Move to Jagran APP

नई यात्रा की शुरुआत है राजनीति

प्रकाश झा गंभीर विषय उठाने वाले फिल्मकार माने जाते हैं। मल्टीस्टारर फिल्म राजनीति उनके निर्देशन में आए बदलाव को दिखाती है। फिल्म में महाभारत की कहानी को आज के संदर्भो में दिखाया गया है। कहानी को कैसे विकसित किया गया, कैसे किरदारों का चयन किया गया, इन्हींमसलों पर दिलचस्प जानकारी दे रहे हैं अजय ब्रह्मात्मज।

By Edited By: Published: Sat, 30 Jun 2012 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2012 04:27 PM (IST)
नई यात्रा की शुरुआत है  राजनीति

प्रकाश झा की विशिष्ट फिल्म है राजनीति। उनके निर्देशन में आए शिफ्ट को यह फिल्म जाहिर करती है। पहली बार उन्होंने हिंदी सिनेमा के पॉपुलर स्टारों को लेकर मल्टीस्टारर  फिल्म की कल्पना की, जिसे दर्शकों ने सराहा। राजनीति सेल्युलाइड  पर भारतीय महाकाव्य महाभारत का रूपांतरण है, जिसमें चरित्रों के नाम बदल गए हैं। राजनीति का मतलब केवल पार्टी-पॉलिटिक्स नहीं है। व्यक्ति हर जगह राजनीति करता है। फिल्म की योजना व कल्पना के समय प्रकाश झा के दिमाग में यही राजनीति थी। वे कहते हैं, जिंदगी, परिवार, दफ्तर, समाज में हर जगह पॉलिटिक्स कर रहे हैं लोग। क्यों करते हैं हम राजनीति? वास्तव में हम सत्ता चाहते हैं। महाभारत में विदुर ने कहा है कि सत्ता व अधिकार की लालसा ही परम सत्य है। यह इच्छा तरीकों पर विचार नहीं करती। कई बार सत्ता तो मिल जाती है, लेकिन उसकी भारी कीमत चुकानी पडती है।

loksabha election banner

लवर ब्वॉय बना मैच्योर

राजनीति में समर प्रताप सिंह (रणबीर कपूर) राजनीतिक परिवार का उत्तराधिकारी है। उसकी राजनीति में रुचि नहीं है। वह हार्वर्ड  यूनिवर्सिटी में पढ रहा है और लेक्चरर बनना चाहता है। उसके भीतर एक स्याह कोना है। उसके शोध का विषय सबटेक्स्चुअल इमोशनल  वॉयलेंस इन नाइनटींथ  सेंचुरी  विक्टोरियन पोएट्री है। वह जानता है कि यदि प्रतिहिंसा पर उतरा तो जघन्य स्तर तक पहुंच सकता है। वह महाभारत के अर्जुन से भिन्न है।

इस भूमिका को स्वीकारने से पहले रणबीर कपूर द्वंद्व में थे। उनकी इमेज लवर ब्वॉय की थी। उन्होंने सोचा कि प्रकाश झा से मिलेंगे, मगर मना कर देंगे। करियर की शुरुआत में ऐसी फिल्म करना भविष्य के लिए घातक हो सकता है। लेकिन प्रकाश झा का नैरेशन  सुनने के बाद उन्होंने तुरंत हां कर दी। रणबीर कपूर के अनुसार, ऐसी भूमिकाएं मुश्किल से आती हैं। समर जटिल चरित्र है। वह अनचाही गतिविधियों में संलग्न हो जाता है और अपनी चाहत को दरकिनार कर देता है। उसे अपने किए का अफसोस है, लेकिन वह दुख जाहिर भी नहीं कर सकता।

कहानी में महाभारत

प्रकाश झा ने राजनीति की कल्पना स्वतंत्र फिल्म के रूप में की थी। फिर लगा कि कहानी महाभारत की तरफ जा रही है। झा और उनके लेखकीय  सहयोगी अंजुम रजब  अली ने तय किया कि वे इसे अलग रखने की कोशिश नहीं करेंगे। चुनौती यह थी कि महाभारत के परिचित चरित्रों को आज के माहौल में कैसे रूपांतरित करें? मोटे तौर पर कौरव और पांडव की तरह राजनीति में वीरेंद्र प्रताप और पृथ्वी प्रताप गढे गए हैं। फिर उनके पुत्रों को सत्ता के लिए युद्धरत दिखाया गया। कृष्ण के रूप में बृज गोपाल (नाना पाटेकर) आए तो कर्ण के रूप में सूरज (अजय देवगन)। अर्जुन समर प्रताप सिंह (रणबीर कपूर) बने तो दुर्योधन का रूपांतरण वीरेंद्र प्रताप (मनोज बाजपेयी) के रूप में हुआ। द्रौपदी इंदुमती (कट्रीना कैफ) के रूप में दिखी। अंजुम रजब अली कहते हैं, महाभारत के कथाबीज में अनेक संभावनाएं हैं। मनुष्य की मूल भावनाएं आज भी वही हैं। चुनौती यह थी कि हमें 150  मिनट में सब कहना था। पहला ड्राफ्ट 265  पृष्ठों का था, जबकि 120 पृष्ठ काफी होते हैं। राजनीति के लिए एक थीम पर ध्यान दिया गया। एक नेक व्यक्ति ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाता है, जहां सभी छल-कपट कर रहे हैं। अपने अस्तित्व के लिए वह भी इसी छल-कपट की राह अपनाता है और फिर अपनी नैतिकता को तार-तार होते देखता है। आखिरकार  वह विजयी होता है, लेकिन इसके लिए उसे मूल्य चुकाना पडता है।

