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..और फोन खो जाए

मोबाइल आज की बड़ी जरूरत है। इसके बगैर जिंदगी ठहर सी जाती है। एक रिसर्च कहती है कि मोबाइल यू•ार्स को नोमोफोबिया नामक बीमारी घेर रही है। उन्हें हर वक्त फोन खोने का भय सताता है। खोने के साथ यह डर भी जुड़ा रहता है कि गलत हाथों में जाने पर न जाने इस छोटे से डिवाइस का क्या हो। इसलिए सचेत रहें और कुछ सावधानियां बरतें।

By Edited By: Published: Wed, 22 Aug 2012 02:51 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2012 02:51 PM (IST)
..और फोन खो जाए

एक नई बीमारी है, जो मोबाइल यूजर्स  को हो रही है। हर वक्त यह चिंता कि कहीं फोन खो न जाए या एकाएक धोखा न दे जाए। मॉर्निग-इवनिंग वॉक  पर हैं या योगाभ्यास कर रहे हैं तो भी सेलफोन का साथ नहीं छूटता। किसी का हालचाल ले रहे हैं कि अचानक उंगलियां मैसेज बॉक्स को टटोलने लगती हैं। बात का सिरा बीच में ही टूट जाता है और जनाब मेसेज  में खो जाते हैं। सडक पार कर रहे हैं या ड्राइविंग सीट पर हैं, मगर फोन पर इतने बिजी हैं कि हॉर्न सुनाई नहीं दे रहा है। कुछ लोग तो अति कर देते हैं। इसे सिरहाने रख कर सोते हैं। मीटिंग के दौरान स्विच ऑफ करना पडे तो वापस आते ही फोन ऑन  करते हैं..। ये सारे लक्षण नोमोफोबिया के हैं।

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एक छोटे से सेलफोन  में पूरी दुनिया बसती है। दोस्त हैं, एटीएम,  क्रेडिट का‌र्ड्स  सहित बैंकिंग दस्तावेज  या पासवर्ड  हैं, कुछ राज  हैं, पर्सनल फोटोज  या नॉटीएमएमएस  हैं। दूसरी ओर वर्कप्लान  से लेकर कामकाजी दुनिया के जरूरी  ई.मेल  और फोन नंबर्स  भी इस छोटे से डिवाइस  में समाए हुए हैं। मॉल्स या वॉशरूम  में इसे भूलना बेहद दुखद है।

नो मोबाइल फोन फोबिया

कुछ समय पूर्व यू.के. स्थित एक रिसर्च कंपनी ने मोबाइल यूजर्स  में एंग्जाइटी के लक्षणों के बारे में स्टडी की। पाया गया कि ब्रिटेन के 53 प्रतिशत लोग मोबाइल खोने की चिंता में घुले रहते हैं। चिंताएं नेटवर्क कवरेज न होने, बैटरी चार्ज न होने या टॉक टाइम न होने से भी जुडी होती हैं। 58त्‍‌न पुरुष और 48 प्रतिशत स्त्रियां इस फोबिया से ग्रस्त हैं। 9 प्रतिशत लोग फोन ऑफ होने पर दबाव में आ जाते हैं। भारत में भी स्थितियां कमोबेश ऐसी ही हैं।

सर्वे बताते हैं कि ज्यादातर  लोग फोन में

पासवर्ड  प्रोटेक्शन नहीं रखते, जबकि 5 प्रतिशत लोगों के स्मार्ट फोन या टैबलेट  में बैंकिंग, फाइनेंशियल  और स्टॉक ट्रेडिंग के एप्स होते हैं, 35 प्रतिशत के पास ऑनलाइन शॉपिंग के एप्लीकेशंस  हैं, 77 प्रतिशत फोन के जरिये  सोशल साइट्स  से जुडे रहते हैं, जबकि 97 प्रतिशत इससे ई.मेल भेजने का काम करते हैं। यूजर्स  मानते हैं कि फोन खोने या इसमें किसी खराबी  के होने का अर्थ है उनकी दुनिया बंद हो जाना।

फोन को कैसे बचाएं

मोबाइल कंटेंट प्रोवाइडिंग  एजेंसी वन 97 के सीईओ विजय शेखर  शर्मा के अनुसार-

1.  फोन को सुरक्षित रखने का आसान तरीका है इसे पासवर्ड  प्रोटेक्ट  करें। कॉन्फिडेंट  टेक्नोलॉजीज  इंक के वर्ष 2011  में हुए एक सर्वे में 50त्‍‌न यूजर्स  ने माना कि वे फोन में पिन या पासवर्ड नहीं डालते। जबकि इसका विकल्प हर स्मार्ट फोन में होता है। पासवर्ड नाम, जन्मतिथि, मैरिज एनिवर्सरी से अलग ही हो तो अच्छा है।

2.  कुछ कंपनियां सुविधा दे रही हैं कि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति फोन का डेटा कॉपी या फॉरवर्ड न कर सके। इसमें अपलोडिंग  या डाउनलोडिंग  पर लॉक सिस्टम काम करता है। ऐसे फोन खरीदें।  

3.  आजकल सेलफोन  में पासवर्ड  मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और एप्स  उपलब्ध हैं। ये एप्स  पासवर्ड,  क्रेडिट का‌र्ड्स  या महत्वपूर्ण सामग्री को एक स्थान पर सुरक्षित रखते हैं। फोन खो भी जाए तो इन सूचनाओं का पता बिना पासवर्ड  के नहीं लगेगा।

4.  यदि इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो फोन खोने पर सबसे पहले अपने सारे पासव‌र्ड्स  बदलें। फोन में सिक्युरिटी सिस्टम रखें।

5.  लैपटॉप  या पीसी में भी बैकअप रखें।

6.  फोन पर निर्भरता कम करें। महत्वपूर्ण नंबर्स  को याद कर लें या सुरक्षित रखें।

7.  फोन खोने पर सिम कनेक्शन को तुरंत ब्लॉक कराएं और निकट के पुलिस स्टेशन में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराएं, ताकि गलत  या आपराधिक कार्यो के लिए फोन का इस्तेमाल न हो सके।

8.  माना कि फोन बेहद पर्सनल डिवाइस  है, लेकिन खासतौर  पर यंगस्टर्स ध्यान रखें कि इसमें कोई भी ऐसा डेटा स्टोर न करें, जिनका गलत  इस्तेमाल हो सकता हो।


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