चार विधानसभा सीटों पर उप चुनाव को लेकर कांग्रेस में कसरत शुरू, मंत्रिमंडल में खाली है 9 स्थान
मेघवाल के निधन के बाद अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में 21 सदस्य रह गएवहीं 9 मंत्रियों की जगह खाली है। 200 सदस्यीय विधानसभा के 15 फीसदी के हिसाब से 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में अब 9 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में अब कांग्रेस के तीन और विधायक कम हो गए। पिछले माह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल व विधायक कैलाश त्रिवेदी की मौत हुई। भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी की मौत इस माह हुई। माहेश्वरी और त्रिवेदी की मौत कोरोना के कारण हुई ।वहीं मेघवाल दो माह से गुडगांव के मेदांता अस्पताल में विभिन्न बीमारियों के कारण भर्ती थे। कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन बुधवार को हुआ।
मेघवाल के निधन के बाद अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में 21 सदस्य रह गए,वहीं 9 मंत्रियों की जगह खाली है। 200 सदस्यीय विधानसभा के 15 फीसदी के हिसाब से 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में अब 9 मंत्री बनाए जा सकते हैं। मेघवाल के निधन के कारण सुजानगढ़,त्रिवेदी की मौत से सहाड़ा, माहेश्वरी के निधन पर राजसमंद व शक्तावत के निधन पर वल्लभगढ़ विधानसभा सीटें खाली हो गई। इन चारों विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। कानूनन सीट खाली होने पर 6 माह के भीतर चुनाव कराने का प्रावधान है। इन सीटों पर मार्च माह के अंत में चुनाव कराए जाने की उम्मीद है। इन चारों सीटों पर उपचुनाव कांग्रेस के लिए चुनौती होंगे।
21 दिसंबर को दो साल का कार्यकाल पूरा करने का रही अशोक गहलोत सरकार व कांग्रेस के लिए ये उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण होंगे। सबसे बड़ी चुनौती इन सीटों पर जिताऊ उम्मीदवार को चुनाव लड़ाना होगा। वहीं दूसरी चुनौती चुनाव जीतना होगी। कांग्रेस ने अभी से संभावित उम्मीदवारों के चयन और चुनावी रणनीति पर प्रारंभिक दौर का मंथन करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि उप चुनाव जीतना बहुत जरूरी होगा। उपचुनाव के नतीजे गहलोत सरकार के सवा दो साल के काम पर जनता की मुहर के तौर माने जाएंगे। यदि कांग्रेस जीतने में कामयाब होती है तो इसी उसकी बड़ी सफलता मानी जाएगी।
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के विद्रोह के बाद प्रदेश सत्ता और संगठन पर पूरी तरह से सीएम गहलोत का कब्जा है। गहलोत ने पायलट सहित उनके समर्थकों को मंत्रिमंडल से विद्रोह के समय ही बर्खास्त कर दिया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी पायलट को हटाकर गहलोत के विश्वस्त गोविंद सिंह डोटासरा को अध्यक्ष बनाया गया था। ऐसे में माना जा रहा है कि उप चुनाव में उम्मीदवार भी गहलोत की पसंद के ही उतारे जाएंगे। अगर उपचुनाव में कांग्रेस हारती है तो विपक्ष इसे सरकार के खिलाफ जनता के जनादेश के रूप में प्रचारित करेगा।कांग्रेस के भीतर भी सीएम के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है।