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ब्लेम गेम के बादशाह

कुछ लोग किसी भी हाल में अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होते। इतना ही नहीं, ये अपनी गलतियों और लापरवाहियों के लिए दूसरों को दोषी भी ठहराते हैं। आइए मिलते हैं कुछ ऐसे ही दिलचस्प लोगों से, जो आपको बेहद जाने-पहचाने लगेंगे।

By Edited By: Published: Tue, 15 Nov 2016 11:33 AM (IST)Updated: Tue, 15 Nov 2016 11:33 AM (IST)
ब्लेम गेम के बादशाह
चित भी मेरी पट भी मेरी ऐसे लोग बहुत चालाक होते हैं। अगर कोई काम सही ढंग से पूरा हो जाए तो ये सफलता का सारा श्रेय खुद ही लूट लेते हैं, अगर किसी भी वजह से काम में थोडी सी चूक हो जाए तो ये अपने साथियों से हमेशा यही कहते हैं, 'मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आइडिया बेकार है।' अगर बच्चे से कांच का कोई सामान टूट कर गिर जाए तो मां उसे डांटना शुरू कर देती है और कभी अपने हाथों से ऐसी कोई गलती हो जाए तो वह चिल्लाना शुरू कर देती है, 'इसे यहां किसने रखा था?' कुल मिलाकर ऐसे लोगों को यह खुशफहमी होती है कि मैं कोई गलती कर ही नहीं सकता/सकती। नाच न जाने आंगन टेढा ऐसे लोग अति आत्मविश्वास के शिकार होते हैं। इसलिए ये अपनी ओर से कुछ भी नया सीखने या मेहनत करने से कतराते हैं। ईगो की वजह से ये कभी भी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं होते। अपनी नाकामी के लिए बडे हास्यास्पद बहाने बनाते हैं। मसलन आटा खराब था, तभी तो रोटियां फूल नहीं पा रहीं, परीक्षा में कॉपियों की चेकिंग बडी सख्ती से की गई थी, इसलिए मुझे कम माक्र्स मिले। कुल मिला कर ऐसे सर्व गुणसंपन्न लोग अपनी सभी गलतियों के लिए स्वयं को नहीं, बल्कि हालात को जिम्मेदार मानते हैं। कहानी भेडिये और मेमने की वैसे तो आपने भी बचपन में यह कहानी जरूर सुनी होगी। अगर नहीं सुनी तो इसका सारांश यह है कि एक बार नदी के किनारे एक भेडिय़े के साथ नन्हा सा मेमना पानी पी रहा था और वह उसे मारना चाहता था पर उसे कोई सही बहाना नहीं सूझ रहा था तो उसने मेमने से कहा, 'तुमने मेरा पानी जूठा क्यों किया?' तो उसने जवाब दिया, 'बहता हुआ पानी जूठा नहीं होता।' तब उसने कहा, 'तुमने अभी मुझे गाली दी है।' मेमने ने कहा, 'नहीं, मैंने आपको कोई गाली नहीं दी'... यह सुनकर भेडिय़ा बोला,'कोई बात नहीं, कभी तुम्हारे पिता ने मेरे पिता को गाली दी थी। इसीलिए मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है और मैं तुम्हें खा जाऊंगा।' आपने भी अपने आसपास कुछ ऐसे झगडालू लोगों को जरूर देखा होगा, जो दूसरों को परेशान करने का कोई न कोई बहाना ढूंढते रहते हैं। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे नैतिकता से ऐसे लोगों का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता। अगर कभी कोई इन्हें इनकी गलती का एहसास दिलाए तो नाराज होकर उसी को भला-बुरा कहने लगते हैं। मसलन ड्राइविंग के दौरान ये खुद रॉन्ग साइड पर फुल स्पीड में चल रहे होते हैं और सही ढंग से पैदल चलने वालों को टक्कर मारकर उन्हीं पर चिल्लाते हैं, 'देख कर नहीं चल सकते।' अंगूर खट्टे हैं कुछ लोग अपनी खामियों को छिपाने के लिए अच्छे अवसरों को ही खराब बताना शुरू कर देते हैं। प्रतियोगिता परीक्षा में जब किसी छात्र का चयन नहीं होता तो वह उसी सरकारी नौकरी की खामियां गिनाने लगता है, कल तक जिसे पाने के लिए दिन-रात कडी मेहनत कर रहा था। मसलन, यहां आगे बढऩे का कोई स्कोप नहीं है, कहीं गांव में पोस्टिंग हो गई तो अलग मुसीबत। ऐसे ही लोगों के लिए कहा जाता है कि अंगूर खट्टे हैं। मुझे क्या मालूम ऐसे लोग बाहर से बेहद भोले-भाले दिखते हैं और यह नकली मासूमियत ही इनका सबसे बडा हथियार है। ये सब कुछ जानकर अनजान बने रहने का नाटक करते हैं और सभी के साथ अपने संबंध मधुर बनाकर रखने की कोशिश करते हैं। इसीलिए किसी विवादास्पद मुद्दे पर अपनी कोई स्पष्ट राय नहीं रखते। दूसरों के सामने इनकी छवि बहुत अच्छी होती है। कई बार ये बहुत बडी गलतियां कर जाते हैं और जब इनसे उसके बारे में पूछताछ की जाती है तो ये बडी मासूमियत से कहते हैं, 'मुझे क्या मालूम?' स्कूलों में कुछ ऐसे शरारती बच्चे आसानी से मिल जाते हैं, जो अकसर शरारतें करने के बावजूद अपने मासूम चेहरे की वजह से कभी भी पकड में नहीं आाते। किस्मत ही फूटी है भाग्य को कोसना आलसी और नाकारा लोगों का फेवरिट टाइम पास होता है। अपने जीवन में कामयाबी हासिल करने के लिए ये जरा भी कोशिश नहीं करते। जब इनके प्रतिद्वंद्वी इनसे आगे निकल जाते हैं तो उनकी सफलता देखकर ये मन ही मन कुढते रहते हैं और अपना सारा दोष भाग्य के मत्थे मढ देते हैं। आलेख : विनीता, इलस्ट्रेशन : श्याम जगोता

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