह है। पत्रिका के नवंबर अंक में वैसे तो सभी रचनाएं पठनीय थीं, लेकिन आलेख 'इन्हीं से है घर की रौनक ने मुझे हंसने पर मजबूर कर दिया। इसमें बुजुर्गों से जुडी छोटी-छोटी समस्याओं को जिस दिलचस्प ढंग से प्रस्तुत किया गया है, वह प्रशंसनीय है। 'आस्था के अंतर्गत देवोत्थानी एकादशी व्रत के बारे में बहुत अच्छी जानकारियां दी गई थीं। 'अध्यात्म के अंतर्गत सही कहा गया है कि मौन और एकांत हमारे लिए संजीवनी की तरह है। कहानियां भी मर्मस्पर्शी थीं।
सरला पांडे, इलाहाबाद
मेरे परिवार की तीनों पीढिय़ां बडे चाव से सखी पढती हैं। मेरे अलावा मेरी सास और बेटी को भी यह पत्रिका बेहद पसंद है। इसका नवंबर अंक देखा। इसमें सभी रचनाएं पठनीय थीं। मेरी सासू मां को 'संगम 5 पर्वों का पसंद आया तो मेरी बेटी अरेबिक मेकअप से जुडी जानकारियां पाकर ख्ाुश हो गई। रेसिपी काड्र्स में दी गई हेल्दी फूड रेसिपीज को मैंने भी अपनी किचन में आजमाया और प्रशंसा की हकदार बनी। लेख 'सेफ दीवाली में दिए गए सुझावों पर सभी को अमल करना चाहिए। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि सखी सही मायने में मेरे पूरे परिवार की पत्रिका है। इतने अच्छे विशेषांक के लिए धन्यवाद।
नम्रता गर्ग, मेरठ
मैं बी.टेक. की छात्रा हूं और सखी का हर अंक जरूर पढती हूं। पत्रिका का नवंबर अंक देखा। लेख 'लुक का कमाल में फेस्टिव हेयर स्टाइल के बारे में दी गई जानकारियां मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुईं। 'फैशन फंडा में दिए गए धोती स्कर्ट के डिजाइंस लाजवाब थे। पत्रिका के साथ संलग्न 'दिल्ली डिजायर की रचनाएं भी बेहद रोचक थीं।
स्वाति ग्रोवर, दिल्ली
सखी का नवंबर अंक देखा। इसमें दीपावली के त्योहार से जुडी रचनाएं लाजवाब थीं। इसके अलावा लेख 'जरूरी है सजगता में किडनी से जुडी समस्याओं और उनके उपचार के बारे में नई और उपयोगी बातें जानने को मिलीं। लेख 'क्या खा रहे हैं आप में ऑर्गेनिक फूड के बारे में बहुत अच्छी और विस्तृत जानकारी मिली। 'मिसाल में डॉरिस फ्रांसिस के संघर्ष की कहानी बेहद प्रेरक थी। हमेशा की तरह कहानियां और कविताएं भी मर्मस्पर्शी थीं।
अमृता वर्मा, पटना
सखी का नवंबर अंक रंग-बिरंगे फूलों से सजे उस सुंदर गुलदस्ते की तरह था, जिसके ज्ञान के सुगंध से हमारा मन सुवासित हो उठता है। पत्रिका के इस अंक की वजह से हमारी दीवाली यादगार हो गई। लेख 'अरमानों से सजे घर के जरिये मेरे लिए सजावटी वस्तुओं की शॉपिंग आसान हो गई। लेख 'लाजवाब स्वीट 16 में दी गई रेसिपीज बहुत उपयोगी साबित हुईं। माधवी अग्रवाल, जबलपुर
सखी के नवंबर अंक की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। कवर स्टोरी 'हर कदम नई चुनौतियां में बेहद प्रासंगिक मुद्दे को उठाया गया है। लेख 'ऐसे जीतें सबका दिल में बिलकुल सही सलाह दी गई है कि आज के जमाने में कामयाबी के लिए सुंदर और शालीन दिखना बेहद जरूरी है। लेख 'शादी के चंद सबक में दांपत्य संबंधों से जुडी प्रचलित धारणाओं में आने वाले बदलाव का बहुत सटीक विश्लेषण किया गया था। आलेख 'इन्हीं से है घर की रौनक बेहद रोचक था। लेख 'सर्दियों में भी बना रहे सौंदर्य पढऩे के बाद मैं अभी से ही अपनी त्वचा की देखभाल के प्रति सचेत हो गई हूं।
विभा मदान, चंडीगढ
मेरे घर में जब सखी आती है तो परिवार के सभी सदस्यों के बीच इसे सबसे पहले पढऩे की होड सी मच जाती है। पत्रिका का नवंबर अंक देखा। इसमें त्योहार संबंधी सभी रचनाएं बेहद रोचक और जानकारीपूर्ण थीं। लेख 'शादी के चंद सबक पढकर कर दांपत्य जीवन को संवारने में मदद मिली। लेख 'जरूरी है सजगता के माध्यम से किडनी संबंधी बीमारियों और उनसे बचाव के बारे में बहुत अच्छी बातें जानने को मिलीं। हमेशा की तरह 'हेल्थ वॉच भी सेहत संबंधी नवीनतम जानकारियों से भरपूर था।
सुरभि रावत, देहरादून
मैंने हाल ही में ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है। मैं ब्यूटी इंडस्ट्री में करियर बनाना चाहती हूं। ऐसे में लेख 'ब्यूटी को बनाएं ड्यूटी ने मेरी इस समस्या का समाधान कर दिया। लेख 'ऐसे जीतें सबका दिल में दिए गए टिप्स हमारे जैसे युवा पाठकों के लिए बहुत मददगार साबित होंगे। 'फिल्म ऐसे बनी में दशरथ मांझी के बारे में दी गई जानकारियां दिलचस्प थीं।
कोमल रस्तोगी, सोनीपत
मैंने पहली बार अपने पडोस के घर में सखी को देखा था, उसके बाद से मैं इसकी नियमित पाठिका बन गई हूं। पत्रिका का नवंबर अंक बेहतरीन रचनाओं से भरपूर था। पहले मैं अपने बच्चों को हमेशा डांटती रहती थी, लेकिन लेख 'अच्छी नहीं है ज्य़ादा रोक-टोक पढऩे के बाद मैं उनकी परवरिश में काफी सजगता बरतती हूं। लेख 'रसोई की सेहत भरी परंपराएं पढकर मां के हाथों बने खाने की याद ताजा हो गई। 'जायका के अंतर्गत दी गई हेल्दी रेसिपीज लाजवाब थीं।
सिमरन कौर, पटियाला
मैं सखी की नियमित पाठिका हूं। इसमें प्रकाशित होने वाली फैशन, खानपान, स्वास्थ्य और सौंदर्य से जुडी रचनाएं मेरे व्यक्तित्व को संवारने में बहुत मददगार साबित होती हैं। आशा है कि आने वाले अंकों में भी हमें ऐसी ही स्तरीय रचनाएं पढऩे को मिलेंगी।
रुचि आशीष, बरेली