कुपोषण से बचाने के लिए राजस्थान में विकसित हुई बाजरे की दो नई किस्म
राजस्थान के साथ ही महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,हरियाणा और पंजाब आदि राज्यों में इन दोनों कस्मों को विकसित किया जा सकता है ।
जयपुर, जागरण संवाददाता। भोजन में आयरन और जिंक की कमी कुपोषण की बड़ी वजह मानी जाती है । इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने पहली बार बाजरी की ऐसी दो नई किस्में विकसित की है जो जिंक और आयरन से भरपूर है । ये नई किस्में खासतौर पर महिलाओं में एनीमिया की समस्या दूर करने के साथ ही बच्चों को कुपोषण से बचाने में भी मददगार साबित होगी ।
उल्लेखनीय है कि देश में 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी का दावा कई एजेंसियों ने किया है । इसके साथ ही 6 वर्ष के बच्चों से 35 वर्ष तक के 74 प्रतिशत लोग भी आयरन की कमी के शिकार हैं । वहीं आयरन के साथ जिंक की कमी के चलते देश में बड़े स्तर पर बच्चे कुपोषण के शिकार है । जयपुर के दुर्गापुरा स्थित राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान ने देश को एनिमिया और कुपोषण से छुटकारा दिलाने के मकसद से बाजरे की दो नई किस्म विकसित की है ।
प्रदेश के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी का कहना है कि आरएचबी 233 और आरएचबी 234 नामक ये किस्में जिंक एवं आयरन से भरपूर है,जो महिलाओं में रक्त की कमी और बच्चों में कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने में मददगार साबित हो सकती है । अब तक क्षेत्रीय लिहाज से बाजरी की कस्में विकसित होती रही हैं,लेकिन इन दोनों नई किस्मों की विशेषता यह है कि ये पूरे देश के लिहाज से विकसित की गई है ।
राजस्थान के साथ ही महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश,हरियाणा और पंजाब आदि राज्यों में इन दोनों कस्मों को विकसित किया जा सकता है । इन नई किस्मों में आयरन की मात्रा 80 से 90 पीपीएम और जिंक की मात्रा 40 से 50 पीपीएम है । एक विशेषता यह भी है कि इन दोनों किस्मों से फसल करीब 80 दिन में पक कर तैयार हो जाएगी ।