उत्तर प्रदेश से बच्चों की तस्करी कर जयपुर में मंगवाते थे भीख, दो धरे
begging gang. उत्तर प्रदेश से गरीब बच्चों को जयपुर लाकर भीख मंगवाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बच्चों की तस्करी कर जयपुर लाने और फिर यहां भीख मांगने के काम में लगाने का मामला सामने आया है। इनमें से कुछ बच्चों को दिव्यांग की तरह दिखने की ट्रेनिंग दी गई थी। ये बच्चे सामान्य होकर भी दिव्यांग होने का नाटक करते हैं। जयपुर पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
दिव्यांग बच्चों को प्रतिदिन अस्पताल और सरकारी कार्यालयों के सामने या फिर मुख्य चौराहों पर खड़ा कर दिया जाता है। ये बच्चे सुबह सात बजे से लेकर रात नौ बजे तक अपने मालिक को 700 से 1000 रुपये तक कमाकर देते हैं। इनके बदले इन बच्चों को प्रतिदिन 30 रुपये और कपड़े दिए जाते हैं। भोजन का इंजताम सड़क पर खड़े होकर बच्चे खुद करते हैं।
दिल में छेद होने का नाटक करते हैं बच्चे
पुलिस द्वारा पकड़े गए समीर और श्रवण की पूछताछ में सामने आया कि भीख मांगने के लिए बच्चों को दिव्यांगों की तरह दिखने की ट्रेनिंग दी जाती थी। ट्रेनिंग के बाद व्हील चेयर पर बैठाकर दिल में छेद होने की बात बोलते हुए भीख मांगना सिखाया जाता था। इसी तरह का मामला दो दिन पहले जयपुर शहर के जालूपुरा में मुकंदगढ़ हाउस के पास सामने आया। एक बच्चा दिव्यांग के गेटअप में व्हील चेयर पर बैठकर खुद के दिल में छेद होने की बात कह कर भीख मांग रहा था। वहां से गुजर रहे रफीक खान खंडेलवी को शक हुआ तो बच्चों से पूछा तो मामले का भंडाफोड़ हो गया। इसके बाद पुलिस ने दो मास्टर माइंड को रेलवे स्टेशन से दबोच लिया, लेकिन उनकी एक महिला साथी सलमा फरार हो गई।
बच्चों ने बताया कि उनको यूपी के सहारनपुर से जयपुर लाया गया था। वे रोजाना भीख मांगकर मास्टरमाइंड को देते थे। इनमें से 30 रुपये रोजाना मास्टरमाइंड दिव्यांग बच्चो को देता था। पुलिस के अनुसार, समीर सहारनपुर का है। जयपुर में रेलवे स्टेशन के पास रहता है। उसके पास से 10,590 रुपये की चिल्लर, एक व्हीलचेयर, बैट्रियां, एम्पलीफायर, वाइस रिकॉर्डिंग व स्पीकर बरामद किए हैं। समीर यूपी से गरीब परिवारों के बच्चों को जयपुर लेकर आता और उनको रेलवे स्टेशन या आसपास खानाबदोश की तरह रखता। बच्चों को भिखारी के गेटअप में बच्चे को व्हीलचेयर पर बिठाता जो कमजोर हो और दिखने में बीमार लगे।
भीख के लिए बच्चों को फटे हुए कपड़े पहनाने के साथ ही एक बच्चे को व्हीलचेयर के धक्का लगाने के लिए तैयार करता था। व्हीलचेयर पर बैट्री ,एम्पलीफायर और छोटे स्पीकर लगा देता। वाइस रिकार्डिंग के जरिए यह बताया जाता कि जो बच्चा व्हील चेयर पर बैठा है वह दिल में छेद है। इसके इलाज के लिए रुपयों की जरूरत है। समीर और सलमा दोनों सहारनपुर के हैं। वहीं, श्रवण जयपुर के हटवाड़ा रोड़ का निवासी है।