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Rajasthan: स्कूलों में अगले साल कम हो सकता है बस्ते का बोझ

Weight Of Bag. राजस्थान के शिक्षा विभाग ने इस बार जयपुर और राज्य के सभी जिलों में एक एक सरकारी स्कूल में कक्षा एक से पांच तक बच्चों की किताबों का बोझ कम किया था।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 01:37 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 01:37 PM (IST)
Rajasthan: स्कूलों में अगले साल कम हो सकता है बस्ते का बोझ

जयपुर, जेएनएन। Weight Of Bag. राजस्थान में अगले सत्र से पूरे राज्य में पांचवीं तक के बच्चों के लिए बस्ते का बोझ कम किया जा सकता है। इस बारे में सरकार की ओर से चलाए जा रहे पायलट प्रोजेक्ट के अच्छे परिणाम सामने आए है।

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राजस्थान के शिक्षा विभाग ने इस बार जयपुर और राज्य के सभी जिलों में एक एक सरकारी स्कूल में कक्षा एक से पांच तक बच्चों की किताबों का बोझ कम किया था। इसके लिए हर विषय के पूरे वर्ष के कोर्स तीन-चार भागों में बांट कर सभी विषयों की एक ही किताब तैयार की गई। जैसे पहले यूनिट टेस्ट तक जो कोेर्स आना है, उसकी सभी विषयों की एक किताब बना दी गई। वह टेस्ट खत्म होने के बाद दूसरे यूनिट टेस्ट के लिए इसी तरह दूसरी किताब बनाई गई। इससे बच्चे को स्कूल साारी किताबें ले जाने के बजाय एक ही किताब ले जानी पड़ रही है।

शिक्षा राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा का कहना है कि राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां पर बस्ते के बोझ को कम करने की पहल की गई है। इसके तहत जयपुर को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेते हुए राज्य के सभी 33 जिलों के एक-एक स्कूल में बस्ते के बोझ को कम करने के प्रयास के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। हम इसकी समीक्षा करवा रहे है। राज्य सरकार का प्रयास है कि अगले वर्ष कक्षा एक से पांच तक के अंतर्गत राज्य के 65 हजार विद्यालयों में बस्ते का बोझ कम करने की परियोजना को पूरी तरह से लागू कर दिया जाए। राजस्थान में यह प्रयोग पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से किया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार ने झुंझुनूं जिले को ‘इनोवेशन हब फॉर एक्सीलेंस इन स्कूल एजुकेशन‘ के रूप में विकसित करने के लिए पीरामल फाउंडेशन के साथ एक और एमओयू किया है।

शिक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि झुंझुनूं को भारत में ‘पीआईएसए‘ (प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट) के लिए तैयार रहने वाला पहला जिला बनाने का लक्ष्य राज्य सरकार ने मॉडल के रूप में रखा है। इसके तहत छात्रों को सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक रूप से सक्षम बनाने के लिए एक अत्याधुनिक पाठ्यक्रम लागू करने का प्रयास राज्य सरकार पायलट प्रोजेक्ट के रूप में झुंझुनूं जिले से करेगी।

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