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रब ने बना दी जोड़ी: करनवीर बोहरा-टीजे सिद्धू

टीवी व फिल्म कलाकार करनवीर बोहरा और आरजे टीजे सिद्धू की शादी को लगभग सात साल हुए हैं, लेकिन इनके रिश्तों में एक ठहराव और समझदारी साफ नजर आती है। दोनों पहली बार चर्च में मिले और मोमबत्ती की पवित्र रोशनी में एक-दूसरे को देखा। ये मानते हैं कि ऊपर वाले की मेहर है, जो जोड़ी बन गई। मिलते हैं इस दंपती से।

By Edited By: Published: Mon, 03 Jun 2013 11:20 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2013 11:20 AM (IST)
रब ने बना दी जोड़ी: करनवीर बोहरा-टीजे सिद्धू

टीवी और फिल्म अभिनेता करनवीर बोहरा और अभिनेत्री व आरजे टीजे सिद्धू की शादी को कुछ ही साल बीते हैं, लेकिन दोनों की बातचीत आपसी समझ की ओर इशारा करती है। दोनों ईश्वर के उपासक हैं और संबंधों के लिए संवाद को बनाए रखना अनिवार्य मानते हैं। करनवीर अपनी डांसिंग स्किल को निखारने में टीजे की मदद लेते हैं तो टीजे अपनी हर बात करनवीर से बांटती हैं। इस बार मिलते हैं इस दंपती से।

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चर्च में हुई पहली मुलाकात

करनवीर : पहली बार हम दोनों बांद्रा के माउंट मैरी चर्च में मिले। यह कोई प्लान नहीं था, बस अचानक एक-दूसरे से टकरा गए। हाय-हेलो की, एक-दूसरे से बातें की, लेकिन हिम्मत नहीं हुई कि टीजे से उसका नंबर मांग लूं। इसके बाद मैंने थोडी हिम्मत दिखाई और अपनी कॉमन फ्रेंड अनुपमा को कहा कि टीजे से मेरी बात करवा दे। उसने मेरी मदद की। पहली मुलाकात के लगभग तीन महीने बाद दोबारा टीजे से मिला। लेकिन तब तक मैं उसके बारे में काफी कुछ जान चुका था।

टीजे : लोग लव मैरिज या अरेंज्ड मैरिज करते हैं। हमारी मैरिज अरेंज्ड बाय गॉड है। हम दोनों पहली बार चर्च में मिले। रात के करीब साढे ग्यारह बज रहे थे। मेरे और टीजे के हाथ में कुछ मोमबत्तियां थीं। हमने टीवी या करियर की कोई बात नहीं की, बल्कि ईश्वर के बारे में बात की। हमने एक-दूसरे से इस बारे में बात की कि कैसे इस दुनिया को बदला जा सकता है। हमारे सामने जीसस थे और हाथों में मोमबत्ती। शायद यह किसी फिल्मी सीन जैसा हो, लेकिन यकीन करें, उस दिन पहली मुलाकात में कुछ ऐसा ही हुआ था।

न मैं बदलूं न तुम

करनवीर : टीजे बहुत कोमल स्वभाव की है। किसी को ठेस नहीं पहुंचा सकती। वह रेडियो में काम करती है और उसकी आवाज भी अच्छी है। मैं टीवी की दुनिया में हूं और सच कहूं तो काम का आधा तनाव तो उसकी बातों से ही ख्ात्म हो जाता है। मुझे ऐसी लडकी नहीं चाहिए थी, जिसे मैं बदलने की कोशिश करूं या वह मेरे लिए ख्ाुद को बदले। आप कभी रेडियो पर टीजे का शो सुनें तो आपको यकीन होगा कि ब्यूटी विद ब्रेन होना कितना जरूरी है। मुझे टीजे में ऐसी लडकी दिखती है जो अपनी आवाज से आपका जीवन संवार सकती है।

टीजे : करनवीर की जो बात मुझे पसंद है, वह है लक्ष्य के प्रति उसका फोकस्ड होना। उसे पता है कि उसे क्या करना है? जो भी करना है वह किसी भी कीमत पर उसे करके दिखाता है। करन बिजनेसमैन फैमिली से संबंध रखता है। ऐसे में अगर कोई लडका अभिनय जगत में आता है तो यह बडी बात है। करनवीर ने न सिर्फ अपने काम में यह समर्पण दिखाया, बल्कि मुझे भी लगातार पाने की कोशिश की है। एक समय तो ऐसा आया कि लगातार छह से सात सप्ताह तक यह मेरा पीछा करता रहा। मैं उससे इसका मकसद पूछती तो वह कोई जवाब नहीं देता, लेकिन जब मैंने देखा कि यह लगातार मेरे पीछे आए जा रहा है तो मुझे लगा कि गजब का समर्पित है यह लडका। फिर मुझे हां करना ही पडा।

लव या अरेंज्ड मैरिज

करनवीर : मैंने लव मैरिज की है तो इसके खिलाफ नहीं जा सकता। इतना ही कहना चाहूंगा कि शादी किसी भी तरह से हो, अगर समझदारी है तो वह सफल होगी। मैं यह नहीं मानता कि लव मैरिज ही परफेक्ट है, अरेंज्ड मैरिज नहीं। मेरे कई दोस्तों की लव मैरिज हुई, लेकिन वह सफल नहीं रही। अरेंज्ड मैरिज की खासियत यह है कि इसमें लडका-लडकी के साथ ही बाकी लोग भी शामिल होते हैं। पति-पत्नी को भी एक-दूसरे से कम अपेक्षाएं होती हैं। सपोर्ट सिस्टम होता है। यहां दो परिवारों के बीच रिश्ते बनते हैं। यानी अरेंज्ड मैरिज में तलाक की गुंजाइश कम रहती है, क्योंकि यहां शादी बचाने वाले लोग ज्यादा हैं। प्रेम विवाह दो लोगों का फैसला होता है, इसलिए अलग होने से पहले भी दूसरों की राय लेते हुए हिचक होती है।

