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कहीं धुंधली न पड़े तस्वीर

ग्लूकोमा आंखों की दृष्टिï से जुड़ी एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसके लक्षण आमतौर पर पहले से स्पष्टï नहीं होते। जब लोगों को इसका एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसी समस्या से बचने के लिए सही समय पर उपचार बेहद जरूरी है।

By Edited By: Published: Sat, 27 Feb 2016 04:16 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2016 04:16 PM (IST)
कहीं धुंधली न पड़े तस्वीर

ग्लूकोमा आंखों की दृष्टि से जुडी एक ऐसी गंभीर समस्या है, जिसके लक्षण आमतौर पर पहले से स्पष्ट नहीं होते। जब लोगों को इसका एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसी समस्या से बचने के लिए सही समय पर उपचार बेहद जरूरी है।

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ब भी सेहत की बात होती है तो लोग आंखों की समस्याओं को बढती उम्र से जुडी मामूली कमजोरी समझकर अनदेखा कर देते हैं, पर उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होता कि यह आदत उनके लिए कितनी नुकसानदेह साबित हो सकती है।

क्या है समस्या

ग्लूकोमा दृष्टिहीनता का एक महत्वपूर्ण कारण है। इसे सामान्य बोलचाल की भाषा में काला मोतिया भी कहा जाता है। कॉर्निया के पीछे आंखों को सही आकार और पोषण देने वाला तरल पदार्थ होता है, जिसे एक्युअस ह्यूमर कहते हैं। कॉर्निया के चारों ओर स्थित खास तरह के टिश्यूज द्वारा इस तरल पदार्थ का निरंतर निर्माण होता रहता है। आंखों के भीतरी हिस्से में इसका प्रवाह पुतलियों द्वारा होता है। आंखों में एक्युअस ह्यूमर का निर्माण और प्रवाह निरंतर होता रहता है। स्वस्थ आंखों के लिए यह बहुत जरूरी है।

आंखों के भीतर का दबाव इस बात पर निर्भर करता है कि आंखों में इस तरल पदार्थ की मात्रा कितनी है। ग्लूकोमा होने पर हमारी आंखों में इस तरल पदार्थ का दबाव बहुत बढ जाता है। इससे कभी-कभी आंखों की बहाव नलिकाओं का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। फिर भी इसका निरंतर प्रवाह होता रहता है। ग्लूकोमा होने की स्थिति में आंखों में ऑप्टिक नर्व के ऊपर पानी का दबाव अचानक बढ जाता है। अगर आंखों पर पानी का यह दबाव लंबे समय तक बना रहा तो इससे ऑप्टिक नर्व नष्ट हो सकती है। सही समय पर इसका उपचार बहुत जरूरी है, अन्यथा इससे आंखों की दृष्टि पूरी तरह खत्म हो सकती है।

ग्लूकोमा के प्रकार

यह समस्या आंखों की दृष्टि पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालती है। इसी आधार पर इसे अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जो इस प्रकार हैं-

ओपन एंगल ग्लूकोमा : यह ग्लूकोमा का सबसे सामान्य प्रकार है। ऐसी स्थिति में आंखों में मौजूद तरल पदार्थ मुख्यत: पुतलियों से होते हुए आंखों के दूसरे हिस्से में बहता है और द्रव नलिकाओं के माध्यम से आंखों के उस भीतरी हिस्से में नहीं पहुंच पाता, जहां इसे फिल्टर किया जाता है। इस कारण आंखों पर इस द्रव का दबाव बन जाता है और इससे दृष्टि क्षीण हो जाती है।

लो टेंशन या नॉर्मल एंगल ग्लूकोमा : इसमें आंखों का ऑप्टिक नर्व नष्ट हो जाता है और साइड विज्ान कम हो जाता है।

एंगल क्लोजर ग्लूकोमा : इस प्रकार के ग्लूकोमा में आंखों के तरल पदार्थ का दबाव अचानक बहुत बढ जाता है। इस अवस्था में दबाव को कम करने के लिए तत्काल उपचार करने की जरूरत होती है।

प्राइमरी और सेकंडरी ग्लूकोमा : ओपन और एंगल क्लोज्ार ग्लूकोमा को गंभीरता के आधार पर प्राइमरी और सेकंडरी ग्लूकोमा नामक दो भागों में बांटा जा सकता है। इसकी शुरुआती अवस्था को प्राइमरी ग्लूकोमा कहा जा सकता है। सेकंडरी ग्लूकोमा की स्थिति में इस बीमारी के साथ आंखों की अन्य समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं।