कर्ण के बजाय अर्जुन

दुविधा थी कि राजनीति को अर्जुन के दृष्टिकोण से पेश करें या कर्ण के? कर्ण की कहानी अधिक नाटकीय हो सकती थी, लेकिन अर्जुन को नायक बनाने पर सहमति हुई। अर्जुन की ही तरह समर प्रताप अपने अपराध बोध से मुक्त नहीं होता। अंजुम रजब अली राजनीति के अंतिम प्रभाव का श्रेय इसके संवादों को देते हैं। प्रकाश झा राजनीति व जीवन को करीब से जानते हैं। हिंदी के मुहावरों और लोकोक्तियों की उन्हें अच्छी जानकारी है। उनके संवाद अर्थपूर्ण होते हैं और वह चरित्रों के स्वभाव के अनुसार शब्द और भाव बदलते हैं।

ग्लैमर डॉल की संजीदगी

कट्रीना कैफ के नाम पर सभी चौंके थे। उनकी इमेज  ग्लैमर  डॉल की है। मगर इस फिल्म के लिए उन्होंने हिंदी का अभ्यास किया, उच्चारण सुधारा और उसे मांजा। उन्होंने अपनी आवाज  में डबिंग  की। लंबे संवादों को घंटों की मेहनत से याद किया। शूटिंग में धाराप्रवाह बोलतीं और फिर डबिंग में रही-सही कसर पूरी कर देतीं। महाभारत की द्रौपदी  और राजनीति की इंदुमती में सीधी समानताएं नहीं दिखतीं, लेकिन यह चरित्र द्रौपदी से प्रभावित है। इंदुमती  समर से प्रेम करती है, लेकिन परिस्थितियों के आगे विवश समर इंदुमती को अपने बडे भाई से शादी करने को कहता है। वह राजी तो हो जाती है, लेकिन अपने प्रेम को नहीं भूल पाती। दो पुरुषों के द्वंद्व में फंसी इंदुमती  के सामने प्रेम व कर्तव्य का दोराहा है। वह कर्तव्य की राह पर आगे बढती है और पति को स्वीकार कर लेती है। जैसे ही सब कुछ पटरी पर आ रहा दिखता है, तभी एक हादसा होता है और वह विधवा हो जाती है, लेकिन फिर हिम्मत जुटा कर जिंदगी के कुरुक्षेत्र में स्वयं उतरती है। समर और बृज गोपाल की मदद से वह राजनीति में दक्ष हो जाती है। जीवन की तल्खियों से गुजर कर वह सख्त हो जाती है। लेकिन जब समर लौटने लगता है तो वह पूछती है, जाना जरूरी  है क्या? कट्रीना ने इस किरदार के लिए ग्लैमरहीन,  लेकिन प्रभावशाली किरदार को निभाया।

दुर्योधन का ग्रे शेड

दुर्योधन का किरदार वीरेंद्र प्रताप सिंह यानी मनोज बाजपेयी ने निभाया। वह पार्टी का कमांड अपने हाथ में लेना चाहता है। सी.एम. की कुर्सी के आगे उसे इंदुमती  का सौंदर्य भी आकर्षित नहीं करता। मनोज बाजपेयी बताते हैं, दुर्योधन को हमेशा ब्लैक चरित्र के रूप में दिखाया गया। मैंने तय किया कि उसके ग्रे एरिया को उभारूंगा। वह प्रतिद्वंद्वी पृथ्वी प्रताप की तरह नीच हरकतें नहीं करता। भाषा की समझ और सटीक उच्चारण से मनोज ने सामान्य संवादों को भी वजनदार बना दिया। जब वीरेंद्र प्रताप सिंह हाथ नचाते हुए कहता है कि करारा जवाब मिलेगा तो दर्शकों को यकीन होता है कि वह जवाब देने लायक है और देगा।

आउटडोर शूटिंग की मुश्किलें

राजनीति में लोकेशन व भीड नियंत्रण बडी समस्या थी। झा ने दृश्यों को भोपाल की लोकेशन में अच्छी तरह गूंथा  है। भीड के लिए हजारों उत्साही कलाकारों को प्रशिक्षित किया। यह फिल्म बंद कमरे में नहीं बनाई जा सकती थी, लेकिन अनुशासन व प्लानिंग से इसकी शूटिंग संपन्न हो सकी। इस फिल्म से झा के निर्देशन की नई यात्रा आरंभ होती है। इसके बाद उन्होंने आरक्षण का निर्देशन किया। अब चक्रव्यूह कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.