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गोदान उपन्यास की रचना का रहस्य

<p>प्रेमचंद का उपन्यास गोदान हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं में ही नहीं विश्व की भाषाओं में एक कालजयी रचना के रूप में माना जाता है, उनकी रचना-प्रक्रिया की छानबीन गंभीरता पूर्वक नहीं हुई। एक प्रमुख तथ्य यह है कि प्रेमचंद अपने उपन्यासों, कहानियों आदि की रूपरेखा अंग्रेजी में बनाते थे, फिर उन्हें हिन्दी या उर्दू में लिखते थे और बाद में उनका उर्दू तथा हिन्दी में अनुवाद/रूपान्तर करते थे। प्रेमचंद की सर्जनात्मकता इस प्रकार तीन भाषाओं-अंग्रेजी-हिन्दी उर्दू से जुडी थी और ऐसा दूसरा उदाहरण हिन्दी में दुर्लभ है। </p>

By Edited By: Published: Mon, 30 Jul 2012 04:56 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2012 04:56 PM (IST)
गोदान उपन्यास की रचना का रहस्य

प्रेमचंद का उपन्यास गोदान हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं में ही नहीं विश्व की भाषाओं में एक कालजयी रचना के रूप में माना जाता है, उनकी रचना-प्रक्रिया की छानबीन गंभीरता पूर्वक नहीं हुई। एक प्रमुख तथ्य यह है कि प्रेमचंद अपने उपन्यासों, कहानियों आदि की रूपरेखा अंग्रेजी में बनाते थे, फिर उन्हें हिन्दी या उर्दू में लिखते थे और बाद में उनका उर्दू तथा हिन्दी में अनुवाद/रूपान्तर करते थे। प्रेमचंद की सर्जनात्मकता इस प्रकार तीन भाषाओं-अंग्रेजी-हिन्दी उर्दू से जुडी थी और ऐसा दूसरा उदाहरण हिन्दी में दुर्लभ है।

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गोदान की आरम्भिक रूपरेखा भी अंग्रेजी में मिलती है। यह रूपरेखा तीन पृष्ठों की है, लेकिन इसका पहला पृष्ठ गायब है। इसके उपलब्ध दो पृष्ठों में क्रमसंख्या 3 से 12 तक के आठ सूत्र मिलते हैं। इसका अर्थ है कि आरम्भिक दो सूत्र अब उपलब्ध नहीं हैं जो निश्चय ही महत्वपूर्ण होंगे। इन आठ सूत्रों में कथा के महत्वपूर्ण बिन्दु, पात्रों की चरित्र-रेखायें, दृश्यों की रूप-रचना आदि का संक्षिप्त वर्णन है। यह अंग्रेजी रूपरेखा (अनुवाद) इस प्रकार से हैं:-

3. होरी गाय खरीदता है, सारा गांव देखने आता है। शोभा उदासीन है, लेकिन हीरा ईष्र्या से भर उठता है। वह गाय को विष देता है। होरी उसे देखता है, लेकिन पुलिस में उसकी रिपोर्ट नहीं करता।

4. दशहरा उत्सव को मनाने के लिए सारा गांव जमींदार के पास जाता है। होरी अपना जौ का भंडार बेचता है। वह अपना चेहरा छिपा नहीं पाता। वह (जमींदार) उसका लगान बढाना चाहता है। जमींदार का प्रभावित होना आवश्यक है। पार्टी, जर्मीदार दयालु और दानी है। वह अपनी कहानी कहता है। वह डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का सदस्य भी है। (वह अध्यक्ष पद के लिए खडा होता है- यह अंश कटा है)। वहां अफसरों को प्रसन्न करने के लिए दावतें एवं दान देता है। किसान संतुष्ट होकर लौटते हैं। झुनिया भी प्रदर्शन में जाती है। गोबर प्रस्ताव करता है। वह विवाहित नहीं है। विवाह के लिए धन चाहिए। झुनिया आत्म-समर्पण कर देती है।

