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शांतिभंग के आरोपितों को भी राजस्थान में मिलेगा मीसा बंदियों का दर्जा

आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहने वाले शांति भंग के आरोपितों की सूची आरएसएस के स्वयंसेवकों के माध्यम से तैयार कराई जा रही है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 26 Mar 2018 12:49 PM (IST)Updated: Mon, 26 Mar 2018 05:44 PM (IST)
शांतिभंग के आरोपितों को भी राजस्थान में मिलेगा मीसा बंदियों का दर्जा

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा । पिछले एक साल से आरएसएस को खुश करने में जुटी राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार जून,1975 से वर्ष 1977 तक आपातकाल के दौरान शांति भंग के आरोप में जेल में बंद रहे लोगों को भी मीसा बंदियों का दर्जा देने की तैयारी कर रही है । इन लोगों को मीसा बंदियों की तरह प्रति माह 12,000 रूपए की पेंशन और 1200 रूपए प्रतिमाह चिकित्सा भत्ता मिलता मिलेगा ।

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वसुंधरा सरकार ने आरएसएस के सुझाव पर मीसा बंदियों को पहले ही "लोकतंत्र रक्षक सेनानी " का नाम देने के साथ ही इन्हे मिलने वाली पेंशन को " लोकतंत्र सम्मान रक्षा निधि" नाम दिया है । आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहने वाले शांति भंग के आरोपितों की सूची आरएसएस के स्वयंसेवकों के माध्यम से तैयार कराई जा रही है । इस बारे में प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षता में 9 अप्रैल को बैठक होगी । बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी और फिर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अधिकारिक घोषणा अगले माह तक होने की संभावना है ।कटारिया का कहना है कि आपातकाल के दौरान राजनीतिक कारणों से बड़ी संख्या में लोगों को शांतिभंग के आरोप में जेल भेजा गया था ।

अब वसुंधरा सरकार इन्हे सम्मान देने में जुटी है । वसुंधरा सरकार ने फैसला किया है कि ऐसे लोगों की नई सूची बनाई जाएगी, जिन लोगों ने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई थी और कांग्रेस सरकार ने उन्हें जेल भेजा था. इसके लिए जेलों के रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे । जिले के पुलिस अधीक्षक इस बारे में लिख कर देंगे, जिस पर विधायक और सांसद अपनी मुहर लगाएंगे । जिन लोगों को इन दो जगहों से सर्टिफिकेट मिलेगा, उन्हें वसुंधरा सरकार लोकतंत्र रक्षक सेनानी का दर्जा देगी और साथ ही लोकतंत्र रक्षा सम्मान निधि के रूप में पेंशन भी देगी । उल्लेखनीय है कि आपातकाल के दौरान कई लोगों को मीसा के तहत और कुछ को मात्र शांतिभंग के तहत की गिरफ्तार किया गया था ।

8 माह बाद हैं विधानसभा चुनाव

पिछले माह हुए अजमेर एवं अलवर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीट के साथ ही स्थानीय निकाय और पंचायत के उप चुनाव में भाजपा की हार का कारण आरएसएस के स्वयंसवेकों का चुनाव अभियान में नहीं जुटना भी माना जा रहा है । भाजपा की आंतरिक बैठकों में 8 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए संघ को खुश करना जरूरी बताया जा रहा है । अब आरएसएस को खुश करने के लिए ही मीसा बंदियों के साथ शांतिभंग के आरोपितों को भी मीसाा बंदियों का दर्जा देने की तैयारी की जा रही है । हालांकि वसुंधरा सरकार पिछले एक साल से आरएसएस को खुश करने में जुटी है । संघ के सुझाव पर कुछ योजनाएं चलाने के साथ ही संस्थाओं एवं भवनों का नामकरण किया गया है ।  


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