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कई बीमारियां की जड़ है हाई ब्लडप्रेशर

आजकल शहरी आबादी का बड़ा हिस्सा हाई ब्लडप्रेशर की समस्या से ग्रस्त है। अकसर लोग इसे आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी मामूली समस्या समझकर अनदेखा कर देते हैं, पर यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 03:20 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 03:20 PM (IST)
कई बीमारियां की जड़ है हाई ब्लडप्रेशर

आजकल शहरी आबादी का बडा हिस्सा हाई ब्लडप्रेशर की समस्या से ग्रस्त है। अकसर लोग इसे आधुनिक जीवनशैली से जुडी मामूली समस्या समझकर अनदेखा कर देते हैं, पर यह उनकी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

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पहले हाई ब्लडप्रेशर को बढती उम्र का मजर् समझा जाता था, लेकिन आजकल तनावपूर्ण जीवनशैली की वजह से युवाओं में भी इसके लक्षण नजर आने लगे हैं।

क्या है समस्या

दरअसल हाई ब्लडप्रेशर अपने आप में कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक ऐसी शारीरिक अवस्था है, जो आगे चलकर हृदय रोग, डायबिटीज और किडनी संबंधी बीमारियों की वजह बन सकती है। मानव शरीर में रक्तवाहिका नलियों का जाल फैला होता है। हार्ट पंप की तरह काम करते हुए इन नलियों के माध्यम से शरीर के सभी हिस्सों में रक्त पहुंचाने का काम करता है। यह सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन दिक्कत तब आती है, जब तेज बहाव की वजह से रक्तवाहिका नलिकाओं पर दबाव बढऩे लगता है। इससे उनकी भीतरी दीवारें सिकुडऩे लगती हैं। इसी अवस्था को हाई ब्लडप्रेशर कहा जाता है। कई बार हृदय की गति ज्य़ादा तेज होने की अवस्था में भी रक्वाहिका नलियों को रक्त के तेज बहाव का दबाव झेलना पडता है। ऐसी स्थिति में बढऩे वाले ब्लडप्रेशर को हाइपरटेंशन कहा जाता है। सामान्य अवस्था में किसी भी व्यक्ति के ब्लडप्रेशर का सिस्टोलिक लेवल (अधिकतम सीमा) 110 से 120 और डायस्टोलिक लेवल (न्यूनतम सीमा) 70 से 80 द्वद्व द्धद्द होनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति के ब्लडप्रेशर की अधिकतम सीमा 140 द्वद्व द्धद्द से अधिक और न्यूनतम सीमा 90 द्वद्व द्धद्द से अधिक हो तो इसे प्री हाइपरटेंशन की अवस्था कहते हैं। अगर ऐसा हो तो व्यक्ति को अपनी सेहत के प्रति सतर्क हो जाना चाहिए।

क्या है वजह

-खानपान की गलत आदतें मसलन घी-तेल, फास्ट/जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक, एल्कोहॉल और सिगरेट आदि का अधिक मात्रा में सेवन।

-आधुनिक उपकरणों पर बढती निर्भरता की वजह से शारीरिक गतिविधियों का कम होना।

-ओबेसिटी यानी अधिक मोटापे की वजह से लोगों की रक्तवाहिका नलियों के भीतर दीवार में नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल एलडीएल जमा होने लगता है तो इससे ख्ाून की नलियां बाहर से कठोर और अंदर से संकरी हो जाती हैं, जिससे रक्त के बहाव में बाधा पैदा होती तो उसे सुगम बनाए रखने में हार्ट को ज्य़ादा मेहनत करनी पडती है, जिसका नतीजा हाई ब्लडप्रेशर के रूप में सामने आता है।

-नमक के अधिक सेवन से भी रक्तवाहिका नलियां सिकुड जाती हैं और ब्लडप्रेशर बढ जाता है।

प्रमुख लक्षण

-चिडचिडापन

-सिरदर्द

-अनिद्रा

-घबराहट और बेचैनी

-अनावश्यक थकान

-सीढिय़ां चढते वक्त सांस फूलना

-नाक से ख्ाून आना

-याद्दाश्त में कमी

-आज की जीवनशैली में अकसर लोग चिडचिडेपन को अनदेखा कर देते हैं, पर यह हाइपरटेंशन का लक्षण हो सकता है। इसलिए यहां बताए गए लक्षणों को मामूली समझ कर अनदेखा न करें। अगर इनमें से एक भी लक्षण दिखाई दे तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें।

क्या है नुकसान

चूंकि हाई ब्लडप्रेशर रक्तवाहिका नलिकाओं को प्रभावित करता है और ये ब्लड वेसेल्स हमारे पूरे शरीर में मौजूद होती हैं। इसीलिए यह अपने साथ कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आता है। इसकी वजह से ब्रेन हेमरेज, पैरालिसिस, हार्ट अटैक, किडनी की ख्ाराबी, डायबिटीज और सेक्सुअल डिस्फंक्शन जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ स्त्रियों के शरीर में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन सिक्रीशन बहुत तेजी से होने लगता है और इसकी अधिकता से कुछ स्त्रियों का ब्लडप्रेशर बढ जाता है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसा हो तो ऐसी अवस्था को प्रीइक्लेंप्सिया कहा जाता है। इसके अलावा मेनोपॉज के बाद भी हॉर्मोन संबंधी असंतुलन की वजह से स्त्रियों में हाई ब्लडप्रेशर की आशंका बढ जाती है।

