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Rajasthan: विश्नोई समाज के लोग नहीं करेंगे मृत्युभोज, नशा प्रवृत्ति पर भी लगाएंगे रोक

Vishnoi society. भोजासर के साथ आसपास की तीन विश्नोई बहुल ग्राम पंचायतों ने भागीदारी निभाई और एक स्वर में मृत्युभोज प्रथा को बंद करने नशा प्रवृति को रोकने का निर्णय लिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 04:26 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 04:26 PM (IST)
Rajasthan: विश्नोई समाज के लोग नहीं करेंगे मृत्युभोज, नशा प्रवृत्ति पर भी लगाएंगे रोक

जोधपुर, संवाद सूत्र। मारवाड़ क्षेत्र में विश्नोई समाज के सबसे बड़े गांव भोजासर में मृत्यु भोज बंद करने का निर्णय लिया गया है। इसमे भोजासर के साथ आसपास की तीन विश्नोई बहुल ग्राम पंचायतों ने भागीदारी निभाई और एक स्वर में मृत्युभोज प्रथा को बंद करने, नशा प्रवृति को रोकने का निर्णय लिया है। विश्नोई समाज के गुरु जम्भेश्वर मंदिर में प्रबुद्ध जनों के आह्वान पर आयोजित हुई बैठक में समाज के पांच सौ से अधिक बड़े-बुजुर्गों से हिस्सा लेकर एक स्वर में लिए गए फैसलों के स्वागत किया। इसके अलावा सभी प्रकार के खर्चें को कम करते हुए शिक्षा से समाज के विकास पर ध्यान केंद्रित किए जाने का निर्णय किया गया है।

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जोधपुर के भोजासर क्षेत्र के प्राचीन जम्भेश्वर मंदिर परिसर में रूढ़िवादी और राजनीतिक रोटी सेकने वाले लोगों के विरोध के बावजूद महंत भगवान दास और भागीरथ दास शास्त्री के सानिध्य में जुटे लोगों ने सभी प्रकार के कार्यक्रमों यथा शोक, मांगलिक कार्यों में अफीम, डोडा आदि नशा बंद करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही समाज में व्यापक स्तर पर होने वाले मृत्यु भोज पर भी रोक लगाई गई है। जिससे कि फिजूल खर्च पर रोक लगाकर उस राशि से समाज के निर्धन परिवारों को आर्थिक संबल मिल सकेगा। व्यापक स्तर पर होने वाले मृत्युभोज को कुटुंब तक सीमित कर दिया गया है। इसके साथ ही बहन-बेटी के विवाह में गहने व अन्य सामान  की जगह केवल पैसे दिए जाने का निर्णय लिया गया।

वन्यजीव प्रेमी कहल वाने वाला राजस्थान का विश्नोई समाज का मारवाड़ में गहरा प्रभाव है। इस निर्णय लेने में संत, जनप्रतिनिधि, और युवा पीढ़ी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। महंत भगवान दास, भागीरथ दास शास्त्री के सानिध्य में भोजासर के पूर्व सरपंच पूनमचंद, रूपाराम जी मास्टर, दिनेश सजनानी, मानाराम नगानी, शैतान सिंह मास्टर, रंजीता राम धतरवाल, मांगी लाल ठेकेदार, गोपाल डारा सहित समाज के पंचों ने एक स्वर में हाथ उठाकर इन कुरीतियों को मिटाने का संकल्प लिया। रानारण विश्नोई के अनुसार, इसके लिए युवा वर्ग ने लगातार दो महीने तक सतत प्रयास किया, जिसके बाद समाज के पंच एक राय, एक मत के साथ इन कुरीतियों के खिलाफ एक जुट हुए हैं। 


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