5. झुनिया के एक पुत्री (पुत्र) होता है- पंचायत। गोबर कलकत्ता भाग जाता है। पंचायत भारी दंड वसूलती है। प्रायश्चित के लिए होरी को तीर्थ-यात्रा पर जाना पडता है। उसकी पैतृक सम्पत्ति गिरवी रख दी जाती है। वह ब्याज देने में असमर्थ है। गोबर वापस नहीं आता। तब सोना का विवाह होता है। धन है न सम्पत्ति। वह एक दैनिक मजदूर है। लडकियां भी उसके साथ काम करने जाती हैं। सम्पूर्ण मानसिकता बदल जाती है।

6. सम्पत्ति को छुडाना है, लडकी (बेच दी गई- यह कटा हुआ है) की शादी हो जाती है। सम्पत्ति अधिकार में आ जाती है, तब जायदाद में बढोत्तरी। महुआ के लिए होरी का भाइयों के साथ झगडा। होरी पिटता है। वह भाइयों से मुकदमा लडता है। भाइयों को सजा हो जाती है। होरी (लाना है कटा है) दृश्य का आनन्द लेता है, परन्तु अंत में परिवार की देखभाल करता है।

7. भोला के लडके अलग हो जाते हैं। झुनिया मर जाती है। उसकी एकमात्र पुत्री। भोला उसके बच्चे का पालन-पोषण करने लगता है। वह अपना हिस्सा बेटों को दे देता है और (एक साधु बन जाता है- यह अंश कटा है), जमींदार लडकी का पालन पोषण करता है।

8. जमींदार का बडा लडका वकील, कौंसिल का सदस्य। उसका परिवार उसे जाति से बहिष्कृत कर देता है। वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है तथा किसान उसका सम्मान करते हैं।

9. होरी की छोटी लडकी बेच दी जाती है। फसल इतनी ही होती है जिससे केवल लगान दिया जा सके। जानवरों को खिलाना था, अपना पेट भरना था और परिवार का भी। वह क्या कर सकता था? वह शरीर से कमजोर था। झिंकी आजीविका के लिए कठोर परिश्रम कर रही थी। ऐसी स्थिति में वह वृद्ध आदमी अपनी पत्नी को बिना बताये लडकी को बेच देता है। वह अपनी शर्मिन्दगी को छिपाने के लिए एक कहानी गढ लेता है।

10. गोबर एक सौम्य व्यक्ति बनकर लौटता है। बाहर रहने के कुछ अनुभव बताता है। वह झुनिया को भूल गया है, परन्तु जब सन्देहास्पद साधनों से काफी धन कमा लेता है, उसमें आध्यात्मिक जागृति होती है और जल्दी ही घर लौट आता है। उसका पिता मृत्यु शैय्या पर है, लेकिन वह फिर अपने घर में जगह नहीं देता है। गोबर फिर झुनिया के साथ रहने लगता है।

11. भोला एक बहुत छोटी उम्र की विधवा को पत्नी बनाकर लाता है। वह होरी के साथ रहने को आता है। उसके लिए एक झोंपडी बनाई जाती है। वह चोरी करने लगता है, क्योंकि उसे कोई काम नहीं मिल पाता। जंगी इस स्त्री की ओर आकर्षित होता है और वे चुपके-चुपके मिलते हैं। एक दिन वह स्त्री उसे छोड देती है और जंगी के साथ चली जाती है। भोला (दु:ख से मर जाता है- यह अंश कटा है), बेशर्म बनकर वर्षो जंगी के साथ रहती है। एक दिन उसकी पत्नी उसे फटकारती है और झाडू से पीटती है। भोला का अंत हो जाता है।

12. थका-हारा होरी लस्टम-पस्टम अपनी जिन्दगी घसीटता है। गोबर अप्रत्यक्ष रूप में अपनी माता के माध्यम से उसकी मदद करता है, जो निष्ठा से पति की सेवा करती है। अंत में उसका समय आता है और वह मर जाता है। गोबर उसके लिए गोदान करता है। श्श्श्कृषि प्रदशर्नियां, उन्नति, साहित्यिक आंदोलन, चीनी मिलें, सहकारिता का भी विवरण देना है।