प्रमुख लक्षण

ज्य़ादातर लोग ग्लूकोमा के लक्षणों को उस वक्त तक पहचान नहीं पाते जब तक कि उनकी नजर कमजोर नहीं हो जाती। इस बीमारी के शुरुआती दौर में जब आंखों के ऑप्टिक नर्व की कोशिकाएं मामूली रूप से क्षतिग्रस्त होने लगती हैं तो आंखों के सामने छोटे-छोटे धब्बे दिखाई देते हैं और नजर के सामने रंगीन धब्बे दिखाई देते हैं। शुरुआती दौर में लोग इन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते। इसका नतीजा यह होता है कि अंतत: उन्हें हमेशा के लिए आंखों की दृष्टि खोनी पडती है।

केवल ओपन एंगल ग्लूकोमा के लक्षणों की पहचान पहले से की जा सकती है क्योंकि यह बीमारी धीरे-धीरे आंखों पर अपनी पकड जमाती है। ऐसे ग्लूकोमा के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं, लेकिन हर व्यक्ति में ये अलग-अलग तरह से नजर आते हैं :

आंखों का दृष्टि-पटल संकुचित होना, ऐसी स्थिति में व्यक्ति बगल से गुजरने वाले लोगों को ठीक से देख नहीं पाता आंखों के आगे इंद्रधनुष के समान रंगीन रोशनी की परिधि दिखाई देना चक्कर और मितली आना

आंखों में तेज दर्द और कभी-कभी जलन की समस्या ओपन एंगल ग्लूकोमा के ये लक्षण आंखों से संबंधित दूसरी समस्याओं में भी देखे जा सकते हैं। ऊपर बताए गए लक्षणों में से अगर आपको किसी भी लक्षण का आभास हो तो बिना देर किए आई स्पेशलिस्ट से सलाह लें।

जांच एवं उपचार

इसकी जांच में विजुअल एक्यूटी टेस्ट किया जाता है। यह सामान्य नेत्र परीक्षण है, जिससे आंखों की दृष्टि की माप की जाती है।

इसके बाद प्यूपिल डाइलेशन नामक परीक्षण किया जाता है। इसमें आंखों में थोडी देर तक आई ड्रॉप डालकर रखा जाता है और उसके बाद मशीन से रेटिना और ऑप्टिक नर्व की विस्तृत जांच की जाती है।

इसमें विजुअल फील्ड नामक जांच की जाती है। इसमें व्यक्ति की आंखों के साइड विजन का भी टेस्ट किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति का साइड विजन कमजोर है तो इसका अर्थ यह है कि वह ग्लूकोमा से पीडित है।

ग्लूकोमा की जांच के लिए टोनोमेट्री टेस्ट किया जाता है, जिसमें आंखों में मौजूद तरल पदार्थ एक्युअस ह्यूमर के आंखों पर दबाव की जांच की जाती है।

जांच के बाद उपचार की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। इसका उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि यह बीमारी अभी किस अवस्था में है। शुरुआती दौर में इसका इलाज केवल दवाओं और आई ड्रॉप्स द्वारा संभव है। यदि रोगी की आंखों का आकार छोटा होता है तो लेजर पद्धति से ऑपरेशन करके पानी की नली के रास्ते को बडा किया जाता है। यदि बीमारी गंभीर अवस्था में हो तो सर्जरी द्वारा भी इसका उपचार किया जाता है। ऑपरेशन के 15 दिनों बाद मरीज बिलकुल स्वस्थ और सामान्य हो जाता है, लेकिन सर्जरी के बाद भी डॉक्टर द्वारा नियमित जांच और उसके द्वारा बताए निर्देशों का पालन जरूरी है।

जरूरी है सजगता

अगर परिवार में माता-पिता को ग्लूकोमा है तो इस बात की काफी आशंका होती है कि बच्चों को भी यह बीमारी हो।

रोजाना की डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों, गाजर, पपीता, बादाम, मछली और अंडे को प्रमुखता से शामिल करें।

अगर आपकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है या आप चश्मा पहनती हैं तो साल में एक बार अपनी आंखों का चेकअप कराएं।

अगर आपको ऐसी समस्या है तो सिर झुकाने वाली एक्सरसाइज न करें क्योंकि इससे आंखों पर दबाव बढ सकता है।

डायबिटीज से पीडित लोगों के लिए भी ग्लूकोमा का खतरा बना रहता है। इसलिए मीठी चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करें, ताकि शुगर लेवल नियंत्रित रहे।

अगर आपका ब्लडप्रेशर बहुत ज्यादा या कम रहता हो तो आप नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं क्योंकि यह भी ग्लूकोमा की प्रमुख वजह है।

अगर छोटे बच्चे की आंखें सामान्य से बडी दिखाई देती हों, बच्चा सूर्य की रोशनी को सहन नहीं कर पाता हो या उसकी आंखों से पानी आता हो तो तुरंत उसकी आंखों की जांच करानी चाहिए।

विनीता

इनपुट्स : डॉ. रोहित सक्सेना, डिपार्टमेंट ऑफ ऑप्थमोलॉजी एम्स, दिल्ली


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