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साहित्य

हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर और बी.एड. कर चुके सतीश छिपा का जन्म 14 नवंबर 1986 को हुआ। इनके दो कविता संग्रह 'लिखूंगा तुम्हारी कथा और 'एंजेलिना जोली और स्मेश्ता आ चुके हैं।

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 03:20 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 03:20 PM (IST)
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हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर और बी.एड. कर चुके सतीश छिपा का जन्म 14 नवंबर 1986 को हुआ। इनके दो कविता संग्रह 'लिखूंगा तुम्हारी कथा और 'एंजेलिना जोली और स्मेश्ता आ चुके हैं। इनकी कविताएं झकझोरती हैं और दिल पर नश्तर सी चुभती भी हैं। चुस्त शैली और तीखे तेवर कविताओं में प्रतिरोध के स्वर उभारते हैं। फिलहाल सूरतगढ (राजस्थान) में अध्यापन और लेखन जारी। तुम जब होती हो तुम जब होती हो तो घर बोलने लगता है जैसे बहुत सी अनकही बातें जो दबी हों बरसों से और खुल रही हो तुम्हारे उल्लासों के साथ-साथ तुम जब होती हो घर में तो मैं कहीं भी जाना नहीं चाहता कुछ भी दूसरी चीजों मुझे अच्छी नहीं लगतीं मसलन देश-दुनिया की कोई बात सोचना या किसी फिल्म पर कोई टिप्पणी या कोई भारीभरकम बोझिल सा विचार मैं चाहता हूं तुम्हारे हाथों से बनी एक कप ब्लैक कॉफी पीना और नाम हिकमत की प्रेम कविताएं पढकर तुम्हें सुनाना चाहता हूं या मैं चाहता हूं तुम्हारी हथेलियों की मेहंदी पर अपनी उंगलियों की कुछ कलाकारी करना या तुम्हारे माथे पर छपे प्राकृतिक निशान को चूमकर जीवंत कर देना चाहता हूं और सजा देना चाहता हूं तुम्हें कुछ सुरीले से हंसते हुए रंगों से जब भी तुम हो मैं चाहता हूं सूरज या चांद या बादल या हवाएं या खुशबुएं जो भी मौजूद हो बस थम जाए थमा रहे तब तक जब तक कि मैं लिख न दूं हमारे होने की कोई अच्छी सी कहानी...। रात, कलाएं और एक लडकी आज सारी रात मैं जागता रहा आज सारी रात मैं तुम्हारे बिना था सारी रात तुम्हारी उंगलियों का संगीत मेरे बालों में महसूस करता हुआ मैं क्लासिक हो जाने की पूरी कोशिश करता रहा मैंने एक कविता लिखनी चाही जो प्यार और भटकती रातों के अंधेरे पर आकर रुक गई आज रात लियोनार्दो की एक फिल्म देखनी चाही जो दोस्तोएव्स्की के पात्रों की तरह अधबीच मेरे हाथों से फिसल गई आज रात मैंने कल रात की खुरचनों को सहेजना चाहा दो बातें जो हमारे बीच अनकही रह गई थीं उन्हें जोडऩा चाहा मायकोवस्की की कोई कविता पढऩी चाही आज सारी रात मैं कलाओं में तुम्हें तलाशता रहा और आज सारी रात नींद मेरी आंखों को धोखा देकर उस किताब की जिल्द पर चिपकी रही जिसे कल रात पढ लेने के बाद एक पन्ना मोडते हुए तुमने कहा था 'ये किताब रातों से भी प्यारी है आज जब सारी रात मैं जागता रहा उस किताब पर लाल अक्षरों से लिखे हुए प्रेम कहानियों के बीच तुम्हारे चुंबन के निशान देखता रहा...। आत्मकथा एक रात चांद उतरा था हजारों रौशनाइयों के साथ एक रात रात ने चांदनी की बरी पहनकर मेरे आंगन को ख्वाबों के हाथों और पलों के गारे से लीप दिया था उस रात कंवली/मुलायम सी एक लडकी ने मेरी हथेली की लकीरों के बीच जीवन का उजास भर दिया था वो एक रात मेरी पहली सुबह बन गई थी जब हमने यादों के कप में भविष्य की कॉफी पी थी इन दिनों मेरी बांथ में नीले फूल महकते हैं...। हानियों के बाद भारत में सबसे अधिक युद्ध आधारित कथाएं, खासकर भारत-पाकिस्तान युद्ध पर आधारित कहानियां और उपन्यास पढे जाते हैं। यूं तो इस विषय पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं, लेकिन हाल में पत्रकार और लेखिका रचना बिष्ट रावत की किताब '1965 स्टोरीज फ्रॉम द सेकंड इंडो पाक वॉर का हिंदी अनुवाद '1965 भारत-पाक युद्ध की वीरगाथाएं प्रकाशित हुआ है, जो काफी रोचक है। रचना के पिता, पति और भाई के भारतीय सेना में कार्यरत होने के कारण सैन्य सेवाओं की जानकारी उन्हें है। यही वजह है कि यह किताब कपोल कल्पना मात्र नहीं, सटीक जानकारी से भरपूर है। लिखने से पहले उन्होंने न सिर्फ उस समय की पांच प्रमुख लडाइयों के ऐतिहासिक तथ्यों को खंगाला है, बल्कि सैनिकों के साक्षात्कार भी लिए हैं। सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत किए गए ऐतिहासिक तथ्यों को पढते समय पाठक कभी बोझिल नहीं होंगे। हाजी पीर, बर्की, डोगराई व फिलोरा में हुई लडाइयों और उनमें पराक्रम दिखाने वाले बहादुरों की कहानियों को इसमें स्थान दिया गया है। इससे पाठकों को एहसास होगा कि सैनिक युद्ध के मैदान में ही नहीं, निजी जीवन में भी देश हित के बारे में सोचते हैं। हाजी पीर लडाई के नायक मेजर रंजीत सिंह की जिंदगी का मजेदार किस्सा प्रस्तुत किया गया है। वह अपने दोस्तों के बीच चिरकुंवारे कहलाते थे, लेकिन बाद में एक सैन्य अधिकारी की बेटी को 41 वर्ष की उम्र में दिल दिया और झटपट शादी भी कर ली। '3 जाट रेजिमेंट के एंग्लो इंडियन कमांडिंग ऑफिसर डेसमंड हाइड के प्रसिद्ध डोगराई की लडाई जीतने की कहानी भी बडी खूबसूरती के साथ पेश की गई है। महान सेनानायकों के किस्से न सिर्फ उनकी दिलेरी का सुबूत हैं, बल्कि उनके जीवन की अनदेखी-अनसुनी कहानियों से भी रूबरू कराते हैं। भारत-पाक के बीच आज के तनाव भरे माहौल में 1965 के वीर सैनिकों की बहादुरी के किस्से पढऩे में पाठकों को खूब आनंद आएगा

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