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Rajasthan: रिश्वत के मामले में महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरपी सिंह गिरफ्तार

Rajasthan राजस्थान में रिश्वत के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरपी सिंह को गिरफ्तार कर लिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 04:05 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 04:05 PM (IST)
Rajasthan: रिश्वत के मामले में महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरपी सिंह गिरफ्तार

जयपुर/अजमेर, जेएनएन। राजस्थान में अजमेर स्थित महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरपी सिंह को 2.20 लाख रुपये की रिश्वत के एक मामल में सोमवार देर रात गिरफ्तार किया गया है। राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सिंह को गिरफ्तार किया है। एसीबी के अधिकारियों ने सोमवार शाम को कुलपति के कर्मचारी रणजीत कुमार को भी गिरफ्तार किया था। एसीबी की टीम ने रणजीत सिंह को नागौर की एक प्राइवेट कॉलेज के संचालक महिपाल सिंह से 2.20 लाख रुपये लेते हुए पकड़ा था। महिपाल सिंह यह रकम कॉलेज में सीटें बढ़ाने के बदले दे रहा था। एसीबी टीम ने रिश्वत देने के आरोप में महिपाल सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया है।

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कुछ समय पहले भीलवाड़ा के एक कॉलेज संचालक ने एसीबी में परिवाद पेश कर आरोप लगाया था कि सीटें बढ़ाने के बदले कुलपति रिश्वत मांग रहे हैं। इस पर एसीबी के अधिकारियों ने कुलपति और उसके कर्मचारी रणजीत सिंह के मोबाइल सर्विलांस पर रखने के साथ ही उन पर निगरानी भी रखना शुरू किया। इसी दौरान नागौर में कॉलेज के संचालक महिपाल सिंह व रणजीत सिंह की बातचीत रिकॉर्ड हुई। इस बातचीत में रणजीत सिंह सीट बढ़ाने के बदले कुलपति के लिए महिपाल सिंह से पांच लाख रुपये की मांग कर रहा था, आखिर में सौदा तीन लाख रुपये में तय हुआ। तय रकम में से पहली किस्त 2.20 हजार रुपये देने के लिए महिपाल सिंह सोमवार शाम कुलपति के निवास पर पहुंचा। एसीबी की टीम पहले से कुलपति के निवास के बाहर तैनात थी। महिपाल सिंह कुलपति निवास पर पहुंचकर रणजीत सिंह को रकम देने लगा तो टीम ने दोनों को पकड़ लिया । दोनों से की गई पूछताछ में कुलपति के इस मामले में शामिल होने की बात सामने आई। रणजीत सिंह ने बताया कि वह कुलपति के लिए पैसे एकत्रित करता है। टीम ने कुलपति के निवास और यूनिवर्सिटी स्थित उसके दफ्तर पर सर्च कर कई दस्तावेज जुटाए। आखिरकार देर रात कुलपति को गिरफ्तार कर लिया गया। 

जिस मामले में रिश्वत ली, वही फाइल वीसी की टेबल पर मिली

एसीबी ने प्रो. आरपी सिंह, उनके निजी ड्राइवर रणजीत चौधरी और एक निजी काॅलेज के प्रतिनिधि महिपाल को देर रात गिरफ्तार करने से पहले करीब आठ-नौ घंटे तक एसीबी की अजमेर व जयपुर की टीम ने संयुक्त पूछताछ की। एसीबी टीम ने परीक्षा विभाग और जीएडी के अधिकारियों काे भी पूछताछ के लिए बुलाया है। इस मामले में एक डिप्टी रजिस्ट्रार दिग्विजय सिंह चौहान संदेह के घेरे में है। जल्द ही उससे भी पूछताछ की जा सकती है। एसीबी अधिकारियाें के मुताबिक जिस मामले में रिश्वत ली गई, उससे संबंधित फाइल तलाशी के दाैरान कुलपति की टेबल पर मिली। एसीबी की टीम ने दाे बार कुलपति चैंबर की तलाशी ली। यहां से कई फाइलें और दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। वीसी आवास और कुलपति के सरकारी वाहन की भी तलाशी ली गई। टीम ने तीनों की गिरफ्तारी के बाद उनके माेबाइल फाेन और लैपटाॅप भी जब्त किए। 

कई बार विश्वविद्यालय की धूमिल हुई छवि

इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं, जब विवि की छवि धूमिल हुई। एमडीएस यूनिवर्सिटी में साल 1999 में टीआर शीट में फेरबदल करने का मामले सामने आया था। पैसा लेकर टीआर शीट में नंबर बदलने का खेल हुआ था। 2003-04 में रिवैल्यूवेशन के अंकों में फेरबदल करने का बड़ा मामला सामने आया था। इसके बाद 2009 में मेडल कांड हुआ, जिसमें दीक्षांत समाराेह में टाॅपर्स की जगह किसी और काे गाेल्ड मेडल दे दिया था। डीआर परीक्षा एचएस यादव काे सस्पेंड कर दिया गया। इसी सत्र में मैनेजमेंट विभाग में गड़बड़ी सामने आई थी। जिसमें प्राेफेसर सतीश अग्रवाल पर रिश्वत के आराेप लगे थे और उन्हें सस्पेंड किया गया था। लंबे समय तक सस्पेंड रहने के बाद सतीश अग्रवाल वापस बहाल हुए लेकिन एक छात्रा से रिश्वत लेने के मामले में एसीबी की कार्रवाई हुई। इसके बाद से वह सस्पेंड ही हैं। 