टीजे: लव मैरिज का सबसे बडा फायदा यह है कि आप जिसके साथ रहने जा रहे हैं, उसे पहले से जानते हैं। अगर अनबन होती है तो आप किसी को उसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। मैंने करन से शादी करने के बारे में सोचा, क्योंकि मैं जानती थी कि इससे अच्छा कोई निर्णय नहीं हो सकता है। अगर कल के दिन करन कुछ गलत करता है तो इसके नतीजे भी मैं ही भुगतूंगी।

अरेंज्ड मैरिज एक तरह की बैसाखी है, जिसमें अपनी जिम्मेदारियां भी कभी-कभी दूसरे के सिर मढी जा सकती हैं। लव मैरिज आजादी देता है तो इसके साइड इफेक्ट्स भी हैं। फिर भी मेरा मानना है कि युवाओं को अपनी पसंद से शादी करनी चाहिए। ऐसी जिंदगी भी क्या, जहां आप अपने फैसले मन से न ले पाएं।

आर्ट ऑफ लिविंग की भूमिका

करनवीर : मैं गुजराती हूं। मेरे दादाजी रामकुमार बोहरा फिल्म प्रोड्यूसर थे और पिताजी नरेंद्र बोहरा भी फिल्म बिजनेस से जुडे हुए हैं। घर में टीजे के बारे में बताया तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि सबको समाज के बदलते रंग-ढंग का अंदाजा था। हां, लोगों के मन में यह बात थी कि टीजे इंडिया की नहीं है, एनआरआइ पंजाबी है..।

टीजे : मैं और करनवीर एक बार दिल्ली गए थे। वहां एक दोस्त के जरिये श्री श्री रविशंकर जी से मिले। उन्होंने हमसे पूछा कि तुम दोनों शादी करना चाहते हो? हमने कहा-हां। उन्होंने कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग के जरिये शादी करो? हमने दक्षिण भारतीय पद्धति से श्री श्री रविशंकर जी के सान्निध्य में शादी की। मेरे पिता वैंकुवर में रहते हैं। फिर उन्होंने इच्छा रखी कि हमारी शादी पंजाबी स्टाइल से भी हो। मैंने करनवीर के परिवार वालों से बात की तो उनका परिवार वैंकुवर गया, जहां धूमधाम से पंजाबी स्टाइल में भी शादी हुई। यानी हमें कोई दिक्कत नहीं हुई।

शादी एक रोमांचक यात्रा है

करनवीर : हर इंसान शादी से पहले काफी सोच-विचार करता है, शादी करे या नहीं, कैसे करे-क्यों करे..। मैं शादी को लेकर हमेशा से व्यावहारिक सोच रखता था। मुझे किस्से-कहानियों वाली लव स्टोरी नहीं चाहिए थी। किस्सों में दिखने वाली लव स्टोरी में कोई सब-स्टोरी नहीं होती और जब तक जीवन में सब-स्टोरी न हो तब तक मजा कैसे आएगा? टीजे में मुझे वे सब बातें मिलीं, जो एक पत्नी में होनी चाहिए। सबसे बडी बात टीजे का स्वभाव बहुत ही सहज है। वह ख्ाुश रहने वाली लडकी है। वह मेरे लिए एक ऐसा चेहरा है, जो हमेशा मुस्कराता हुआ ही अच्छा लगता है। मैं उसके साथ रहता हूं तो जीवन के सारे दुख-तनाव, फायदे-नुकसान भूल जाता हूं। टीजे दुनिया की सबसे खूबसूरत लडकी है मेरे लिए। टीजे जैसी कोई दूसरी लडकी मुझे इस इंडस्ट्री में मिलती तो शायद मैं उससे शादी करता, मगर कोई उस जैसी मिली ही नहीं। आज के यूथ से मैं यही कहना चाहूंगा कि खुद को और संबंधों को समय दें। किसी भी संबंध में धैर्य जरूरी है। पिछले कई सालों से यही एक चीज है जो हमारे बीच संबंधों का आकर्षण बनाए हुए है। नफे-नुकसान और ईगो के बारे में सोचना बेकार है। जैसे-जैसे उम्र बढती है, समझ में आता है कि दुनिया की हर चीज के बजाय जीवनसाथी की अहमियत ज्यादा है।

टीजे : मेरे हिसाब से शादी दुनिया का सबसे बडा एडवेंचर है। इसके बिना जीवन की परिभाषा पूरी नहीं हो सकती। मैं आज के युवाओं को देख कर थोडी निराश हूं। हालांकि उनमें प्रतिभा व लगन है। वे करियर के प्रति सचेत हैं, प्रोफेशनल हैं, लेकिन संबंधों के लेकर कहीं थोडी संवेदनहीनता भी नजर आती है। उन्हें लगता है कि एक रिश्ता नहीं चला तो दूसरा बन जाएगा, लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होता। संयुक्त परिवार में यही एक चीज थी, जो रिश्तों को जोडे रखती थी। अब युवाओं को लगता है कि बिना परिवार की मदद के समस्याएं हल कर लेंगे, लेकिन सच तो यह है कि दोस्तों से अपनी समस्याएं एक हद तक बांट सकते हैं। लेकिन वे भी तो उतने ही अनुभवी और ज्ञानी हैं जितने आप। जब आप अपनी समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रहे हैं तो वे आपकी समस्याएं कैसे सुलझाएंगे?

दुर्गेश सिंह


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