गोदान की यह रूपरेखा अनेक नये तथ्यों को उद्घाटित करती है तथा इसकी भी जानकारी देती है कि प्रेमचंद के मन में इस उपन्यास का आरम्भिक रूप क्या था। इस रूपरेखा के साथ उपन्यास के पाठ का तुलनात्मक अध्ययन उनकी सृजन प्रक्रिया के रहस्यों को उजागर करता है। प्रेमचंद क्रम संख्या 3 के कथा सूत्रों को उपन्यास में कायम रखते हैं और कथा की रचना इन्हीं बिन्दुओं पर होती है। क्रम संख्या 4 के कुछ कथा-सूत्र उपन्यास में रहते हैं, कुछ छोड दिये गये हैं और कुछ का रूप बदल गया है। उपन्यास में दशहरे का उत्सव होता है, होरी शगुन के रुपये देता है, किन्तु रुपये जौ का भंडार बेंचकर नहीं बांस बेचकर आते हैं, जमींदार किसानों से नहीं केवल होरी से बात करता है, होरी के मुंह छिपाने का प्रसंग है ही नहीं और गोबर-झुनिया की पहली भेंट उत्सव में न होकर गाय लाते समय होती है। क्रमांक- 5 के कई प्रसंग उपन्यास में नहीं हैं- झुनिया के लडकी नहीं लडका होता है, न पंचायत होती है, न गोबर कलकत्ता भागता है। होरी को दंड स्वरूप जाति से निकाला जाता है, लेकिन रूपरेखा के अनुरूप होरी न तो तीर्थ-यात्रा पर जाता है और न पैतृक सम्पत्ति गिरवी रखी जाती है। क्रमांक- 6 के अधिकांश प्रसंग उपन्यास में नहीं है। वास्तविक लेखन के समय सभी प्रसंग आने से रह जाते हैं और पूर्व कल्पित कथा रचना के क्षणों में नया रूप ग्रहण करती है। क्रमांक- 7 के प्रसंग भी उपन्यास में नहीं है। झुनिया न तो उपन्यास में मरती है और न उसकी संतान का पालन-पोषण जमींदार करता है। क्रमांक-8 के कथा- प्रसंग भी छोड दिया गये हैं। जमींदार के केवल एक पुत्र है और उसका चरित्र भी वह नहीं है जो रूपरेखा में बताया गया है। वह मालती की छोटी बहन सरोज से विवाह करता है और इंग्लैंड चला जाता है और पिता पर दस लाख रुपयों का दावा करता है। क्रमांक-10 के कुछ प्रसंग उपन्यास में हैं गोबर बाहर से लौटता है, सौम्य नहीं चालाक बनकर और होरी की दशा भी मृत्यु-शैय्या पर पडे व्यक्ति जैसी नहीं है। क्रमांक-11 में भोला की कथा है, पर उपन्यास में इसका रूप भिन्न है। उपन्यास में भोला दूसरा विवाह करता है, पर वह न तो होरी के साथ रहता है और न चोरी करता है तथा पुत्र एवं सौतेली मां में भी अवैध सम्बन्ध नहीं है। क्रमांक-12 में होरी की मृत्यु का प्रसंग है। उपन्यास में होरी मजदूरी करते हुए लू से मर जाता है, पर यह रूपरेखा में नहीं है, गोबर द्वारा मदद का प्रसंग भी नहीं है और होरी की मौत पर गोदान गोबर नहीं धनिया करती है। अंत में, प्रेमचंद ने कुछ विषयों का उल्लेख किया है, पर उनमें केवल चीनी मिल का संक्षिप्त प्रसंग है।

इस प्रकार गोदान की अंग्रेजी रूपरेखा के साथ उपन्यास के पाठ से उसका तुलनात्मक अध्ययन उनकी सृजन-प्रक्रिया के अज्ञात तथ्यों का उद्घाटन करता है, उनकी कल्पना और वास्तविक रचना के साम्य तथा अंतर को स्पष्ट करता है साथ ही इसे भी सिद्ध करता है कि प्रेमचंद की पूर्व कल्पित रूपरेखा भी सृजन के वास्तविक क्षणों में रूप बदलती हैं और कुछ प्रसंगों तथा पात्रों की चरित्र-रेखाओं में परिवर्तन- संशोधन तथा परिवर्धन करती चलती हैं। प्रेमचंद जैसे कालजयी लेखक को समझने के लिए इस पक्ष के तथ्यों-सत्यों का साक्षात्कार आवश्यक है।

[कमल किशोर गोयनका

ए-98, अशोक विहार, फेज प्रथम, दिल्ली-110052]


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