कविता सिंह मर्डर केस में भी उछला था नाम

मेरठ यूनिवर्सिटी के कुलपति रहते हुए कविता सिंह मर्डर केस में उनका नाम जुड़ा था। हालांकि, बाद में इस मामले में वे बरी हो गए। बरेली काॅलेज, बरेली के प्राचार्य रहते हुए भी कई अनियमितताओं के आराेप प्राेफेसर आरपी सिंह पर लगे। जाेधपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति रहने के दौरान अनियमितताओं के मामले में नाम सामने आया। हालांकि हर मामले में प्राेफेसर सिंह बचते चले गए।

अजमेर में पहले भी पकड़ी गईं बड़ी मछलियां 

एसीबी ने रिश्वत खाेरी और भ्रष्ट आचरण में लिप्त ऊंचे पदाें पर आसीन कई लाेगाें काे पहले भी पकड़ा है। जिला जज अजय शारदा काे एसीबी ने रिश्वत खाेरी मामले में गिरफ्तार किया था। जिला पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात आइपीएस राजेश मीणा काे भी थाने से मंथली वसूलने के मामले में एसीबी गिरफ्तार कर चुकी है।राजस्थान लाेक सेवा आयाेग के तत्कालीन चेयरमैन डाॅ. हबीब गाेरान पर भी एसीबी शिकंजा कस चुकी है। कैटल फीड प्लांट में घाेटाले में शामिल आला अधिकारी सुरेन्द्र शर्मा, यूआईटी के तत्कालीन चेयरमैन नरेन शाहनी भगत भी एसीबी के शिकंजे में फंस चुके हैं। नियुक्ति के तीन दिन बाद ही कुलपति के अधिकार सीज हो गए थे।  प्राे. आरपी सिंह से पहले प्राे. विजय एमडीएस विश्वविद्यालय के कुलपति थे। जुलाई 2017 में उनकी माैत हाेने के बाद लंबे समय यह पद खाली रहा। इसके बाद अक्टूबर 2018 में इस पद पर प्राेफेसर आरपी सिंह की नियुक्ति हुई, लेकिन ज्वाइन करने के तीन दिन बाद ही हाईकाेर्ट में उनके खिलाफ याचिका दर्ज हाेने पर कुलपति के अधिकार सीज कर दिए गए। करीब 11 माह बाद सितंबर 2019 में यह अधिकार बहाल हुए और प्राेफेसर आरपी सिंह ने कामकाज संभाला। प्राेफेसर सि्हं छह माह ही काम कर पाए थे कि काेराेना के चलते कामकाज ठप पड़ गया। अब सोमवार को कुलपति रिश्वत मामले गिरफ्तार हो गए।

कुलपति का मेडिकल कॉलेज भी

सूत्र का कहना है कि कुलपति प्राेफेसर आर सिंह का एक मेडिकल काॅलेज भी है, जाे हाल में शुरू किया गया है। बरेली के बदायूं राेड ढकिया में यह आयुर्वेदिक काॅलेज संचालित है, जिसे शनिवार काे ही एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने मान्यता दी है।

मेरा नहीं है कोई लेना देना, वीसी ने डेढ़ लाख बोला है

वीसी ने कहा था...चौहान साहब से मिल लेना एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आरपी सिंह के खिलाफ जून में एसीबी मुख्यालय को बदनोर स्थित निजी कॉलेज के संचालक की शिकायत मिली थी। शिकायतकर्ता ने बताया था कि कॉलेज की संबद्धता के लिए वीसी प्रो. सिंह ने उससे दो दो लाख की डिमांड की है। शिकायत में घटना बताते हुए कहा गया था कि वीसी के ड्राइवर रंजीत ने उसे फोन कर बुलाया था, जब वह वीसी के रूम में गया तो वहां शैक्षणिक शाखा के कुलसचिव डीएस चौहान मौजूद थे। वीसी ने शिकायतकर्ता से कहा था कि तुम बाहर जाओ, चौहान साहब से बाद में बात कर लेना। चौहान ने बाहर आकर उनसे कहा कि मेरा कोई लेना देना नहीं है, लेकिन वीसी साहब डिमांड कर रहे हैं, डेढ़ लाख रुपये बोला है। इस शिकायत पर एसीबी मुख्यालय ने वीसी और उनसे संबंधित अन्य लोगों को सर्विलांस पर लिया था। इसी जांच में सोमवार को नागौर का यह दूसरा मामला पकड़ा गया।


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