Rajasthan Weather: कड़ाके की ठंड के बीच सूबे मे बदलेगा मौसम का मिजाज, हल्की बारिश संग हो सकती है ओलावृष्टि
मौसम विभाग के अधिकारियों ने राजस्थान में 28 जनवरी को दोपहर बाद से कई इलाकों में मौसम के बदलने का अनुमान जारी किया है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते सूबे के कई इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है। (फाइल फोटो)
जयपुर, पीटीआई। राजस्थान में एक और पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है। पश्चिमी विक्षोभ का असर शनिवार को दोपहर बाद से देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने राजस्थान में 28 जनवरी को दोपहर बाद से कई इलाकों में मौसम के बदलने का अनुमान जारी किया है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते सूबे के कई इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है।
कड़ाके की ठंड का कहर जारी
शुष्क प्रदेश में कड़ाके की ठंड का प्रकोप लगातार अब भी जारी है। जहां बीती रात फतेहपुर (सीकरी) का न्यूनतम तापमान शून्य से 2.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। तो वहीं चूरू में रात का तापमान शून्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस नीचे रिकॉर्ड किया गया था। तो वहीं बीकानेर में 1.9 डिग्री, पिलानी में 2.7 डिग्री, हनुमानगढ़ के संगरिया में 2 डिग्री, करौली में 2 डिग्री, जोधपुर के फलोदी में 2.8 डिग्री और टोंक की वनस्थली में 3.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
मौसम बदलने से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस हो सकता है तापमान
मौसम विभाग के अधिकारियों ने राजस्थान में शीत लहर भी अगले 24 घंटे तक जारी रहने की संभावना जताई है। 28 जनवरी से पश्चिमी विक्षोभ के कारण न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है। राजस्थान के कई हिस्सों में पिछले दिनों एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ था। इसके चलते प्रदेश के कई जिलों में बारिश हुई थी। तो वहीं हवाएं भी सामान्य से ज्यादा तेज गति से चली थी।
28 जनवरी से राज्य में बदलेगा मौसम का मिजाज
मौसम विभाग के अधिकारी राधेश्याम शर्मा ने बताय़ा कि पश्चिमी विक्षोभ के असर से 28 जनवरी की दोपहर बाद से ही राज्य के कुछ भागों में बारिश की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। उन्होंने बताया कि 29 जनवरी को दक्षिण-पश्चिम राजस्थान को छोड़कर अधिकांश स्थानों पर मेघगर्जन होगा। इसके साथ ही हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होने की भी अनुमान है।तो वहीं मौसम विभाग के अधिकारी ने यह भी बताया कि बारिश के साथ साथ कहीं-कहीं ओलावृष्टि भी हो सकती है। लेकिन अभी खेतों में गेहूं, सरसों, चना जैसी फसलें खड़ी हैं। इसलिए ओला गिरने से फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान हो सकता है।
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