Rajasthan: सरकार की ढ़िलाई से सवा लाख मजदूर श्रमिक कार्ड से वंचितः वासुदेव देवनानी
Rajasthan वासुदेव देवनानी द्वारा विधानसभा के षष्ठम सत्र में श्रमिक कार्ड योजना को लेकर पूछे गए एक तारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 25.89 लाख मजदूरों को श्रमिक कार्ड जारी किए गए हैं।
अजमेर, संवाद सूत्र। Rajasthan: पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री व विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार का श्रमिक कल्याण का दावा पूरी तरह खोखला साबित हो रहा है। प्रदेश के सवा लाख मजदूरों को श्रमिक कार्ड जारी किए जाने के आवेदन तो वर्तमान में विभागीय स्तर पर ही लंबित पड़े हैं। देवनानी द्वारा विधानसभा के षष्ठम सत्र में श्रमिक कार्ड योजना को लेकर पूछे गए एक तारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 25.89 लाख मजदूरों को श्रमिक कार्ड जारी किए गए हैं, जबकि 1.28 लाख मजदूरों के आवेदन वर्तमान में विभागीय स्तर पर लंबित चल रहे हैं, जिनमें से 29 हजार आवेदन तो वर्ष 2020 के ही हैं।
देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार श्रमिक कल्याण को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नजर नहीं आती, वरना सवा लाख मजदूर श्रमिक कार्ड की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं रहते। देवनानी ने उनको मिले जवाब के हवाले से बताया कि श्रमिक कार्ड जारी करने के लिए प्रस्तुत आवेदनों में से 7.23 लाख आवेदन वर्तमान में आक्षेपों में उलझे हुए हैं, जिनमें से 2.98 लाख आवेदन तो पिछले दो वर्षों के ही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि श्रमिक कल्याण की भावना के साथ इतनी बड़ी संख्या में आक्षेपों में उलझे आवेदनों का न्यायसंगत निस्तारण करवाकर गरीब मजदूरों को श्रमिक कार्ड जारी करवाए।
उन्होंने बताया कि सरकार ने गत दो वर्षों में 2.97 लाख श्रमिक कार्डधारी मजदूरों को विभिन्न योजनाओं से 585 करोड़ का सहयोग उपलब्ध कराया है, परन्तु खेदजनक स्थिति यह है कि तीन लाख मजदूरों को योजनाओं से मिलने वाला लाभ वर्तमान में विभागीय स्तर पर लंबित चल रहा है। देवनानी ने श्रमिक कार्डधारी परिवार के विद्यार्थियों को देय छात्रवृति जैसे मामले में भी सरकार पर संवेदनशील नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि गत दो वर्षों के लगभग 97 हजार प्रकरण विभागीय स्तर पर लंबित रहने से विद्यार्थियों को छात्रवृति नहीं मिल पा रही है, जबकि 48 हजार आवेदन आक्षेपों में उलझे हैैं। उन्होंने कहा कि सरकार को श्रमिक कल्याण की इस महत्वपूर्ण योजना पर गंभीरता से कार्य करना चाहिए तथा विभागीय स्तर पर लंबित चल रहे प्रकरणों तथा आक्षेपों में उलझे प्रकरणों के निस्तारण के लिए समय सीमा निर्धारित करते हुए एक अभियान चलाकर मजदूरों को अधिकतम राहत देने का काम करना चाहिए।