क्या है बचाव

-नियमित रूप से बीपी चेक कराएं।

-स्मोकिंग और एल्कोहॉल से दूर रहें।

-ज्य़ादा घी-तेल से बनी चीजों, नॉनवेज, जंक फूड, चॉकलेट, केक-पेस्ट्री और मिठाइयों का सेवन सीमित मात्रा में करें। ज्य़ादा शुगर भी बीपी बढा देता है।

-पूरे दिन में 5 ग्राम से ज्य़ादा नमक का सेवन न करें।

-नियमित रूप से एक्सरसाइज और मॉर्निंग वॉक करें।

-संयमित खानपान और नियमित एक्सरसाइज से बढते वजन को नियंत्रित रखें।

-अगर स्लीप एप्निया यानी अनिद्रा की समस्या हो तो जल्द से जल्द इसका उपचार कराएं क्योंकि ऐसे लोगों पर हाई बीपी की दवाओं का असर बहुत देर से होता है।

-चाय-कॉफी से दूर रहने की कोशिश करें।

-अगर आपकी फेमिली हिस्ट्री रही हो तो 50 साल की उम्र के बाद बिना किसी लक्षण के भी साल में एक बार जनरल िफजिशियन से अपना रुटीन चेकअप जरूर करवाएं।

- प्रतिदिन आठ घंटे की नींद लें।

- हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों को सर्दी के मौसम में नियमित रूप से अपना ब्लडप्रेशर चेक करना चाहिए क्योंकि इस मौसम में ठंड का सामना करने के लिए शरीर का मेटाबॉलिक रेट स्वाभाविक रूप से बढ जाता है। ऐसी स्थिति में हार्ट को ज्य़ादा मेहनत करनी पडती है और इससे व्यक्ति का ब्लडप्रेशर भी बढ जाता है।

-हाई बीपी के मरीजों को हर दो महीने के अंतराल पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

-उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए ईको टेस्ट, पेट का अल्ट्रासाउंड और यूरिन की जांच भी जरूरी है।

-इंटरनेट और मोबाइल के नए एप्लीकेशंस के साथ ज्य़ादा वक्त बिताना भी हाई ब्लडप्रेशर का प्रमुख कारण है, क्योंकि इससे व्यक्ति की नियमित दिनचर्या में बाधा पहुंचती है। इसलिए इन चीजों के साथ उतना ही वक्त बिताएं, जितना कि बहुत जरूरी हो।

-तनाव और गुस्सा पैदा करने वाली स्थितियों से बचने की कोशिश करें। इससे ब्लडप्रेशर बढ जाता है।

-उच्च रक्तचाप की समस्या से पीडित लोगों के लिए दवा का नियमित सेवन बहुत जरूरी है।

-कुछ लोगों को यह गलतफहमी होती है कि दवा की वजह से साइड इफेक्ट हो सकता है। इसलिए वे बीच में ही दवा छोड देते हैं, ऐसा करना कई परेशानियों की वजह बन सकता है। इसलिए नियमित रूप से अपनी दवाओं का सेवन करें।

जरूर करें इनका सेवन

-पालक और हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो बढे हुए ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार साबित होते हैं।

-लोबिया, सोयाबीन और राजमा जैसी फलियों (बीन्स) में घुलनशील फाइबर सहित पोटेशियम और मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसलिए इनका सेवन ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के साथ दिल की सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित होता है।

-शरीर में रक्त प्रवाह को संतुलित बनाए रखने में पोटैशियम और सोडियम का सेवन जरूरी होता है। अत: जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या नहीं है, उनके लिए उबले आलू का सेवन भी फायदेमंद होता है।

-अगर डायबिटीज की समस्या न हो तो रोजाना सुबह नाश्ते के साथ पोटैशियम से भरपूर केले का सेवन ब्लडप्रेशर को संतुलित बनाए रखने का सबसे आसान उपाय है।

-लहसुन में ऐसे कोलेस्ट्रॉलरोधी तत्व पाए जाते हैं, जो ब्लडप्रेशर को संतुलित रखते हैं।

-ग्रीन टी का नियमित सेवन भी हाई ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखता है।

-दूध में मौजूद विटमिन डी बढे हुए रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार होता है, पर वसा की अधिकता कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढा सकती है। इसलिए फुल क्रीम के बजाय हमेशा लो फैट मिल्क का सेवन करना चाहिए।

-दही में कोलेस्ट्रॉल और फैट की मात्रा नहीं के बराबर होती है। इसलिए इसका नियमित सेवन भी ब्लडप्रेशर का संतुलन बनाए रखता है।

-अखरोट और बादाम हाई ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने के साथ वजन कम करने में भी मददगार होते हैं।

विनीता

(जनरल िफजिशियन डॉ. रतन कुमार वैश्य से बातचीत पर आधारित)


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